रिफाइनरी पचपदरा में, सरकार ने दी मंजूरी
जयपुर। बाड़मेर जिले में प्रस्तावित रिफाइनरी पचपदरा में ही लगेगी। राज्य सरकार ने सोमवार को इस पर हरी झंडी दे दी। अगले माह से ही पचपदरा में इसके लिए काम शुरू हो जाएगा। एचपीसीएल की ओर से पूर्व में प्रस्तावित लीलाणा और पचपदरा की तुलनात्मक रिपोर्ट पेश कर दी हैइसमें पचपदरा क्षेत्र को तकनीकी रूप से रिफाइनरी के लिए अधिक उपयुक्त बताया गया है। मुख्य सचिव सी.के.मैथ्यु की अध्यक्षता में आयोजित टास्क फोर्स की बैठक में इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद यह निर्णय किया गया है।
।सूत्रों ने बताया कि पचपदरा में 11 हजार बीघा भूमि रिफाइनरी के लिए ली जाएगी। इस क्षेत्र में 28 हजार बीघा भूमि सरकारी होने के कारण अवाप्ति में भी सरकार को कोई मुसीबत सामने नहीं आएगी। 11 हजार बीघा भूमि में रिफाइनरी प्लांट के अलावा आवासीय कॉलोनी भी विकसित की जाएगी। दो गांवों की जमीन
रिफयनरी के लिए जो जमीन चिह्नित की गई है वह पचपदरा इलाके के दो गांवों में आती है। इनमें सांवरा और साजियाली रूपजी कंठवाड़ा गांव शामिल हैं। यह भूमि पचपदरा से छह किलोमीटर दूर स्थित है।
यूं जीता पचपदरा
- पचपदरा में जमीन समतल है जबकि लीलाणा में भूमि में धोरे थे।
- संसाधन विकसित करने में लीलाणा में 2500 करोड़ का खर्च आता, जबकि पचपदरा में यह राशि 1300 करोड़ रूपए ही आएगी।
- अन्तरराष्ट्रीय सीमा से लीलाणा में दूरी 120 किलोमीटर थी, जो पचपदरा में 152 किलोमीटर होगी।
- पचपदरा में पॉवर लाइन की दूरी महज 20 किलोमीटर है, जबकि लीलाणा में यह 46 किलोमीटर थी।
रिफाइनरी का गणित
इसी साल 14 मार्च को राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच रिफाइनरी की स्थापना को लेकर एमओयू हुआ था। इस परियोजना पर 37 हजार 230 करोड़ रूपए की लागत आएगी। पूर्व में इसके लिए बाड़मेर के लीलाणा में जगह तय की गई थी। लेकिन किसानों से भूमि अवाप्ति को लेकर विरोधाभास के बीच राज्य सरकार ने इसके लिए पचपदरा में संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी, जिसे सोमवार को मंजूरी मिल गई। सरकार की ओर से इसे प्रदेश के लिए इतिहास का एकमुश्त किया गया सबसे बड़ा निवेश बताया जा रहा है।
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