सोमवार, 10 जून 2013

ननिहाल ही नहीं, प्रताप की जन्मस्थली भी है पाली





ननिहाल ही नहीं, प्रताप की जन्मस्थली भी है पाली


 
मां-जैवंती बाई प्रताप के नाना अखेराज 


प्रताप के व्यक्तित्व को शौर्यवान और नीति निपुण बनाने में ननिहाल की बड़ी भूमिका रही 



 पाली



पाली की लाडली जैवंती बाई की कोख से जन्मे प्रताप के व्यक्तित्व को शौर्यवान और नीति निपुण बनाने में ननिहाल की बड़ी भूमिका रही है। अपने रण कौशल के बूते शेरशाह सूरी को लोहे के चने चबाने वाले अखेराज इनके नाना थे। बताया जाता है कि हल्दी घाटी के युद्ध क्षेत्र में व्यूह रचना के तहत छाया की तरह साथ रहने और इनके राज्याभिषेक में मददगार रहे मानसिंह इनके मामा थे। संकट के क्षणों में उत्साह जगाने वाले पृथ्वीराज इनके मौसेरे भाई थे।

कई सबूत हैं पाली में प्रताप के जन्म के : मारवाड़ में बेटी का पहला जापा करवाने की प्रथा के कारण प्रताप का जन्म पाली में होना तो माना ही जाता है। इतिहासकार अर्जुनसिंह शेखावत तो जन्मपत्रियों के संदर्भ से इनका जन्म भी यहीं होना बताते हैं। इनके अनुसार जन्मपत्रियों में वर्णित अक्षांश व देशांतर रेखाओं की स्थिति से भी यही क्षेत्र इनका जन्म स्थान हो सकता है। प्रताप की जन्मपत्री चंडू पंचांग से बनी है। मूथ नैणसी ने भी 'मारवाड़ की विगत' में प्रताप का जन्म पाली में होना बताया है। महाराणा प्रताप जन्म स्थली विकास समिति पाली के अध्यक्ष एडवोकेट शैतानसिंह सोनगरा के अनुसार नामली ठिकाना के रावजी प्रेमसिंह की बही में भी प्रताप का जन्म पाली में होना लिखा है। प्रचलित परंपराओं में पुत्री की प्रथम प्रसूति पीहर में ही होती है, इसी धारणा से भी इन तथ्यों को बल मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार प्रताप को बचपन से ही ननिहाल का सानिध्य अधिक मिला। तत्कालीन राजनीतिक और कूटनीतिक हालात भी इसकी अप्रत्यक्ष वजह रही। 'महाराणा प्रताप एंड हिज टाइम' स्मारिका में लिखा है कि महाराणा प्रताप ने अपने पिता से बचपन में अवहेलना और उपेक्षित व्यवहार पाया था। कई विषय विशेषज्ञ भी मानते हैं कि उदयसिंह का जैवंती बाई से भी ज्यादा भटियाणी रानी से प्रेम था। इसके परिणाम स्वरूप भी प्रताप के बचपन का कुछ समय पाली में बीता। अखेराज के शौर्य से जुड़ते कई किस्से आज इतिहास के स्वर्णिम हिस्सा बन गए हैं। इतिहास के एक प्रसंग के अनुसार शेरशाह सूरी से लडऩे के न्यौता की सूचना राव कूंपा ने एक रेबारी के हाथों अखेराज तक भेजी। उस समय वे तालाब (जिसे आज लाखोटिया तालाब कहा जाता है) में स्नान कर रहे थे। पराक्रम दिखाने के अवसर की जानकारी से उल्लासित होकर अखेराज ने अपने हाथों में पहने सोने के कड़े उतार कर रेबारी को बधाई स्वरूप दे दिए। स्वयं उदयसिंह द्वारा भी अखेराज द्वारा रणनीतिक सहयोग की अपील का जिक्र संदर्भ ग्रंथों में मिलता है। सुमेल-गिरी युद्ध में कौशल दिखाने की इनकी वीरता तो कालजयी है। प्रताप के व्यक्तित्व पर इन सबका प्रभाव हुआ। संघर्षों की तपिश झेलने की सीख तो संस्कारों से ही मिलती है। तत्कालीन हालातों में जैवंती कई के हाथों प्रताप की परवरिश को भी इतिहासकार बेमिसाल मानते हैं। इनकी बहन रतन बाई के पुत्र पृथ्वीराज ने भी समय-समय पर अपनी रचनाओं को इनकी ऊर्जा को प्रवाह दिया।

