शुक्रवार, 24 मई 2013

रिफाइनरी पचपदरा में!

रिफाइनरी पचपदरा में!

जयपुर। बाड़मेर के लीलाला में रिफाइनरी के लिए जमीन अवाप्ति में आ रही परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार इसे पचपदरा ले जाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए एचपीसीएल की टीम एक-दो दिन में पचपदरा का दौरा करेगी। टीम के विशेषज्ञ मिट्टी की टेस्टिंग के लिए नमूने लेंगे। नमूनों की जांच रिपोर्ट दो दिन में मिलेगी। इसमें बताया जाएगा कि रिफाइनरी पचपदरा में लग सकती है या नहीं। प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लगेगा।

गुरूवार को मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू ने टास्कफोर्स की बैठक ली। लीलाला में जमीन अवाप्ति की एवज में किसानों की ओर से भारी भरकम मुआवजा मांगे जाने को देखते हुए पचपदरा में सरकारी जमीन पर रिफाइनरी लगाने पर विचार हुआ।

जानकार सूत्रों के मुताबिक पचपदरा में करीब 35 हजार बीघा सरकारी जमीन खाली पड़ी है। इसमें कुछ हिस्सा खारा है। शेष करीब 12 हजार बीघा जमीन ठीक है, जबकि रिफाइनरी व आवासीय योजना के लिए मात्र साढ़े 9 हजार बीघा जमीन की आवश्यकता है। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव नगरीय विकास जी.एस. संधु, पेट्रोलियम सचिव सुधांश पंत, एचपीसीएल के निदेशक रिफाइनरी के मुरली के अलावा विद्युत, पेयजल सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

एचपीसीएल की टीम पचपदरा का मौका देखने के बाद रिपोर्ट देगी। उसकी रिपोर्ट पर रिफाइनरी पचपदरा में लगाने की कवायद शुरू होगी। सुधांश पंत, सचिव पेट्रोलियम

ये होगा लाभ
सरकार को किसानों को भारी-भरकम मुआवजा नहीं देना पड़ेगा।
एचपीसीएल को मात्र 30 किमी अतिरिक्त लाइन डालनी होगी।
बाड़मेर को होने वाले पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति मिल जाएगी।

घट जाएंगे दाम
लीलाला में वर्ष 2005 में डीएलसी दरें मात्र 3300 रूपए बीघा थी
रिफाइनरी का जिक्र होते ही वर्ष 2006 में डीएलसी दरें बढ़कर 37 हजार रूपए बीघा हो गई।
फिर जमीनों के भाव गिर जाएंगे।

मास्टर प्लान बनाओ
बैठक में बताया कि रिफाइनरी के लिए 28 एमजीडी पानी उपलब्ध कराने की इंदिरा गांधी नहर मण्डल ने अनुमति दे दी है। 15 से 20 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी। पेयजल के स्थानीय वैकल्पिक स्त्रोत के लिए चावड़ा-नीमला में बोरिंग खोदने के लिए सेन्ट्रल वाटर बोर्ड से अनुमति ली जा रही है। रिफाइनरी लगने के बाड़मेर व आस-पास के कस्बों के होने वाले विकास को देखते हुए नगरीय विकास विभाग को मास्टर प्लान तैयार करने को कहा है।

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