सोमवार, 10 जून 2013

आडवाणी ने दिया पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा, मनाने की कोशिशें जारी

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी में अपनी अनदेखी कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज़ होकर पार्टी के संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी तथा चुनाव समिति समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।आडवाणी ने दिया पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा, मनाने की कोशिशें जारी
हालांकि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 85-वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी को मनाने के लिए उनके आवास पर जाकर उनसे मुलाकात भी की, लेकिन आडवाणी ने वहीं उन्हें त्यागपत्र थमा दिया। राजनाथ सिंह को दिए इस पत्र में लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा है, "अब मुझे नहीं लगता, बीजेपी वैसी आदर्शवादी पार्टी रह गई है, जैसी श्यामाप्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख तथा अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाई थी, जिनकी सबसे बड़ी चिंता देश और उसकी जनता हुआ करते थे, लेकिन आजकल अधिकतर बीजेपी नेता अपने निजी एजेंडों की ही चिंता में लगे रहते हैं।"

उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है, "मेरे लिए अब पार्टी के कामकाज के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल होता जा रहा था, और उस दिशा से भी मैं सहमत नहीं था, जिसमें अब बीजेपी जाती दिखाई दे रही है।" इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि राजनाथ सिंह ने आडवाणी का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। आडवाणी को मनाने के लिए सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, विजय कुमार मल्होत्रा जैसे कई नेता उनके आवास पर मौजूद हैं। सुषमा ने कहा कि आडवाणी का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि वह आडवाणी को मना लेंगी। आडवाणी के आवास पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी जुटे हुए हैं। वहीं, शाम में वेंकैया नायडू एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह और मोदी दोनों को आडवाणी के आवास पर उनका आशीर्वाद लेने जाना था, लेकिन आडवाणी ने राजनाथ सिंह से कहा कि वह अकेले उनसे मिलने आएं। दोनों के मिलने पर आडवाणी ने मोदी को नई जिम्मेदारी दिए जाने पर अपने गुस्से और असंतोष का इजहार किया। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ ने आडवाणी से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन पार्टी के वयोवृद्ध नेता ने कहा कि वह अपने फैसले पर अडिग हैं।

उल्लेखनीय है कि लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र मोदी को चुनावी कमान सौंपने के सख्त खिलाफ थे और वह गोवा में संपन्न हुई पार्टी की अहम बैठक में शिरकत करने भी नहीं पहुंचे थे, लेकिन आडवाणी की आपत्तियों को नजरअंदाज करके बीजेपी ने रविवार को नरेंद्र मोदी को ही चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया, जिसके बाद आडवाणी ने अप्रत्याशित रूप से बीजेपी के 12-सदस्यीय संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी तथा चुनाव समिति समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।

दरअसल, अस्वस्थता के बहाने अपनी नाराजगी से पार्टीजनों को अवगत कराने वाले आडवाणी ने रविवार को अपने ब्लॉग पर कई रूपकों के जरिये लोगों को अपनी भावनाओं से दो-चार कराने की कोशिश भी की थी। आडवाणी के ब्लॉग पर 9 जून को की गई प्रविष्टियों में कई ऐतिहासिक और मिथकीय पात्रों, जैसे जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर, इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी, शरशैया पर लेटे भीष्म पितामह और महायोद्धा अर्जुन का उल्लेख किया गया था।

उधर, नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक माने जाने वाले गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने भी पिछले सप्ताह ही राजनेताओं के संन्यास लेने की उम्र 65 होने की इच्छा जताते हुए एक टिप्पणी की थी, जिसे 85-वर्षीय आडवाणी के संदर्भ में ही देखा जा रहा था। इसके अलावा उन्होंने इससे पहले भी वरिष्ठ नेताओं के लिए 'सड़े हुए अचार' शब्द का इस्तेमाल किया था।

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