पोळ का नामकरण प्रताप के नाम पर हो

'पंद्रह सौ सतावने, जेष्ठ शुक्ला तीज जन्म भयो कूका को, वंदित विछुज्यो बीजा' प्रताप का जन्म का नाम कूका था। उनकी जन्मपत्री में अक्षांश-देशांतर तथा प्रचलित परंपराओं की मान्यताओं के आधार पर कहा जा सकता है कि उनका जन्म पाली में ही हुआ। पुरानी कचहरी की पोळ का नामकरण इनके नाम पर होना चाहिए। - डॉ. अर्जुनसिंह शेखावत, इतिहासकार

प्रेरणा स्मारक बने

महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व पर उनके नाना पाली नरेश अखेराज का प्रभाव था। पाली में दो शताब्दियों तक शासन करने वाले सोनरा शासकों में ये सर्वाधिक प्रतापी थे। पुरखों से मिली जानकारी से भी इस तथ्य को बल मिलता है कि इनका जन्म पाली में हुआ था। प्रताप तथा उनकी जननी जैवंती के जीवन से संबंधित स्मारकों के निर्माण से आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा मिलेगी। - एडवोकेट शैतानसिंह सोनगरा, अध्यक्ष, महाराणा प्रताप जन्मस्थली विकास समिति, पाली

आज कवि सम्मेलन में होगा प्रताप के शौर्य का गुणगान

पाली त्न धानमंडी स्थित जूनी कचहरी में सोमवार को महाराणा प्रताप जन्म स्थली विकास समिति एवं नगर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम की व्यवस्थाओं को लेकर समिति के अध्यक्ष शैतानसिंह सोनगरा के नेतृत्व में समिति के पदाधिकारियों की रविवार को हुई बैठक में अंतिम रूप दिया गया। कार्यक्रम के संयोजक उगमराज सांड एवं रितेश छाजेड़ ने बताया कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 473वी जन्म जयंती के उपलक्ष्य में 10 व 11 जून को दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत सोमवार रात 8 बजे कवि सम्मेलन होगा, जिसमें राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवि उमेश उत्साही, मुकेश सीरवी, सिद्धार्थ देवल, राजकुमार बादल, गिरीश विद्रोही, संपत सुरीला, बलवंत बल्लू सहित दर्जनभर कवि शिरकत करेंगे। समिति के चंपालाल सिसोदिया ने बताया कि महाराणा प्रताप जयंती का मुख्य समारोह जूनी कचहरी परिसर में मंगलवार सवेरे 9$ 30 बजे आयोजित होगा। समारोह के मुख्य अतिथि विधायक ज्ञानचंद पारख होंगे, जबकि अध्यक्षता नगर परिषद चेयरमैन केवलचंद गुलेच्छा करेंगे। वहीं विषिष्ठ अतिथि एसपी के. बी. वंदना, एडीएम हरफूलसिंह यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष महेंद्र बोहरा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अजीज दर्द समेत शहर के कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए नगर परिषद आयुक्त रामसिंह पालावत, समिति के प्रदीप कच्छवाह, रविमोहन भूतड़ा, प्रकाश शर्मा, तरुण चौहान, कुलदीपसिंह सोनगरा, प्रवीण शर्मा, महेश बागड़ी, दीपाराम परमार, गुलबाग सिंह, हीरालाल मास्टर, गुलाबसिंह सोनगरा समेत आर्य वीर दल, महाराणा प्रताप कमांडो फोर्स, शिवसेना व बजरंग दल के दर्जनों कार्यकर्ता जुटे हुए हैं।












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