युवती ने परिजनों के संग जाने से किया इनकार
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की खण्डपीठ ने एक बालिग युवती को उसकी इच्छा के अनुरूप कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र कर दिया। युवती ने परिजनों के साथ जाने से इनकार कर दिया था।
पाली जिले के भींयाराम ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उसकी नाबालिग बहन का तीन माह पूर्व अप्रार्थी तेजाराम व उसके परिजनों ने अपहरण कर लिया। शुक्रवार को राजकीय अधिवक्ता बी.के. मेहर ने पुलिस अधिकारियों के साथ युवती को खण्डपीठ के समक्ष पेश किया। खण्डपीठ के समक्ष उसने स्वेच्छा से घर से तेजाराम के साथ जाना तथा उसके जाने की इच्छा जाहिर की। खण्डपीठ के समक्ष तेजाराम के भाई पुरखाराम ने भी युवती को अपने भाई की विवाहिता मानते हुए पूरे परिवार को स्वीकार होना बताया। खण्डपीठ ने युवती द्वारा पुलिस को दिए बयान तथा न्यायालय में जताई इच्छा के आधार पर उसकी बालिग उम्र के मद्येनजर स्वेच्छा से कहीं पर जाने को स्वतंत्र माना।
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