शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

सरहद के कांटों में फंसा प्यार, देश छोड़ने के बाद भी नहीं नसीब हुई ससुराल की दहलीज




बाड़मेर सरहदी गांव रामसर के पास बसी बन्ने की बस्ती का मन्नर 2011 में सरहद पार की केसर को अपना तो लिया, लेकिन आज तक वह उसे घर की देहरी तक नहीं ला पाया है। दो सालों से वह जोधपुर से ही अटकी हुई है।


भारत की नागरिकता नहीं मिलने से वीजा नियमों के तहत वह राष्ट्रीय राजमार्ग न. 15 से पश्चिमी की तरफ नहीं आ सकती है। यही कारण उसे ससुराल की देहरी तक आने से रोक रहा है। मन्नर नियमों में छूट के लिए खूब कोशिश कर रहा है, लेकिन उसको सफलता नहीं मिल रही है।दरअसल यह कहानी शुरू होती है दो भाई अरबाब व रसूल से। भारत-पाक युद्ध 1971 में बन्ने की बस्ती निवासी अरबाब व रसूल ने फैसला किया कि एक भाई हिंदुस्तान में रहेगा तो दूसरा पाक में बसेगा।

इस पर अरबाब पाक चला गया। रसूल भारत में रह गया। रिश्तों को कायम रखने के लिए रसूल के भतीजे मन्नर ने 18 साल पहले पाकिस्तान में केसर के साथ निकाह किया। पासपोर्ट नहीं बनने से केसर पाकिस्तान में ही अटक गई।आखिरकार 2011 में केसर का पासपोर्ट बनने के बाद मन्नर उसको साथ लेकर 2011 में थार एक्सप्रेस से हिंदुस्तान लौट आया, लेकिन यहां आने के बाद भी वह ससुराल की देहरी तक नहीं पहुंच पाई। सुरक्षा एजेंसियों ने वीजा नियमों के तहत उसे जोधपुर में ही रोक लिया।

बीते दो साल से दोनों पति पत्नी जोधपुर में जिंदगी बसर करने को मजबूर है। हमवतन लौटकर भी मन्नर बेगाना होकर रह गया है। नियमों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग न. 15 से पश्चिम की तरफ विदेशी नागरिक को जाने के लिए कलेक्टर की अनुमति लेनी होती है। नियमों की अड़चन के चलते मन्नर व केसर हमवतन लौटकर भी परिजनों से दूर है।



मन्नर ने बताया कि वह बीते दो साल से जोधपुर में दिहाड़ी मजदूरी करके पत्नी व बच्ची का भरण पोषण कर रहा है। नियमों में छूट मिले तो अपने पैतृक गांव बन्ने की बस्ती लौट सकता है। परिवार में था खुशी का माहौल
मन्नर के बहू लेकर गांव लौटने पर खुशी का माहौल था। परिवारजनों व गांव के लोगों ने नई बहू के स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी थी। वे इंतजार कर रहे थे, लेकिन बहू गांव तक नहीं आ पाई। जोधपुर में उसे रोकने के बाद से वह वहीं पर है।
मिलन का लंबा इंतजार

मन्नर ने पाक युवती केसर से निकाह तो कर दिया, मगर उसका पासपोर्ट नहीं बन पाया। इस पर मन्नर उसे पाक छोड़कर हमवतन लौट आया।

मिलन के लिए मन्नर को अठारह साल लंबा इंतजार करना पड़ा। दो साल पूर्व जब केसर का पासपोर्ट बना तो वीजा मिली गई। इस पर मन्नर उसे पाक से लेकर हिंदुस्तान आ गया।

नियमों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग न. 15 से पश्चिमी की तरफ कोई विदेशी नागरिक नहीं आ सकता है। उसे गृह मंत्रालय एवं कलेक्टर से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके बाद ही आ सकते हैं।
राणाराम प्रभारी सीआईडी (बीआई) गडरारोड

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