फाईनेंस कंपनीयों का आंतक, एक और कर्जदार ने की आत्महत्या
बाड़मेर।
बीते महीने मनमानी ब्याज दरों पर फाईनेंस के कारोबार से जुड़े एक युवक की हत्या अथवा आत्महत्या की गुत्थी अब तक सुलझी ही नहीं थी, कि इस बीच ऐसे ही एक मामलें में दो दिन पहले बाड़मेर के एक युवक के गोवा में आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। युवक पिछले पांच-छः दिन से घर से गायब बताया जा रहा हैं। वहीं उसका भाई भी इतने ही दिन से गायब हैं जिसका अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया हैं।
जानकारी के मुताबिक अहिंसा चौराहे के पास स्थित चाय की होटल चलाकर जीवन यापन करने वाला 30 वर्षीय युवक दीपू बख्ताणी एवं पालिका बाजार में रेडिमेंट कपड़ो की दुकान चलाने वाला उसका भाई मनीष बख्ताणी पिछले पांच-छः दिन से घर से गायब थे जिसके फोन भी बंद चल रहे थे। इनमें से मनीष बख्ताणी उम्र 25 वर्ष निवासी महावीर नगर द्वारा गोवा स्थित एक होटल में आत्महत्या करने की जानकारी मंगलवार की शाम उनके परिजनो को लगी। जबकि दूसरे का अब तक पता नहीं चल पाया हैं। परिवारजनो का कहना हैं कि मनीष के भाई पर कुछ कर्जा चल रहा था जिसे लेकर फाईनेंस कंपनियों के संचालक पिछले काफी समय से उन्हें परेशान कर रहे थे।
परिजनो के मुताबिक ब्याज के रूप में मोटी रकम अदा करने के बाद भी वह लोग उनका पीछा छोड़ नहीं रहे थे और पैसो के लिए दबाव बना रहे थे। इसी को लेकर मनीष पर भी पिछले कई दिनों से दबाव बनाया जा रहा था। इससे तंग आकर दोनो भाई अलग-अलग दिन एवं समय में करीब पांच-छः दिन पूर्व घर से गायब हो गए। घर से जाने के बाद उनके फोन बंद बताए जा रहे थे। जहां घर वाले उनकी तलाश में दिन रात एक किए हुए थे वहीं इस बीच मंगलवार की शाम को परिजनो को कोतवाली पुलिस की ओर से सूचना दी गई कि मनीष ने गोवा स्थित एक होटल में आत्महत्या कर ली हैं। घटना की जानकारी लगते ही परिजना जनो की पैरो तले की जमीन हिल गई। इसके बाद जैसे-तैसे खुद को संभालने के बाद वह लोग बुधवार की सुबह शव को लेने के लिए गोवा के लिए रवाना हुए। सूत्रों का कहना हैं कि घटनास्थल से गोवा पुलिस को सुसाईड नोट भी मिला हैं लेकिन इस बात की अधिकारिक पुष्टि ना तो बाड़मेर पुलिस कर रही हैं और ना ही उनके परिजन।
बाड़मेर शहर में इन दिनों कुकरमुत्तो की तरह फैली अवैध फाईनेंस कंपनियों का आतंक सर चढ़कर बोल रहा हैं। हालात यह हैं कि इन फाईनेंस कंपनियों की अवैध वसूली एवं वसूली के तौर तरीको के चलते बाड़मेर के सैकड़ों युवा अवसाद से ग्रसित चल रहे हैं। वहीं कुछ ने अपना घर तक छोड़ मारे डर के छिपकर फिर रहे हैं। वहीं कुछ ने तो इन कंपनियों की अवैध वसूली से तंग आकर अपनी जान तक दे दी हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी ना तो जिला प्रशासन और ना ही पुलिस प्रशासन इस तरह की अवैध फाईनेंस कंपनिया चलाने वाले संचालको के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रही हैं। नतीजन आए दिन बाड़मेर के लोग विशेषकर युवा वर्ग इसका शिकार हो रहा हैं। लगता हैं कि जिला प्रशासन एवं पुलिस को अब भी और मौता का इंतजार हैं। शायद इसके बाद ही उनकी कुंभकर्णी नींद खुल सके।
भारी भरकम ब्याज पर देते हैं पैसेः
कुकरमुतो की तरह शहर में जगह-जगह स्थापित हुई अवैध फाईनेंस कंपनियों के संचालको द्वारा पहले तो युवाओं को स्वपन दिखाए जाते हैं फिर अपने जाल में फंसाकर उन्हें भारी भरकम ब्याज पर पैसे उधार दिये जाते हैं। इसके बाद जब उधार पैसे लेने वालो के हाथ तंग होते हैं तब यह लोग प्रतिदिन उनसे पैसे की वसूली के लिए उन पर दबाव बनाते हैं। उनके द्वारा मोहलत मांगे जाने पर भी यह लोग उनकी एक भी नहीं सुनते और पैसे की वसूली के लिए मारपीट,अपहरण तक से नहीं चुकते हैं। बाड़मेर शहर में इस तरह के दर्जनों मामले अब तक प्रकाश मंे आ चुके हैं। लेकिन जिला प्रशासन एवं पुलिस ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
