मंगलवार, 7 मई 2013

खास खबर ...जैसलमेर कुलधरा में भूतो और प्रेतातामाओ से बातचीत का दावा

PHOTOS: किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, पर वहां कोई नहीं था!

भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली टीम ने कुलधरा में की भूतों से बात, दिल्ली से आई पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा गांव में बिताई रात। टीम ने माना कि यहां कुछ न कुछ असामान्य जरूर है।


जैसलमेर. भूत प्रेत व आत्माओं की उपस्थिति के बारे में विख्यात किस्से कहानियों पर कोई विश्वास करता है तो कोई नहीं। लेकिन भूत प्रेत व आत्माओं के डर को दूर करने व इसके रिसर्च में जुटी संस्था पेरानॉर्मल सोसायटी दिल्ली भी मानती है कि ऐसे भयानक स्थानों पर कुछ न कुछ असामान्य जरूर है। हालांकि उनके अनुसार डरने वाली कोई चीज नहीं है, बस आत्मविश्वास बढ़ जाए तो असामान्य स्थिति भी नजर नहीं आती है। टीम के एक सदस्य ने बताया कि विजिट के दौरान रात में कई बार मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, जब मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था।




दिल्ली की पेरानॉर्मल सोसायटी की टीम अध्यक्ष गौरव तिवारी के नेतृत्व में शनिवार की रात्रि में कुलधरा गांव पहुंची। ऐसी धारना है कि कुलधरा में रात बिताना मुमकिन नहीं है, यहां कई आत्माओं का वास है। इसी डर को दूर करने के लिए सोसायटी के 18 सदस्य एवं अन्य 10-12 लोग रात्रि में कुलधरा गांव में रहे। इसके लिए इस टीम ने कलेक्टर से परमिशन भी ली थी।


टीम के सदस्यों के साथ गए कुछ लोगों ने बताया कि वास्तव में कुलधरा में आत्माएं निवास करती है। टीम ने इलेक्ट्रोनिक उपकरणों से इसका पता लगाया जिसमें कई असामान्य स्थितियां सामने आई। कहीं परछाई नजर आई तो कहीं कुछ आवाजें और तो और टीम की गाडिय़ों पर बच्चों के हाथ के निशान भी दिखाई दिए।


आत्माओं ने अपने नाम भी बताए


पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया कि हमारे पास एक डिवाइस है जिसका नाम गोस्ट बॉक्स है। इसके माध्यम से हम ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी ऐसा ही किया जहां कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए।



अचानक तापमान में उतार चढ़ाव


इस टीम के पास एक के-2 मीटर डिवाइस थी जिससे वे तापमान को रिकार्ड कर रहे थे। रात्रि में कुलधरा में करीब एक बजे जहां तापमान 41 बता रहा था वहीं कुछ दूर चलने पर अचानक तापमान 31 हो गया। शर्मा का कहना है कि कुछ न कुछ पेरानॉर्मल था। टीम के सदस्यों को शुरूआत में ऐसा अहसास हुआ कि उनके कंधे पर कोई हाथ रख रहा है वहीं कुछ स्थानों पर लेजर किरणों में ऐसा महसूस हुआ कि परछाई के रूप में कोई जा रहा है।






बच्चों के हाथ के निशान मिले


शनिवार की रात्रि में जो टीम कुलधरा गई थी उनकी गाडिय़ों पर बच्चों के हाथ के निशान मिले। टीम के सदस्य जब कुलधरा गांव में घूमकर वापस लौटे तो उनकी गाडिय़ों के कांच पर बच्चों के पंजे के निशान दिखाई दिए।



अंधविश्वास व डर को दूर करना उद्देश्य


टीम के सदस्यों ने बताया कि टीम इस विषय पर रिसर्च कर रही है और उनका मुख्य उद्देश्य अंधविश्वास और डर को दूर करना। रात्रि में कुलधरा गांव में जहां शुरूआत में कुछ असामान्य स्थिति सामने आई वह धीरे धीरे कम होती गई। जैसे जैसे टीम के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ा वैसे वैसे ही असामान्य चीजें खत्म होती गई। शर्मा ने बताया कि पेरानॉर्मल सोसायटी ऐसी डरावनी व भयानक 500 जगहों का अवलोकन कर चुकी है। जहां ऐसी धारणा होती है कि रात बिताना मुमकिन नहीं है वहां वे रात बिताते हैं और लोगों के भय को दूर करने का प्रयास करते हैं।






दिखी असामान्य चीजें

हमने कुलधरा में एक रात बिताई, जहां कुछ असामान्य चीजें सामने आई। गाडिय़ों पर पंजों के हाथ के निशान, गोस्ट बॉक्स से सवाल पूछे गए तो कुछ नाम भी सामने आए और इसके अलावा कुछ असामान्य अहसास भी हुआ। हालांकि यह सब डरावना नहीं था, जैसे जैसे आत्मविश्वास बढ़ा वैसे ही असामान्य स्थितियां कम होती गई। हमारा उद्देश्य अंधविश्वास व डर को दूर करना है।


अंशुल शर्मा, उपाध्यक्ष, पेरानॉर्मल सोसायटी दिल्ली





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें