रविवार, 30 जून 2013

जैसलमेर सृजनधर्मी आनंद जगाणी




इन्द्रधनुषी व्यक्तित्व से झरता है आनंद



किसी एक व्यक्तित्व में इन्द्रधनुषी रंगों और रसों से भरी बहुआयामी प्रतिभाओं का दर्शन करना हो तो उसके लिए एक ही नाम काफी है और वह हैं जैसलमेर की सरजमीं के रत्न श्री आनंद जगाणी।
अपने भीतर व्यापक ऊर्जाओं और हुनरों को समेटे हुए श्री आनंद जगाणी कवि, लेखक, साहित्यकार, मंच संचालक, उद्घोषक, रंगकर्मी और कर्मचारी नेता से लेकर समाजसेवी की भूमिकाओं में हर किरदार को बखूबी जीते हैं। मरु अंचल की लोकस्पर्शी परंपराओं में श्री आनंद जगाणी जानी-मानी हस्ती हैं जिन्हें परिवेशीय विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों में मुखर अभिव्यक्ति के साथ देखा जा सकता है।


रचनात्मक गतिविधियों की धड़कनजैसलमेर में आयोजित होने वाले हर तरह की साहित्यिक-सांस्कृतिक, धार्मिक और रचनात्मक गतिविधियों के साथ ही राजकीय समारोहों और सामाजिक-राष्ट्रीय सरोकारों भरे कार्यक्रमों में कभी उद्घोषक के रूप में, कभी संभागी और कभी मंच संचालक के रूप में श्री आनंद जगाणी को अपने हुनर का आकर्षण और आनंद बिखेरते हुए प्रभावी भूमिका में सहज ही देखा जा सकता है। सहज, सरल एवं सौम्य व्यक्तित्व के धनी श्री जगाणी की छोटी सी मुस्कान भी आत्मीयता का सुकून देने के साथ जाने बहुत कुछ कह जाती है।
विरसत में मिले साहित्यिक संस्कार
पेशे से लेखाकार जगाणी की साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों में बाल्यकाल से गहरी अभिरुचि रही है। जैसलमेर में रम्मत, लोक कला के प्रसिद्ध कलाकार एवं हर दिल अजीज इनके पिताश्री श्री मुकनलाल जगाणी ’मुकना भा’ व माता श्रीमती विमला देवी के संस्कारों तथा सुविख्यात लोक नाट्य रम्मत ’सती सावित्री’ के लेखक नाना श्री सुगनलाल व्यास से मिली विरासत के कारण आनंद जगाणी को बचपन से ही रंगकर्म व सांस्कृतिक-साहित्यिक क्षेत्र में अभिरुचि रही। विद्यालय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं शहर में आयोजित होने वाली रामलीला में वे प्रारंभ से ही भाग लेते रहे हैं। रामलीला में आप भगवान लक्ष्मण जी की भूमिका निभा चुके हैं।
छात्र जीवन से अग्रणी
स्वर्णनगरी जैसलमेर शहर के जगाणी पाड़ा निवासी श्री आनंद जगाणी छात्र जीवन से ही विद्यालयों में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं। स्काउट एवं एन.एस.एस. सेवाओं से भी आप सक्रिय रूप से जुड़े रहे। कॉलेज जीवन में आपने छात्र राजनीति में भी अहम् भूमिका निभाई व एस.बी.के राजकीय महाविद्यालय में उपाध्यक्ष पद पर चुनाव लड़कर विजयश्री का वरण किया। वे साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में हमेशा ही अग्रणी रहे हैं। जैसलमेर जिले के 825 वें स्थापना दिवस (वर्ष 1978) के उपलक्ष में और वर्ष 1990 में जिला स्तर पर आयोजित हुए अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन के दौरान भी आपने विशेष भूमिका निभाई व इन विराट आयोजनों के सह संयोजक भी रहे।
काव्य और व्यंग्य विधाओं में गहरी पैठ
