यहा है तालीम के साथ कुदरत को सहेजने की सीख
- पोधो को बचाने की अनूठी पहल
- पोधो के बच्चे बांध रहे हे रक्षा सूत्र
बाड़मेर बाड़मेर में जिस तेजी से विकास हुआ है उतनी तेजी से कुदरत से आम आदमी दूर होता जा रहा है इन सरेसारे हालातो से दूर बाड़मेर के एक छोटे से गाव जुनेजो की बस्ती में एक मदरसे के प्रबंधको का लिया गया एक नेक फेसला पर्यावरण सरक्षण में महती अदा कर रहा है . एक दर्जन बच्चो के साथ एक साल पहले शुरू हुए यहा के मदरसे में आज बच्चो का आंकड़ा सॊ के करीब पहुच गया है जिसमे आधे से ज्यादा बालिकाए है . तालीम के साथ साथ इस मदरसे के प्रबंधको ने बच्चो को कुदरत से जोड़ने के लिए एक रास्ता निकल हर बच्चे से पोधो के रक्षा सूत्र बंधाये गए और बच्चो को उन पोधो को सहेज कर रखने का प्रण लिया गया . अपने आप में बच्चो का पोधो से सीधा आत्मीय जुडाव बंधने के लिए रक्षा सूत्रों का इस्तेमाल किया गया . मदरसा फेजे जकारिया के प्रबंधक कायम्दीन जुनेजा बताते है की गाव में बालिकाओ की तालीम के स्तर में सुधर के लिए इस मदरसे की जरूरत महसूस की गई और इसकी शुरुवात हुई लेकिन बाद में इस बात को भी महसूस किया गया की बच्चो में पढाई के शुरुवाती स्तर में ही कुदरत के प्रति दोस्ताना रिश्ते को पैदा कर लिया जाये तो यह रिश्ता बड़े होने के साथ साथ और प्रगाढ़ हो जायेगा इसे में यह पर एक साथ सेकड़ो पोधो को लगाया गया और बच्चो को उन पोधो की रक्षा के का प्रण दिलाने के लिए उनके रक्षा सूत्र बंधवाये गये . आज वह सभी पोधे जिन्दा है और बच्चे हर रोज उन पोधो की समुचित देखभाल करते है . इसी मदरसे में पढने वाली हाजरा बनो , जुबेदा और आयशा बताती है की जब किसी की रक्षा के लिए प्रण ले लिया जाता है तो उसे बचना हमारा फर्ज बनता है इसे में बात जब गाव में हरियाली बढ़ाने वाले पोधो की हो तो भला कदम पीछे केसे करे . गाव में इस मदरसे की शुरुवात के बाद तालीम के ग्राफ में बढ़ोतरी हुई है वही इस मदरसे के प्रबंधको का एक फेसला आज सेकड़ो बच्चो को सीधे तोर से कुदरत से जोड़ चुकी है .
रौशनी बनी प्रेरणा, मुमताज बनी मिशाल
शिव तहसील के छोटे से गाव जुनेजो की बस्ती में हर रेगिस्तानी गाव की तरह समस्याए है यहा पर तालीम का ग्राफ काफी नीचे निचे है लेकिन बालिका शिक्षा के नाम को लेना भी मानो यह गुनाह मन जाता था ऐसे में साल 2010 में इसी गाव की रौशनी और मुमताज ने पहली बार गाव से बाहर कदम रख कर 12 की पढाई पूरी की . इन दोनों बालिकाओ की इसी जज्बे को गाव वालो ने प्रेरणा और मिशल बताया . यही वजह रही की जहा बालिकाओ के तालीम पर नाराजगी का माहोल था वह बालिकाओ के लिए मदरसे की बात पहले कागजो और आज धरा पर उतरी नजर आ रही है .
इस मानसून सेकड़ो का लक्ष्य
मदरसा फेजे जकारिया जुनेजो की बस्ती के प्रबंधक कायम्दीन जुनेजा इस मानसून में अपने मदरसे के परिसर के आलावा आस पास के इलाके में सेकड़ो पोधों को लगाने की मंशा रखते है . वह बताते है की इस बार भी पोधो के साथ बच्चो का नाता रहेगा . उन्हें उम्मीद है की कोई संगठन या व्यक्ति उनके इस नेक मकसद में मदरसे की मदद जरुर करेगा
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