बीते महीने मनमानी ब्याज दरों पर फाईनेंस के कारोबार से जुड़े एक युवक की हत्या अथवा आत्महत्या की गुत्थी अब तक सुलझी ही नहीं थी, कि इस बीच ऐसे ही एक मामलें में दो दिन पहले बाड़मेर के एक युवक के गोवा में आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। युवक पिछले पांच-छः दिन से घर से गायब बताया जा रहा हैं। वहीं उसका भाई भी इतने ही दिन से गायब हैं जिसका अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया हैं।
जानकारी के मुताबिक अहिंसा चौराहे के पास स्थित चाय की होटल चलाकर जीवन यापन करने वाला 30 वर्षीय युवक दीपू बख्ताणी एवं पालिका बाजार में रेडिमेंट कपड़ो की दुकान चलाने वाला उसका भाई मनीष बख्ताणी पिछले पांच-छः दिन से घर से गायब थे जिसके फोन भी बंद चल रहे थे। इनमें से मनीष बख्ताणी उम्र 25 वर्ष निवासी महावीर नगर द्वारा गोवा स्थित एक होटल में आत्महत्या करने की जानकारी मंगलवार की शाम उनके परिजनो को लगी। जबकि दूसरे का अब तक पता नहीं चल पाया हैं। परिवारजनो का कहना हैं कि मनीष के भाई पर कुछ कर्जा चल रहा था जिसे लेकर फाईनेंस कंपनियों के संचालक पिछले काफी समय से उन्हें परेशान कर रहे थे।
परिजनो के मुताबिक ब्याज के रूप में मोटी रकम अदा करने के बाद भी वह लोग उनका पीछा छोड़ नहीं रहे थे और पैसो के लिए दबाव बना रहे थे। इसी को लेकर मनीष पर भी पिछले कई दिनों से दबाव बनाया जा रहा था। इससे तंग आकर दोनो भाई अलग-अलग दिन एवं समय में करीब पांच-छः दिन पूर्व घर से गायब हो गए। घर से जाने के बाद उनके फोन बंद बताए जा रहे थे। जहां घर वाले उनकी तलाश में दिन रात एक किए हुए थे वहीं इस बीच मंगलवार की शाम को परिजनो को कोतवाली पुलिस की ओर से सूचना दी गई कि मनीष ने गोवा स्थित एक होटल में आत्महत्या कर ली हैं। घटना की जानकारी लगते ही परिजना जनो की पैरो तले की जमीन हिल गई। इसके बाद जैसे-तैसे खुद को संभालने के बाद वह लोग बुधवार की सुबह शव को लेने के लिए गोवा के लिए रवाना हुए। सूत्रों का कहना हैं कि घटनास्थल से गोवा पुलिस को सुसाईड नोट भी मिला हैं लेकिन इस बात की अधिकारिक पुष्टि ना तो बाड़मेर पुलिस कर रही हैं और ना ही उनके परिजन।
बाड़मेर शहर में इन दिनों कुकरमुत्तो की तरह फैली अवैध फाईनेंस कंपनियों का आतंक सर चढ़कर बोल रहा हैं। हालात यह हैं कि इन फाईनेंस कंपनियों की अवैध वसूली एवं वसूली के तौर तरीको के चलते बाड़मेर के सैकड़ों युवा अवसाद से ग्रसित चल रहे हैं। वहीं कुछ ने अपना घर तक छोड़ मारे डर के छिपकर फिर रहे हैं। वहीं कुछ ने तो इन कंपनियों की अवैध वसूली से तंग आकर अपनी जान तक दे दी हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी ना तो जिला प्रशासन और ना ही पुलिस प्रशासन इस तरह की अवैध फाईनेंस कंपनिया चलाने वाले संचालको के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रही हैं। नतीजन आए दिन बाड़मेर के लोग विशेषकर युवा वर्ग इसका शिकार हो रहा हैं। लगता हैं कि जिला प्रशासन एवं पुलिस को अब भी और मौता का इंतजार हैं। शायद इसके बाद ही उनकी कुंभकर्णी नींद खुल सके।
भारी भरकम ब्याज पर देते हैं पैसेः
कुकरमुतो की तरह शहर में जगह-जगह स्थापित हुई अवैध फाईनेंस कंपनियों के संचालको द्वारा पहले तो युवाओं को स्वपन दिखाए जाते हैं फिर अपने जाल में फंसाकर उन्हें भारी भरकम ब्याज पर पैसे उधार दिये जाते हैं। इसके बाद जब उधार पैसे लेने वालो के हाथ तंग होते हैं तब यह लोग प्रतिदिन उनसे पैसे की वसूली के लिए उन पर दबाव बनाते हैं। उनके द्वारा मोहलत मांगे जाने पर भी यह लोग उनकी एक भी नहीं सुनते और पैसे की वसूली के लिए मारपीट,अपहरण तक से नहीं चुकते हैं। बाड़मेर शहर में इस तरह के दर्जनों मामले अब तक प्रकाश मंे आ चुके हैं। लेकिन जिला प्रशासन एवं पुलिस ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
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