गुरुवार, 27 जून 2013

जन्मदिवस पर पद्मश्री रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने व्यक्त की अपनी पीड़ा

राजस्थानी को मान्यता न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण

जन्मदिवस पर पद्मश्री रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने व्यक्त की अपनी पीड़ा


जयपुर 24 जून। राजस्थानी भाषा की सुप्रसिद्ध लेखिका पद्मश्री रानी लक्ष्मीकुमारी चूंडावत ने कहा है कि 60 वर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद भी राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है तथा इसके लिए प्रदेश व देश की सरकारें दोषी हैं। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति की ओर से सोमवार को उनके 98वें जन्मदिन पर बनीपार्क स्थित उनके निवास पर आयोजित एक सम्मान समारोह में संघर्ष समिति कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने यह पीड़ा व्यक्त की। अपनी अस्वस्थतता के बावजूद उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक है तथा इसके मान-सम्मान की रक्षा के लिए हर राजस्थानी को अपना फर्ज निभाना चाहिए।
समिति के संस्थापक एवं अन्तरराष्ट्रीय संगठक लक्ष्मणदान कविया एवं कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के.सी. मालू ने चूंडावत को माला, शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर मालू ने कहा कि राजस्थानी भाषा की प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं भारतीय राजनीति में 40 वर्ष तक देश एवं प्रदेश की सेवा करने वाली रानी साहिबा ने 60 वर्ष तक साहित्य सृजन कर राजस्थानी भाषा के साहित्य भण्डार में श्री वृद्धि की है इसलिए प्रदेश की जनता की ओर से संघर्ष समिति ने उनका सम्मान कर अपना फर्ज निभाया है। सम्मान समारोह में रानी साहिबा के परिजन एवं संघर्ष समिति के ओमेन्द्र भादा, संभागीय महामंत्री इन्द्र सिंह हरमाड़ा, रघुवीर सिंह आदि ने उनको स्वस्थ व दीर्घायु जीवन के लिए शुभकामनाएं दी।

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