शनिवार, 13 जुलाई 2013

"भोजन की गारंटी"बनेगा"ट्रम्प कार्ड"

"भोजन की गारंटी"बनेगा"ट्रम्प कार्ड"

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित राज्यों से कहा कि वे खाद्य सुरक्षा योजना जस की तस लागू करें। सोनिया ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस योजना के कार्यान्वयन के बारे में चर्चा की, जिसके तहत 82 करोड़ लोगों को सस्ता अनाज मुहैया कराया जाएगा। कांग्रेस का मानना है कि यह योजना चुनाव में उसके लिए ट्रम्प कार्ड साबित हो सकती है।

कांग्रेस की रणनीति अपने राज्यों में इस योजना को जल्द लागू करने के साथ-साथ उन राज्यों के वोटरों तक भी संदेश पहुंचाने की है, जहां विपक्षी दलों की सरकार है। इसी साल नवंबर महीने में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर योजना की शुरूआत दिल्ली से 20 अगस्त को की जाएगी। इसी दिन हरियाणा में भी योजना लागू हो जाएगी। 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्मदिन पड़ता है। दिल्ली में यह योजना दो चरणों में लागू होगी।

कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी विपक्षी दलों से है,इन दलों ने अध्यादेश लाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि मानसून सत्र से ठीक पहले अध्यादेश लाना उचित नहीं है। कांग्रेस खाद्य सुरक्षा योजना को पांच राज्यों में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों तथा अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में एक बडी उपलब्धि के रूप में भुनाने के प्रयास में है। यह देखते हुए वह चाहती है कि इसे पार्टी शासित राज्यों में तो जल्दी से जल्दी लागू कर दिया जाए। दरअसल, मनरेगा की तरह खाद्य सुरक्षा योजना को भी चुनावी कार्ड की तरह इस्तेमाल करने की योजना है।

कांग्रेस के भीतर इस तरह की आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि विपक्ष शासित राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के क्रियान्वयन में ज्यादा उत्साह न दिखाएं। वैसे कई गैर कांग्रेस राज्य सरकारें अपनी ओर से पहले से ही गरीबों को कम दरों पर अनाज उपलब्ध करा रही हैं। लेकिन अध्यादेश आने के बाद यह लोगों का अधिकार बन गया है।

कांग्रेस यह योजना बना रही है कि देश भर में कार्यकर्ताओं को इस योजना के बारे में लोगों को बताया जाए। इसके तहत उसके प्रवक्ता राज्यों में जाकर प्रदेश इकाइयों और मीडिया को अध्यादेश के प्रावधानों के बारे में जानकारी देंगे। सरकार के चुनावी वर्ष में योजना लाने पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर कांग्रेस का कहना है कि उसने अपने 2009 के चुनाव घोषणा पत्र में इसका वादा किया था और उसी को पूरा करने के लिए विधेयक और अध्यादेश लाया गया है।

कांग्रेस यह कह रही है कि इस अध्यादेश से उन राज्यों को भी फायदा होगा जो पहले से इस तरह की योजना चला रहे हैं, क्योंकि उन्हें कम दर पर केन्द्र से खाद्यान्न मिलेगा और इससे उनकी खाद्य सब्सिडी कम हो जाएगी जिससे वे बचा हुआ धन अन्य योजनाओं में लगा सकेंगे। अध्यादेश के तहत चावल तीन रूपए किलो, गेहूं एक रूपए तथा मोटा अनाज एक रूपए किलोग्राम उपलब्ध कराया जाना है। इससे देश की 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी तथा 50 प्रतिशत शहरी आबादी को फायदा होगा।

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