पौने पांच साल में 7 मंत्री विदा
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पौने पांच साल के कार्यकाल में राज्य के सात मंत्रियों की मंत्रिमंडल से विदाई हो चुकी है। दो मंत्रियों को चरित्र पर दाग लगने पर मंत्रिमंडल से विदा किया गया तो दो को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण हटाया गया। एक मंत्री अपने बड़बौलेपन के कारण मंत्री पद से हाथ धो बैठे तो एक ने अपने सांसद पति की सरकार विरोधी हरकतों का समर्थन करके मंत्री पद खोया। राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को अब रिफाइनरी की जगह को लेकर उठे विवाद के कारण पद छोड़ना पड़ा है।
1. महिपाल मदेरणा देशभर में चर्चित रहे भंवरी देवी हत्याकांड में प्रमुख आरोपी पूर्व जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा को 16 अक्टूबर, 2011 को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया। इससे पहले जोधपुर की एएनएम भंवरी देवी के साथ अश्लील सीडी चर्चा में आने के बाद करीब दो माह तक मदेरणा पर इस्तीफा देने का दवाब रहा, लेकिन वे मंत्री पद छोड़ना नहीं चाहते थे। 11 अक्टूबर 2011 को हाईकोर्ट ने भंवरी देवी के लापता होने के मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया तो पांच दिन बाद ही मुख्यमंत्री ने मदरेणा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। मदेरणा जेल में हैं।
2. रामलाल जाट भीलवाड़ा के चर्चित पारस देवी आत्महत्या मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करने वाले पूर्व वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री रामलाल जाट के चरित्र पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 16 नवंबर 2011 को उन्हें मंत्रिमंडल से विदा करना पड़ा। रामलाल जाट पर आरोप था कि वे पारस देवी के शव को अपनी सरकारी गाड़ी में रखकर उसका पोस्टमार्टम कराने के लिए पूरी रात अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे।
3. मास्टर भंवरलाल मेघवाल अपने बड़बौले स्वभाव को लेकर चर्चा में रहने वाले मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कभी नर्स बाई की चुटिया पकड़कर ठीक करने की बात कही तो कभी शिक्षकों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। शिक्षा विभाग के तबादलों में जब कांग्रेस के विधायकों ने ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप जड़े तो 16 नवंबर 2011 को उन्हें मंत्रिमंडल से चलता किया गया।
4. प्रमोद जैन "भाया" गत विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बारां जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया तो इस जीत का सेहरा प्रमोद जैन "भाया" के सिर बंधा और मुख्यमंत्री ने उन्हें सार्वजनिक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मा सौंपा। लेकिन जब सिर्फ बारां पर ही मेहरबानी और कथित भ्रष्टाचार की शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची तो 16 नवंबर 2011 को उन्हें भी हटा दिया गया।
5. भरोसी लाल जाटव हिंडौन के खरेटा में अधिकारियों से मिलीभगत कर वनभूमि पर चार पुत्रों व प्रभावशाली लोगों के नाम पर गैरकानूनी तरीके से खनन पट्टे हासिल करने के मामले में पूर्व मोटर गैराज राज्यमंत्री भरोसी लाल जाटव का नाम आया तो 16 नवंबर 2011 को जाटव की छुट्टी कर दी गई।
6. गोलमा देवी सांसद पति किरोड़ी लाल मीणा के सरकार विरोधी हर कदम में सहयोग करने वाली गोलमा देवी ने नई सरकार के गठन के पांच माह बाद ही 2 अप्रेल 2009 को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भिजवा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ने गोलमा का इस्तीफा मंजूर नहीं किया। अंतत: 16 नवंबर 2011 को गोलमा को मंत्रिमंडल से विदा कर दिया गया।
7. हेमाराम चौधरी भावुक प्रवृत्ति के हेमाराम चौधरी पौने पांच साल तक जल संसाधन मंत्री की जिम्मेदारी संभालते रहे, लेकिन बाड़मेर में रिफाइनरी की जगह को लेकर मचे बवाल के बाद वे खुद को रोक नहीं पाए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेज दिया।
