काहिरा। मिस्त्र में जारी खूनी संघर्ष में अब तक 638 लोगों की मौत हो चुकी है। अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों का दावा है कि 2000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। ये मौतें मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों के कैंपों को हटाने की सैन्य सरकार की कार्रवाई के दौरान हुई।
हिंसा के दौरान मारे गए लोगों को दफनाने में काफी मुश्किलें आ रही है। राजधानी काहिरा के नस्त्र शहर की एक मस्जिद में कई शव रखे हुए हैं। पहचान नहीं होने के कारण कई शव गलने लगे हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों का कहना है कि शव जमीन पर पड़े हुए हैं। बिना पहचान किए उन्होंने दफनाना काफी मुश्किल है।
अमरीकी राष्ट्रपति के बयान की निंदा
उधर मिस्त्र की अंतरिम सरकार के नेताओं ने अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मिस्त्र के संबंध में दिए गए बयान की निंदा की है। शुRवार को सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ओबामा का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं है। इससे हथियारबंद गुटों के हौंसले बुलंद होंगे। मिस्त्र को आतंकी गतिविधियों का सामना करना है। गुरूवार को अमरीका ने मिस्त्र के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास रद्द कर दिया था। अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा था कि मिस्त्र की सड़कों पर आम नागरिक मारे जा रहे हैं,ऎसे में मिस्त्र के साथ रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते।
फिर हो सकता है खूनी संघर्ष
उधर मुस्लिम ब्रदरहुड ने समर्थकों से कहा है कि वे जुमे की नमाज के लिए मुस्जिदों में जमा हों और उसके बाद काहिरा की सड़कों पर प्रदर्शन करें। इस पर सरकार ने समर्थक गुट से कहा है कि वे पूरे देश में पड़ोसियों और गिरिजाघरों की रक्षा करें। गौरतलब है कि मिस्त्र में आपातकाल लागू है। पुलिस को अधिकार दिए गए हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए हथियारों का प्रयोग कर सकते हैं।
ईसाई समुदाय पर हमले के आरोप
मिस्त्र में कुछ इस्लामी गुटों ने कॉप्टिक ईसाई समुदाय को निशाना बनाया है। इन गुटों का आरोप है कि कॉप्टिक ईसाई समुदाय ने मुर्सी को अपदस्थ किए जाने का समर्थन किया था। मिस्त्र में सैन्य कार्रवाई पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक हुई। बैठक के बाद एक संक्षिप्त बयान जारी किया गया। इसमें हिंसा पर खेद प्रकट किया गया और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की गई है।
हिंसा के दौरान मारे गए लोगों को दफनाने में काफी मुश्किलें आ रही है। राजधानी काहिरा के नस्त्र शहर की एक मस्जिद में कई शव रखे हुए हैं। पहचान नहीं होने के कारण कई शव गलने लगे हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों का कहना है कि शव जमीन पर पड़े हुए हैं। बिना पहचान किए उन्होंने दफनाना काफी मुश्किल है।
अमरीकी राष्ट्रपति के बयान की निंदा
उधर मिस्त्र की अंतरिम सरकार के नेताओं ने अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मिस्त्र के संबंध में दिए गए बयान की निंदा की है। शुRवार को सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ओबामा का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं है। इससे हथियारबंद गुटों के हौंसले बुलंद होंगे। मिस्त्र को आतंकी गतिविधियों का सामना करना है। गुरूवार को अमरीका ने मिस्त्र के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास रद्द कर दिया था। अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा था कि मिस्त्र की सड़कों पर आम नागरिक मारे जा रहे हैं,ऎसे में मिस्त्र के साथ रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते।
फिर हो सकता है खूनी संघर्ष
उधर मुस्लिम ब्रदरहुड ने समर्थकों से कहा है कि वे जुमे की नमाज के लिए मुस्जिदों में जमा हों और उसके बाद काहिरा की सड़कों पर प्रदर्शन करें। इस पर सरकार ने समर्थक गुट से कहा है कि वे पूरे देश में पड़ोसियों और गिरिजाघरों की रक्षा करें। गौरतलब है कि मिस्त्र में आपातकाल लागू है। पुलिस को अधिकार दिए गए हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए हथियारों का प्रयोग कर सकते हैं।
ईसाई समुदाय पर हमले के आरोप
मिस्त्र में कुछ इस्लामी गुटों ने कॉप्टिक ईसाई समुदाय को निशाना बनाया है। इन गुटों का आरोप है कि कॉप्टिक ईसाई समुदाय ने मुर्सी को अपदस्थ किए जाने का समर्थन किया था। मिस्त्र में सैन्य कार्रवाई पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक हुई। बैठक के बाद एक संक्षिप्त बयान जारी किया गया। इसमें हिंसा पर खेद प्रकट किया गया और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की गई है।
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