शुक्रवार, 24 मई 2013

सभी गरीबों के "घर" हंै!

सभी गरीबों के "घर" हंै!

बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिले में अनुसूचित जाति व जनजाति के बीपीएल परिवारों मे सभी के पक्के "घर" हैं। मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना के आंकड़े तो यही कहते हैं। इस वर्ष जिले में योजना से लाभांवित होने वाले 8 हजार 724 में से केवल तीन परिवार ही इन वर्ग से हैं।

इंदिरा आवास योजना की तर्ज पर ग्रामीण इलाकोे में आवास उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना लागू हुई। इसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति, मुक्त बंधुआ मजदूर, अल्पसंख्यकों व गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को आवास निर्माण में मदद देना है।

तीन ही हंै क्या
मुख्यमंत्री आवास योजना में एससी एसटी के तीन ही हैं क्या? इसे देखना पड़ेगा। अभी बैठक में हूं।
एल आर गुगरवाल मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद


केवल तीन
योजना के तहत इस वर्ष जिले में 7 हजार530 ओबीसी और 1191 सामान्य वर्ग के गरीब लाभान्वित हुए हैं। इन दोनों वर्गो को 45 हजार प्रति लाभार्थी के हिसाब से 39 करोड़ 24 लाख नब्बे हजार रूपए मिले हैं,जबकि एससी व एसटी वर्ग के तीन परिवारों को मात्र डेढ़ लाख रूपए मिले हैं।

सरासर झूठे आंकड़े
रसद विभाग के अनुसार जिले में एक लाख एससी एसटी के गरीब परिवार हैं। इतने घर नहीं बने हंै। यह सरासर झूठे आंकड़े है। इसकी जांच होनी चाहिए।
लक्ष्मण बडेरा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भाजपा अजाजजा मोर्चा

सारे लाभान्वित कर लिए
इंदिरा आवास योजना में 60 प्रतिशत एससी व एसटी को लाभान्वित करना था,इस कारण सारे ही लाभान्वित हो गए। अब कोई बकाया नहीं रहा तो अन्य को मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना में लाभान्वित किया है।
तेजाराम चौधरी योजना के प्रभारी अभियंता

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