अटका 40 करोड़ का मुआवजा
बाड़मेर। गिरल लिग्नाइट परियोजना तृतीय फेज के लिए अवाप्त की गई भूमि का मुआवजा लेने के लिए किसान तैयार है, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। किसानों के करीब चालीस करोड़ रूपए एक वर्ष से अटके हुए हैं। ऎसे में किसानों को प्रतिदिन हजारों रूपए ब्याज का नुकसान भुगतना पड़ रहा है।
गिरल लिग्नाइट परियोजना तृतीय फेज के लिए थूम्बली, गिरल, जालीला गांवों की करीब 2800 बीघा जमीन अवाप्त करने की प्रक्रिया 5 मई 2012 को पूर्ण हो गई। किसानों को 2 लाख 70 हजार रूपए प्रति बीघा के हिसाब से मुआवजा दिया गया। जालीला व गिरल के काश्तकारों ने तत्काल मुआवजा ले लिया। करीब 1500 बीघा जमीन के मालिक थूम्बली के किसानों ने तत्समय मुआवजा लेने से इनकार किया और धरने पर बैठ गए। इन्होंने गांव के मंदिर, ओरण, आबादी, तालाब व श्मशान भूमि को अवाप्ति से मुक्त रखने की मांगें रखी और मांगें मानने की स्थिति में मुआवजा लेने की बात कही। करीब इकतीस दिन तक चले धरने के बाद तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने मौके पर पहुंचकर किसानों का धरना खत्म करवाया और मांगें मान ली।
मुआवजे के लिए संघर्ष
किसानों ने धरना तो खत्म कर दिया, लेकिन उन्हे यह अनुमान नहीं था कि उन्हें अपनी जमीन का मुआवजा लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। आरएसएमएलएल ने किसानों को न्यायालय के जरिए मुआवजा लेने की राह दिखाई। किसान हाईकोर्ट गए। जहां किसानों के पक्ष में निर्णय हुआ। आरएसएमएलएल ने राज्य सरकार के आदेश के बाद मुआवजा देने की बात कही। किसान नेताओं ने राज्य सरकार से आदेश करवाए। आरएसएमएलएल ने आदेश में त्रुटि होने की बात कही। इसलिए राज्य सरकार से पुन: आदेश करवाया गया। फिर भी अभी
तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला है।
टिप्पणी से इनकार
इस संबंध में आरएसएमएमएल के स्थानीय प्रोजेक्ट मैनेजर से सम्पर्क नहीं हो पाया। उप महाप्रबंधक भू-विज्ञान आरएसएमएमएल जयपुर हर्षवर्द्धनसिंह से सम्पर्क हुआ, लेकिन उन्होंने इस मसले में टिप्पणी करने से इनकार किया।
देरी कर रहे हो तो कीमत बढ़ा दो
मुआवजा देने में आरएसएमएमएल के स्तर पर ढिलाई की हद हो गई है। वर्ष भर पहले जमीन की जो कीमत थी, वह अब बढ़ गई है। पूर्व निर्घारित कीमत पर तत्काल मुआवजा मिले तो बात बने अन्यथा जब भी मुआवजा दिया जाए, जमीन की दर नए सिरे से निर्घारित की जाए। ताकि किसानों के साथ न्याय हो।
वीरसिंह राठौड़ अध्यक्ष, किसान विकास समिति गिरल
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