साहित्य एवं कला में गहरी रुचि के कारण श्री जगाणी का झुकाव कविता एवं व्यंग्य लेखन की ओर हुआ। अब तक आपकी दो पुस्तकें ’हिवड़े री हूक’ ( राजस्थानी कविता संग्रह) व ‘बहस जारी है’( व्यंग्य संग्रह ) प्रकाशित हो चुकी है। इनके द्वारा लोककला रम्मत शैली में ’बाबा रामदेव’ रम्मत भी लिखी जा चुकी है, जिसका मंचन किया जाना है। आपका एक कविता संग्रह ’ काश मैं गरीब होता ’’ व व्यंग्य संग्रह ’ मंच के माफिया’ प्रकाशनाधीन है।
हिन्दी व राजस्थानी भाषा में गद्य और पद्य दोनों पर आपका समान अधिकार है। एक जुलाई 1ज962 को जैसलमेर में जन्मे श्री आनंद जगाणी सन 1980 से निरंतर साहित्य साधना में रमे हुए हैं।
ओजस्वी मंच संचालक के रूप में खासी पहचान
मंच संचालक एवं उद्घोषक के रूप में भी आपकी विशिष्ट पहचान है। पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोसिंह शेखावत के जैसलमेर में नागरिक अभिनंदन समारोह व पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के मुख्य आतिथ्य में हुए जैसलमेर के 850 वें स्थापना दिवस कार्यक्रम का संचालन आप द्वारा सफलतापूर्वक एवं गरिमामय तरीके से किया गया था। आप विगत वर्ष 1991 से अपने वरिष्ठ साथी एवं रचनाधर्मी गुरुजी श्री मनोहर महेचा के सान्निध्य में राष्ट्रीय पर्वो स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस समारोहों के जिला स्तरीय कार्यक्रमों का बखूबी संचालन कर रहे हैं।
जैसलमेर शहर में प्रति वर्ष आयोजित होने वाली जानी-मानी हिन्दी बॉलीवुड संगीत की दुनिया की हस्तियां जगविख्यात गायक स्व. मोहम्मद रफी नाईट हो चाहे संगीतकार किशोरकुमार नाईट और मुकेश नाईट की शुरूआत आप द्वारा ही की गई। इनके द्वारा मुकेश नाईट -शो का संचालन भी किया जा रहा है।
मायड़ भाषा के लिए संघर्ष
राजथानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के आप जिला संयोजक भी हैं। वहीं वर्ष 2004 से 2007 तक राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की वित्त उप समिति के सदस्य रहे हैं तथा वर्तमान में श्री जगाणी अकादमी की आयोजन उप समिति के सदस्य हैं।
साहित्यिक क्षेत्र में सतत् एवं सक्रिय रहने पर गत वर्ष जैसलमेर के मनाए गए 857 वें स्थापना दिवस पर आपको महारावल हरिराज साहित्य पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा भी श्रेष्ठ उद्घोषक के रूप में प्रशंसा-पत्र प्रदान किया जाकर सम्मान दिया गया। जैसलमेर में हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के साथ ही श्री जगाणी ने जयपुर में आयोजित प्रथम विश्व राजस्थानी भाषा सम्मेलन में भी हिस्सा लिया गया।
संगठन कौशल ने दिया नेतृत्व
साहित्यकार, कवि एवं उद्घोषक के अलावा जगाणी कर्मचारी हितों के लिए संघर्ष करने में सदैव अग्रणी रहे हैं। वर्षो तक जैसलमेर कोषालय में अपनी सेवाएँ देने वाले जगाणी एकाउन्टेंट एसोसियेशन के तीन बार जिलाध्यक्ष, दो बार प्रान्तीय प्रतिनिधि रहे हैं। वर्तमान में आप एकाउन्टेंट एसोसियेशन के प्रदेश सचिव हैं।
आकाशवाणी केन्द्र से भी आपका गहरा जुड़ाव रहा है। आकाशवाणी द्वारा आयोजित नाट्य महोत्सव, बाड़मेर और जयपुर में आप प्रस्तुति दे चुके हैं तथा आकाशवाणी जैसलमेर में समय-समय पर कृषि कार्यक्रम का भी प्रस्तुतीकरण कर चुके हैं। आपके द्वारा लिखित ’’ तनोट माता के भजनों ’’ की ओडियो कैसेट भी रिलीज हो चुकी है।
 

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