डीईओ ऊंघते रहे, बीईईओ ने कर दिए आदेश!
बाड़मेर। बजट में क्रमोन्नत व स्वीकृत किए गए नए विद्यालयों पर रोक लगाने के राज्य सरकार के आदेश के बावजूद बाड़मेर में विद्यालय क्रमोन्नत कर दिए गए। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर (डीईओ)ने ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को तत्काल लिखित निर्देश नहीं दिए। इस स्थिति में ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी बाड़मेर (बीईईओ) ने विद्यालयों के क्रमोन्नति आदेश जारी कर दिए।सरकार के स्थगन आदेश के बावजूद क्षेत्रीय विधायक नवक्रमोन्नत विद्यालयों के लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हें .
राज्य सरकार के बजट में एक अप्रेल को बाड़मेर जिले में 94 प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किया गया एवं 52 नए विद्यालय स्वीकृत किए गए। अठारह अप्रेल को सरकार ने इन विद्यालयों की स्वीकृति व क्रमोन्नति पर रोक लगा दी। इस संबंध में संयुक्त शासन सचिव प्रारंभिक शिक्षा (आयोजना) ने निदेशक प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर को निर्देश दिए। निदेशालय से जिला शिक्षा अधिकारी प्राशि बाड़मेर को तत्काल आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
डी ई ओ बाड़मेर ने 18 अप्रैल को संबंधित ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को मौखिक निर्देश दिए कि विद्यालयों को स्वीकृत व क्रमोन्नत करने संबंधी आदेश जारी नहीं किया जाए। जिला शिक्षा अधिकारी के इन मौखिक निर्देशों की बीईईओ धोरीमन्ना व सिणधरी ने पालना कर दी, लेकिन बीईईओ बाड़मेर ने ध्यान नहीं दिया।
चूंकि डीईओ ने इस संबंध में लिखित आदेश देना जरूरी नहीं समझा। उनकी इस ढिलाई का नतीजा यह हुआ कि बीईईओ बाड़मेर ने 22 अप्रेल को एक आदेश जारी किया, जिसमें क्रमोन्नत हुए प्राथमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों को यह आदेश दिए कि वह नवीन सत्र में कक्षा छह में प्रवेश देकर पालना रिपोर्ट दें।
आदेश से मचा हड़कम्प
रोक के बावजूद बीईईओ बाड़मेर की ओर से दिए गए क्रमोन्नति आदेश से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में बीईईओ को नोटिस दिया गया और क्रमोन्नति आदेश को निरस्त करने के निर्देश दिए गए। 24 अप्रेल को बीईईओ को अपना ही आदेश निरस्त करना पड़ा।
ध्यान ही नहीं रहा
डीईओ के मौखिक आदेश का ध्यान ही नहीं रहा। जब यह बात बताई गई, मैं मीटिंग से बाहर था। वैसे जो आदेश जारी किया था, वह क्रमोन्नति से संबंधित नहीं था। उसमें विद्यालयों की भौतिक स्थिति इत्यादि की जांच की बात थी। डीईओ के आदेश के बाद उसे भी निरस्त कर दिया।
मूलाराम बैरड़, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, बाड़मेर
बाड़मेर। बजट में क्रमोन्नत व स्वीकृत किए गए नए विद्यालयों पर रोक लगाने के राज्य सरकार के आदेश के बावजूद बाड़मेर में विद्यालय क्रमोन्नत कर दिए गए। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर (डीईओ)ने ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को तत्काल लिखित निर्देश नहीं दिए। इस स्थिति में ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी बाड़मेर (बीईईओ) ने विद्यालयों के क्रमोन्नति आदेश जारी कर दिए।सरकार के स्थगन आदेश के बावजूद क्षेत्रीय विधायक नवक्रमोन्नत विद्यालयों के लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हें .
राज्य सरकार के बजट में एक अप्रेल को बाड़मेर जिले में 94 प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किया गया एवं 52 नए विद्यालय स्वीकृत किए गए। अठारह अप्रेल को सरकार ने इन विद्यालयों की स्वीकृति व क्रमोन्नति पर रोक लगा दी। इस संबंध में संयुक्त शासन सचिव प्रारंभिक शिक्षा (आयोजना) ने निदेशक प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर को निर्देश दिए। निदेशालय से जिला शिक्षा अधिकारी प्राशि बाड़मेर को तत्काल आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
डी ई ओ बाड़मेर ने 18 अप्रैल को संबंधित ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को मौखिक निर्देश दिए कि विद्यालयों को स्वीकृत व क्रमोन्नत करने संबंधी आदेश जारी नहीं किया जाए। जिला शिक्षा अधिकारी के इन मौखिक निर्देशों की बीईईओ धोरीमन्ना व सिणधरी ने पालना कर दी, लेकिन बीईईओ बाड़मेर ने ध्यान नहीं दिया।
चूंकि डीईओ ने इस संबंध में लिखित आदेश देना जरूरी नहीं समझा। उनकी इस ढिलाई का नतीजा यह हुआ कि बीईईओ बाड़मेर ने 22 अप्रेल को एक आदेश जारी किया, जिसमें क्रमोन्नत हुए प्राथमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों को यह आदेश दिए कि वह नवीन सत्र में कक्षा छह में प्रवेश देकर पालना रिपोर्ट दें।
आदेश से मचा हड़कम्प
रोक के बावजूद बीईईओ बाड़मेर की ओर से दिए गए क्रमोन्नति आदेश से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में बीईईओ को नोटिस दिया गया और क्रमोन्नति आदेश को निरस्त करने के निर्देश दिए गए। 24 अप्रेल को बीईईओ को अपना ही आदेश निरस्त करना पड़ा।
ध्यान ही नहीं रहा
डीईओ के मौखिक आदेश का ध्यान ही नहीं रहा। जब यह बात बताई गई, मैं मीटिंग से बाहर था। वैसे जो आदेश जारी किया था, वह क्रमोन्नति से संबंधित नहीं था। उसमें विद्यालयों की भौतिक स्थिति इत्यादि की जांच की बात थी। डीईओ के आदेश के बाद उसे भी निरस्त कर दिया।
मूलाराम बैरड़, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, बाड़मेर
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