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पौने पांच साल के कार्यकाल में राज्य के सात मंत्रियों की मंत्रिमंडल से विदाई हो चुकी है। दो मंत्रियों को चरित्र पर दाग लगने पर मंत्रिमंडल से विदा किया गया तो दो को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण हटाया गया। एक मंत्री अपने बड़बौलेपन के कारण मंत्री पद से हाथ धो बैठे तो एक ने अपने सांसद पति की सरकार विरोधी हरकतों का समर्थन करके मंत्री पद खोया। राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को अब रिफाइनरी की जगह को लेकर उठे विवाद के कारण पद छोड़ना पड़ा है।
1. महिपाल मदेरणा देशभर में चर्चित रहे भंवरी देवी हत्याकांड में प्रमुख आरोपी पूर्व जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा को 16 अक्टूबर, 2011 को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया। इससे पहले जोधपुर की एएनएम भंवरी देवी के साथ अश्लील सीडी चर्चा में आने के बाद करीब दो माह तक मदेरणा पर इस्तीफा देने का दवाब रहा, लेकिन वे मंत्री पद छोड़ना नहीं चाहते थे। 11 अक्टूबर 2011 को हाईकोर्ट ने भंवरी देवी के लापता होने के मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया तो पांच दिन बाद ही मुख्यमंत्री ने मदरेणा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। मदेरणा जेल में हैं।
2. रामलाल जाट भीलवाड़ा के चर्चित पारस देवी आत्महत्या मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करने वाले पूर्व वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री रामलाल जाट के चरित्र पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 16 नवंबर 2011 को उन्हें मंत्रिमंडल से विदा करना पड़ा। रामलाल जाट पर आरोप था कि वे पारस देवी के शव को अपनी सरकारी गाड़ी में रखकर उसका पोस्टमार्टम कराने के लिए पूरी रात अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे।
3. मास्टर भंवरलाल मेघवाल अपने बड़बौले स्वभाव को लेकर चर्चा में रहने वाले मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कभी नर्स बाई की चुटिया पकड़कर ठीक करने की बात कही तो कभी शिक्षकों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। शिक्षा विभाग के तबादलों में जब कांग्रेस के विधायकों ने ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप जड़े तो 16 नवंबर 2011 को उन्हें मंत्रिमंडल से चलता किया गया।
4. प्रमोद जैन "भाया" गत विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बारां जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया तो इस जीत का सेहरा प्रमोद जैन "भाया" के सिर बंधा और मुख्यमंत्री ने उन्हें सार्वजनिक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मा सौंपा। लेकिन जब सिर्फ बारां पर ही मेहरबानी और कथित भ्रष्टाचार की शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची तो 16 नवंबर 2011 को उन्हें भी हटा दिया गया।
5. भरोसी लाल जाटव हिंडौन के खरेटा में अधिकारियों से मिलीभगत कर वनभूमि पर चार पुत्रों व प्रभावशाली लोगों के नाम पर गैरकानूनी तरीके से खनन पट्टे हासिल करने के मामले में पूर्व मोटर गैराज राज्यमंत्री भरोसी लाल जाटव का नाम आया तो 16 नवंबर 2011 को जाटव की छुट्टी कर दी गई।
6. गोलमा देवी सांसद पति किरोड़ी लाल मीणा के सरकार विरोधी हर कदम में सहयोग करने वाली गोलमा देवी ने नई सरकार के गठन के पांच माह बाद ही 2 अप्रेल 2009 को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भिजवा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ने गोलमा का इस्तीफा मंजूर नहीं किया। अंतत: 16 नवंबर 2011 को गोलमा को मंत्रिमंडल से विदा कर दिया गया।
7. हेमाराम चौधरी भावुक प्रवृत्ति के हेमाराम चौधरी पौने पांच साल तक जल संसाधन मंत्री की जिम्मेदारी संभालते रहे, लेकिन बाड़मेर में रिफाइनरी की जगह को लेकर मचे बवाल के बाद वे खुद को रोक नहीं पाए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेज दिया।
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