शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

जन्म देने वाली मां ने छोड़ा, दूध पिलाने वाली मां भी नसीब नहीं




जन्म देने वाली मां ने छोड़ा, दूध पिलाने वाली मां भी नसीब नहीं



समाज कल्याण विभाग व पुलिस कार्य प्रणाली की ढिलाई आई सामने, 12 दिन से स्वस्थ होने के बावजूद अस्पताल में भर्ती है लावारिस मिली बच्ची



 नागौर



24 मार्च को सीएम अशोक गहलोत के बासनी आगमन से ठीक पहले दूकोसी मार्ग पर सड़क किनारे मिली लावारिस बच्ची पिछले 12 दिनों से राजकीय चिकित्सालय में भर्ती है। जन्म देने वाली मां ने तो उसे छोड़ दिया लेकिन 12 दिनों से उसे दूध पिलाने वाली मां भी नसीब नहीं हो पा रही है। जिम्मेदारों का कार्य करने का तरीका कितना बेहतर है, स्वस्थ लावारिस बच्ची द्वारा अस्पताल में बिताए 12 दिनों से यह साफ जाहिर होता है। इधर चिकित्सालय के नर्सिंगकर्मी उसकी देखभाल करने में लगे है। बच्ची को पाउडर का दूध पिलाया जा रहा है। 24 मार्च को अस्पताल में भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने जांच करते ही बच्ची को स्वस्थ बताया था।

पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी व एक कांस्टेबल को अस्पताल में बच्ची की सुरक्षा के लिए ड्यूटी पर लगा दिया।अस्पताल के चौकी प्रभारी को बच्ची की सुरक्षा की जिम्मेदारी दे दी।लेकिन 12 दिनों में यह कोई तय नहीं कर पाया कि बच्ची को गोद देने की प्रकिया जल्द पूरी की जाए या फिर उसे जोधपुर शिशु गृह भेजा जाए। पुलिस ने जांच में ढिलाई बरती तो समाज कल्याण विभाग व बाल कल्याण समिति के सदस्य एक बार अस्पताल आकर ही अपना काम पूरा समझने लगे। जिम्मेदारों से पूछा तो कहा गया कि पिछले कुछ दिनों से अवकाश चल रहा था, अभी जांच चल रही है।

बैठक में लेंगे निर्णय

॥ पीएमओ टीआर चौधरी की चिट्टी हमें मिली थी। हमने जवाब भी भेज दिया है। कागजात तैयार किए जा रहे हैं। शुक्रवार को बाल कल्याण समिति की बैठक है। उसमें इसको लेकर निर्णय लेंगे।  अशोक जांगिड़, समाज कल्याण अधिकारी, नागौर

एक आवेदन आया है, प्रकिया पूरी करने में लगे है

॥ बच्ची को गोद लेने के लिए जयपुर निवासी एक महिला ने आवेदन किया है, जिसका पीहर नागौर में है। उससे आवेदन मांगा है। कागजात की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पुलिस विभाग को भी जल्द प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। बच्ची को जोधपुर शिशु गृह भेजा जाएगा या गोद दियाल जाएगा।ञ्जञ्ज शकुंतला चौधरी, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष

पीएमओ ने लिखी चिट्टी तो मिला सुरक्षा का जवाब

अस्पताल के नर्सिंगकर्मियों ने पीएमओ को इस बारे में बताया तो उन्होंने 1 अप्रैल को समाज कल्याण विभाग को इस संबंध में चिट्टी लिखी। चिट्टी मिलने पर समाज कल्याण व बाल कल्याण समिति ने लिखा कि कागजात तैयार हो रहे है, हम जल्द बच्ची को अस्पताल से डिस्चार्ज करा लेंगे। वर्तमान में अस्पताल से सुरक्षित जगह बच्ची के लिए नागौर में और नहीं है।

हो सकता है इन्फेक्शन

शिशु वार्ड के नर्सिंगकर्मियों ने बताया कि बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। वार्ड में अन्य बच्चों के संपर्क में आने से स्वस्थ बच्ची को इन्फेक्शन का खतरा रहता है। ऐसे में उसके स्वास्थ्य की विशेष देखभाल करनी पड़ रही है। स्वस्थ बच्ची को इन्फेक्शन होने से उसके स्वास्थ्य पर बूरा असर पड़ सकता है।

12 दिनों से स्टॉफ कर रहा है देखभाल

शिशु वार्ड में इस बच्ची की देखभाल अस्पताल के डॉक्टर व नर्सिंगकर्मी कर रहे है। उन्हें दिन रात इस बच्ची के स्वास्थ्य की चिंता रहती है। समय पर स्वास्थ्य की जांच करना, कहीं इन्फेक्शन नहीं हो जाए। समय पर दूध पिलाना, सब कुछ नर्सिंगकर्मियों के ही जिम्मे है। नौकरी ज्वाइन करते समय ली शपथ बखूबी निभा रहे हैं। कोतवाली पुलिस द्वारा लगाया गया स्टॉफ व अस्पताल चौकी स्टॉफ भी इस पर नजर रखता है कि कहीं कोई बच्ची को उठा नहीं ले जाए।

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