रविवार, 9 जून 2013
फिफ्टी विलेजर्स संस्थान के करियर सेमीनार में गुरूओं ने दिखाया सफलता का रास्ता
''असंभव कुछ भी नहीं
- फिफ्टी विलेजर्स संस्थान के करियर सेमीनार में गुरूओं ने दिखाया सफलता का रास्ता
बाडमेर। यदि इंसान कुछ कर गुजरने की ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं होता है। इसलिए विधार्थियों को चाहिए कि वे अटल निर्णय और कड़ी मेहनत के बलबूते अपनी सफलता को मुटठी में कर ले। इन सब के लिए एकाग्रता भी बेहद जरूरी है। वक्ताओं के इन्हीं मोटिवेशनल विचारों के जरिए रविवार को शहर के विधार्थी लाभानिवत हुए। मौका था 50विलेजर्स संस्थान के करियर सेमीनार का, जिसमें सैंकड़ों विधार्थियों एवं अभिभावकगण मौजूद थे। मुख्य अतिथि के तौर पर चौहटन एसडीएम राकेश चौधरी और विशिष्ट अतिथि के रूप में सेवानिवृत व्याख्याता कमलसिंह महेचा, माणकलाल सोनी, प्राधानाचार्य चैनाराम चौधरी, शिशु रोग विशेष महेंद्र चौधरी, प्रोफेसर नवल किशोर, जियाराम बाना व सेवानिवृत कारगिल हिरो खेमाराम आर्य मौजूद थे।
एसडीएम श्री चौधरी ने कहा कि आत्मविश्वास सफलता की कूंजी है। निरंतरता और धैर्य से सफलता अवश्य मिलती है। बालक देश के कर्णधार है और उन्हें संवारने के लिए शिक्षकों को दायित्व भी अहम रहता है। वहीं विधार्थियों को भी चाहिए कि वे भविष्य के बारे में सोचते समय शिक्षकों की राय अवश्य लें। श्री महेचा ने कहा कि किसी भी बालक की पहली शिक्षा मां होती है और इसके बाद गुरूओं की भूमिका ही उसे सफलता दिलाती है। सही और उचित रास्ता दिखाने वाला सारथी गुरू ही होता है। उन्होेंने कहा कि गुरूओं को दिखलाए रास्ते पर चलने वाले विधार्थी कभी असफल नहीं होते। साथ ही अधिक से अधिक विधार्थियों को शैक्षणिक पेशे में आने का आहवान किया। इस मौके पर संबोधित करते हुए राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय के प्राधानाचार्य चैनाराम चौधरी ने कहा कि बालकों को सही राह दिखाना हम सब की जिम्मेदारी है। विधार्थियों को भी चाहिए कि वे मन लगाकर विधाजर्न करें और अपने भविष्य को संवारे। अन्य वक्ताओें ने विधार्थियों को समय का सदुपयोग, जीवन ध्येय तय करना व उसके प्रति र्इमानदारी व लगन से समर्पित भाव से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। 50विलेजर्स संस्थान के डा. ओमप्रकाश डूडी ने बताया कि आगामी रविवार को आर्इपीएस व कृषि क्षेत्र में जाने वाले विधार्थियों का मार्गदर्शन किया जाएगा। अतिथियों का डा. भरत सहारण ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन डा. सुरेंद्र चौधरी ने किया।
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