नागदेवताओं की पूजा का पर्व- नागपंचमी
जयपुर। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष पंचमी 27 जुलाई को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रानुसार इस दिन सर्पो की पूजा करने का विधान है। पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार जिन लोगों की जन्म कुंडली में सर्प दोष हो, उन जातकों को नाग पंचमी पर सर्पो की पूजा करने से लाभ मिलना संभव है।
ज्योतिषशास्त्र में राहु को सर्प का मुख और केतु को पूंछ माना गया है। ये दोनों छाया ग्रह, तमोमुखी और पाप ग्रह हैं। इन दोनों पाप ग्रहों के बीच सभी ग्रहों की उपस्थिति अशुभ मानी जाती है। अर्थात् जन्मकुंडली में जब राहु और केतु के मध्य सभी गह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष योग बन जाता है। इस योग के परिणाम स्वरूप जीवन संर्घष होता है और सांसारिक सुखों में कमी आती है।
गरूण पुराण के अनुसार नाग देवता की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति, वंश वृद्धि और घर की रक्षा तथा सर्प अथवा कालसर्प दोष निवारण होता है। इस साल 27 जुलाई को नागपंचमी का पर्व है। इस दिन नाग के प्रतीक के रूप में चांदी अथवा तांबे की सर्प प्रतिमा अथवा रस्सी में सात गांठे लगाकर उसे नाग देवता का प्रतीक मानकर उसकी पूजा करें। पूजा आप अपनी कुल परंपरा के अनुसार ही करें।
कालसर्प दोष निवारण हेतु निम्न उपाय करें....
-यदि आप चाहें तो सर्प सूक्त स्तोत्र का पाठ करें।
-श्रावण मास में भगवान शंकर का रूद्राभिषेक कराएं।
-तांबे का सर्प बनवाकर शिव लिंग पर चढ़ाएं।
- ऊँ नम: शिवाय या श्रीकार्तवीर्याजुन मंत्र का जाप करें।
- सर्पो को बंधन मुक्त कराएं।
- गोमेद रत्न धारण करें।
जयपुर। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष पंचमी 27 जुलाई को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रानुसार इस दिन सर्पो की पूजा करने का विधान है। पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार जिन लोगों की जन्म कुंडली में सर्प दोष हो, उन जातकों को नाग पंचमी पर सर्पो की पूजा करने से लाभ मिलना संभव है।
ज्योतिषशास्त्र में राहु को सर्प का मुख और केतु को पूंछ माना गया है। ये दोनों छाया ग्रह, तमोमुखी और पाप ग्रह हैं। इन दोनों पाप ग्रहों के बीच सभी ग्रहों की उपस्थिति अशुभ मानी जाती है। अर्थात् जन्मकुंडली में जब राहु और केतु के मध्य सभी गह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष योग बन जाता है। इस योग के परिणाम स्वरूप जीवन संर्घष होता है और सांसारिक सुखों में कमी आती है।
गरूण पुराण के अनुसार नाग देवता की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति, वंश वृद्धि और घर की रक्षा तथा सर्प अथवा कालसर्प दोष निवारण होता है। इस साल 27 जुलाई को नागपंचमी का पर्व है। इस दिन नाग के प्रतीक के रूप में चांदी अथवा तांबे की सर्प प्रतिमा अथवा रस्सी में सात गांठे लगाकर उसे नाग देवता का प्रतीक मानकर उसकी पूजा करें। पूजा आप अपनी कुल परंपरा के अनुसार ही करें।
कालसर्प दोष निवारण हेतु निम्न उपाय करें....
-यदि आप चाहें तो सर्प सूक्त स्तोत्र का पाठ करें।
-श्रावण मास में भगवान शंकर का रूद्राभिषेक कराएं।
-तांबे का सर्प बनवाकर शिव लिंग पर चढ़ाएं।
- ऊँ नम: शिवाय या श्रीकार्तवीर्याजुन मंत्र का जाप करें।
- सर्पो को बंधन मुक्त कराएं।
- गोमेद रत्न धारण करें।
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