इनसाईड स्टोरी …रिफ़यनरि लीलना वर्सेस पचपदरा = पचास साल
ऐसे तो रिफायनरी पचास साल तक नहीं लग पायेगी
बाड़मेर राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर रिफायनरी लगाने के लिए जिस कदर राजनीती हो रही हें उससे साफ़ लगता हें की अगले पचास साल तक राजस्थान रिफायनरी नहीं . राजस्थान में रिफायनरी स्थापना के निर्णय ने राजस्थान में विकास की उम्मीदें जगाई थी . राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतु क्षेत्र के लीलाना में रिफायनरी लगाने की सुगबुगाहट तीन साल पहले शुरू हो गई थी .बाड़मेर के सुगबुगाहट काफी खुश थे ज़ब मुख्यमंत्री ने चार माह पूर्व लीलाना में रिफायनरी लगाने की घोषणा की . सभी ने इसका स्वागत किया . मगर भूमि अवाप्ति के मुआवजे का लालच किसानो के सर चढ़ कर बोलने लगा .एक तरफ सरकार लीलना में रिफायनरी लगाने के सरकारी जातां शुरू किये . कंपनी एच पी सी एल के साथ एम् ओ यु करने के साथ ही लीलना में मृदा परीक्षण भी करवा दिया .फ़िजिबिल्ति रिपोर्ट भी तैयार करवा दी ंअगर इसी बीच लीलना के किसानो ने जमीन नहीं देने के लिए कमर कास आन्दोलन शुरू किया क़िसनो ने एक स्वर में भूमि नहीं देने का अपना निर्णय जिला प्रशसन को बता दिया ज़िला प्रशसन और स्थानीय जन प्रतिनिधियों की लाख समझॆस के बाद किसान तस से मास नहीं हुए ज़िला प्रशासन के सख्ती दिखाई तो एक बीघा जमीन के बदले एक करोड़ रुपये की मांग कर डाली .इस मांग से सरकार ,जिला प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों के कान खड़े हो गए क़िसनो ने एक करोड़ रुपये प्रति बीघा के साथ एनी सुविधाओ की मांग राखी जिसे पूरा किया जाना संभव नहीं थी . इस आन्दोलन से सत्ता पक्ष के जन प्रतिनिधियों ने अपने आप को अलग कर रखा था . जिला प्रशासन के आग्रह पर सांसद और जिला प्रमुख किसानो से बात करने लिलाना पहुंचे मगर किसानो ने उनकी बात सुनाने से इनकार दिया .चुङ्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा आगामी विधानसभा चुनाव राजस्थान में विकास और रिफायनरी के मुद्दे पर लड़ने की रणनीति थी , इसी रणनीति के तहत जुलाई के अंत तक लीलना ने यु पी ऐ चेयरपर्सन सोनिया गाँधी को लाकर शिलान्याश करने की योजना थी मगर किसानो के आन्दोलन ने इस रणनीति पर पानी फेर दिया ऽशोक गहलोत ने लीलाना को छोड़ पचपदरा में रिफायनरी लगाने की संभावनाए तलाशने का अधिकारियो को कहा . अधिकारियो ने कई दौरों के बाद पचपदरा को रिफायनरी के लिए उचित बताया तो गहलोत ने रिफायनरी का स्थान लीलाना से पचपदरा सिफ्ट करने की घोषणा कर एच पी सी एल के साथ पुनः पचपदरा के लिए एम् ओ यु किया तो बाड़मेर की राजनीती में आग लग गयी . स्थानीय जन प्रतिनिधियों को इस निर्णय से अपनी राजनीती जमीन खिसकने का डर सताने लगा क़िसनो ने भी रिफायनरी बायतु में लगाने के लिए मोर्चा खोल दिया . बायतु विधायक कर्नल सोना राम चौधरी की अगुवाई में हज़ारो किसानो और बाड़मेर वासियों ने धरना प्रदर्शन कर रिफायनरी लीलाना में लगाने का दम भर दिया ज़िले में रिफायनरी के बाद दो भाग हो गए ,जिला दो भागों में बाँट गया ज़िले के लोगो में अलगाव जैसी स्थिति हो गयी .पचपदर और बायतु में जिला बाँट गया . दोनों क्षेत्रो के लोग रिफायनरी अपने अपने क्षेत्र में लगाने की जोर आजमाईश कर रहे हें . जिस तरह बमेर जिले का सौहार्द पूर्ण वातावरण ख़राब हुआ .लोगो में अविश्वास पैदा हुआ ,जन नेताओ पर आरोप लगे उससे स्पष्ट हें की रिफायनरी बाड़मेर में ऐसे अगले पचास साल नहीं लग पाएगी ,कल तक जमीन नहीं देने वाले किसान आज ना केवल जमीन देने को तैयार हो गए बल्कि मुआवजा भी पांच से सात लाख रुपये तक कर दिया ंअगर अब क्या हो सकता हें जब चुदिया चुग गयी खेत . क़िसनो के साथ राजनेता भी भी इस पुरे प्रकरण में दोषी हें बाड़मेर को विकास में पचास साल पीछे धकेल दिया ऱिफ़यनरि ने बाड़मेर की राजनीती को हिल्ला कर रख दिया .उपर से भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष ने बायतु और पचपदरा की जमीनों की खरीद फरोख्त में मंत्रियो और बड़े लोगो का हाथ होने के आरोप लगा सनसनी फेला दी .तो कर्नल सोनाराम चौधरी ने अशोक गहलोत द्वारा अपने पुत्र वैभव गहलोत को पचपदरा से चुनाव लड़ने की योजना का खुलासा कर सबको चौंका दिया .वर्त्मान में बाड़मेर के सरे जन प्रतिनिधि मानते हें की रिफायनरी पचपदरा में लगाने की प्रक्रिया इतनी आगे बढ़ गयी की उसे वापस बायतु लाना संभव नहीं इसी के चलते राजस्व मंत्री हेमा राम चौधरी ने इस्तीफा दे दिया ंअगर बायतु विधायक कर्नल सोनाराम ने आस नहीं छोडी उन्होंने स्पष्ट कह दिया की रिफायनरी लग्र्गी तो लीलना में ही .बहर लाल अभी तक एच पी सी एल को रिफायनरी लगाने की केबिनेट की मंजूरी अभी तक नहीं मिली हें ।सितम्बर से पहले मंजूरी मिलेगी इसमे शक हें . तब तक आचार संहिता लग जाएगी . आपसी खींचतान और राजनीती में रिफायनरी उ;लझ कर ना रह जाये
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