गुरुवार, 4 जुलाई 2013

गुमराह युवाओं पर स्मैक का कहर!


गुमराह युवाओं पर स्मैक का कहर!
बाड़मेर। बाड़मेर शहर में करीब चार वर्ष पहले स्मैक के नाम से शायद ही कोई युवा वाकिफ रहा होगा, लेकिन आज दो सौ से अधिक युवा स्मैक की गिरफ्त में आ गए हैं। चार-पांच दोस्तों के बीच मौज मस्ती के मूड में अनजाने से शुरू हुआ स्मैक का सरूर अब सिर चढ़कर बोल रहा है।

शुरूआती दौर में स्मैक की चपेट में आए युवा बर्बादी के उस पार पहुंच गए हैं। आलम यह है कि पूरी तरह से स्मैकची बन चुके इन युवाओं को परिजनों ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है। उन्हें इस लत से बाहर लाने के परिजनों के तमाम प्रयास बेकार हो चुके हैं। किशोरावस्था से युवावस्था की दहलीज तक पहुंचने से पहले ही दर्जन भर से अधिक बाड़मेर शहर के युवाओं की एक खेप असमय ही धीरे-धीरे मौत के मुंह में जा रही है। वहीं कई युवा इसी नक्शे कदम पर आगे बढ़ते जा रहे हैं।

बेसुध करने वाला सुरूर
स्मैक का सेवन करने वाले युवा चौबीस घण्टे से भी अधिक समय तक बेसुध हो जाते हैं। स्मैकची सिगरेट से जर्दा निकालकर उसमें स्मैक का चूरा भरते हैं और सिगरेट की तरह पीते हैं अथवा पन्नी के नीचे आंच देकर उसके ऊपर स्मैक रखकर सूंघते हैं। स्मैक का नशा करने के बाद पसर जाते हैं और कई घण्टों बाद होश में आते हंै।

रूपयों का जुगाड़ होते ही नशा
होश में आने के बाद ये स्मैक खरीदने के लिए रूपयों का जुगाड़ करने में जुट जाते हैं। हजार-पंद्रह सौ रूपए का जुगाड़ होते ही स्मैक खरीदते हैं और फिर उसी नशे के आगोश में चले जाते हैं। रूपयो के जुगाड़ के लिए ये नए साथी तलाशते हैं और उन्हें भी अपनी दुनिया में घसीट लेेते हैं। इस तरह इनका दायरा बढ़ता जा रहा है।

अजमेर व जोधपुर से डिलीवरी
स्मैकची युवाओं को अजमेर व जोधपुर से स्मैक की पुडिया की डिलीवरी मिलती है। बाड़मेर व बालोतरा शहर में कुछ तिपहिया टैक्सी वाले स्मैकचियों को डिलीवरी देते हैं। टैक्सी वाले सिर्फ माध्यम है। इनके छुटभैये सरपरस्त बाड़मेर व बालोतरा में ही है, जो अभी तक पुलिस की नजर से साफ-साफ बचे हुए हैं। पुराने स्मैकचियों की सीधी पहुंच अजमेर तक है।

प्रभावी कार्रवाई होगी
बालोतरा में पुलिस ने स्मैक के मामले में कार्रवाई की है। बाड़मेर में भी ऎसा कुछ है तो पुलिस निगरानी रखेगी और प्रभावी कार्यवाही करेगी।
राहुल बारहट, पुलिस अधीक्षक बाड़मेर

केस-1 अक्षय (परिवर्तित नाम) की उम्र महज उनतीस वर्ष है। वह साधन-सम्पन्न परिवार का युवक है। उसके वैवाहिक जीवन को महज छह-सात वर्ष ही हुए हैं। लेकिन स्मैक के कहर ने उसे इस हद तक अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया है कि न तो उसे अपने परिवार की प्रतिष्ठा का ख्याल है, न ही दाम्पत्य जीवन की जिम्मेवारी का भान है। उसके लिए स्मैक का सरूर ही जीवन है।

केस-2 कपिल (परिवर्तित नाम) एक सीधा-सादा और पढ़ने वाला लड़का है। उसके माता-पिता सरकारी नौकरी में है। मां-बाप के लाड़ प्यार के चलते उसकी जेब अकसर फूली हुई रहती। दोस्तों के साथ एक बार कुछ ऎसा नशा किया, जिससे वह बेसुध हो गया। दरअसल स्मैकची बन चुके दोस्तों ने उसकी जेब देखकर ही उसे अपनी संगत में लिया। स्मैक की आदत के चलते कपिल अपराध के रास्ते पर भी चला गया।

 

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