मेरा प्रधानमंत्री बनना अप्रसांगिक:राहुल
नई दिल्ली।"शादी कब करोगे और भारत का प्रधानमंत्री कब बनोगे",जैसे बार-बार पूछे जाने वाले सवालो पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को कहा कि ऎसे सवाल अप्रसांगिक हैं। लोगों को इस बात की चिंता है कि "मैं शादी कब करूंगा,प्रधानमंत्री कब बनूंगा।"लेकिन,लोगों को देश की बजाए इन बातों की ज्यादा चिंता है। मेरे लिए ये सवाल मायने नहीं रखते,ऎसी सब बातें धुआं हैं।"
कांग्रेस पार्टी का उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) के सलाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल ने ये बाते कहीं। उद्योग घरानों ने पिछले कुछ सालों में देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है। पहले कोई भारत नहीं पूछता था,लेकिन आज हर ओर देश की पूछ हो रही है।
उन्होंने कहा कि भारत संभावनाओं से भरा एवं विभिन्न तरह की विचारधाराओं का देश है। हम भारत को एक राष्ट्र के रूप में ही देखते आ रहे हैं, लेकिन यदि हम 100 वर्ष पीछे जाएं तो पाएंगे कि भारत वास्तव में ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक था।
सीआईआई के परिपूर्ण सत्र के दूसरे दिन बोलते हुए 42 वर्षीय राहुल ने भारतीय उद्योग घरानों की तारीफ करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान है। इन घरानों की वजह से देश को ऊर्जा मिल रही है। इस सम्मेलन में भारती ग्रुप के सुनील मित्तल,विप्रो के अजीम प्रेमजी,गोदरेज ग्रुप के आदी गोदरेज सहित अन्य बड़े उद्योगपति हिस्सा ले रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अर्थव्यवस्था की सोच सिर्फ पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। हमें,निष्पक्ष और साशन आधारित सरकारी तंत्र बनाना होगा। गरीब,बिजनेस,मिडिल क्लास को एक साथ आना होगा। लोकतंत्र में सबको साथ लेकर चलना होगा। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती। उद्योग जगत को भी सहयोग करना होगा। लोगों को विकास की दौड़ में पीछे छोड़ना खतरनाक होगा।
उन्होंने कहा कि भारत में मानव संसाधन की कमी नहीं है। हमारी समस्या बेरोजगारी है,बल्कि प्रशिक्षण और निपुणता की कमी है। भारत का युवा संघर्ष करने के लिए तैयार है,इसलिए उन्हें टे्रनिंग देना जरूरी है। विकास की सड़क पर गड्ढे होना अच्छी बात नहीं। विकास दर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पांच प्रतिशत विकास दर निराशाजनक है,इसे उठाने के लिए और मेहनत करनी होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि आर्थिक गिरावट अस्थाई है।
...तो बेंगलूरू की ट्रेन पकड़ लंूगा
अपने भाषण में उन्होंने ट्रेन से गोरखपुर से मुंबई की यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 36 घंटे के इस सफर में देश को जानने के लिए निकला था। इस यात्रा में मुझे एक युवक मिला जो पेशे से कारपेंटर था और वह काम के लिए मुंबई जा रहा था,जो उसके लिए अंजान शहर था। बातचीत में उसने बताया कि उसे इस बात का भरोसा है कि मुंबई में काम मिल जाएगा। राहुल ने कहा कि जब मैंने उससे पूछा कि अगर उसे वहां काम नहीं मिला तो वह क्या करेगा। उसने जवाब दिया की वह बेंगलूरू की ट्रेन पकड़ लेगा और वहां काम तलाशेगा। अगर वहां भी काम नहीं मिला तो? उसका जवाब था कि वह दूसरे शहर की ट्रेन पकड़ लेगा।
बात को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने कहा कि महाराष्ट्र में वह एक झुग्गी झोपड़ी में गए जहां एक महिला अपने दो बच्चों के साथ रह रही थी। महिला से बातचीत के दौरान उसने बताया कि वह और उसका पति मजदूरी करते हैं। बच्चों से बात करने पर एक ने कहा कि वह आईएएस बनना चाहता है,तो दूसरे ने कहा कि वह बिजनेस करना चाहता है। हालात को लेकर जब मैंने मां को उकसाया तो उसने पूरे विश्वास के साथ कहा कि वह और उसका पति 8-10 घंटे काम करते हैं, हम कम कमाते हैं,लेकिन इसके बावजूद दोनों बच्चे अपने-अपने सपने पूरे करेंगे।
एक आदमी नहीं कर सकता सबकुछ
राहुल ने कहा कि अगर हम यह सोचें की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आशाएं पूरी कर देंगे तो हम उनका पूरा होने के लिए इंतजार करते ही रह जाएंगे। एक अरब लोगों की इच्छाओं को एक आदमी पूरा नहीं कर सकता। इसके लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा।
प्रधानमंत्री का सवाल अहम नहीं
प्रधानमंत्री बनने के बारे में पूछे गए सवाल को गैरजरूरी बताते हुए राहुल ने कहा कि यह सवाल इतना अहम नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री बन सकता हूं,तो कुछ का कहना है कि मैं प्रधानमंत्री बन जाउंगा। वहीं,कुछ का कहना है कि इस पद तक कभी पहुंच नहीं पाउंगा। इसलिए,यह सवाल इतना जरूरी नहीं है जितना कि जनता की आवाज को कैसे उठाया जाए।
शिक्षा व्यवस्था पुरानी
शिक्षा को पुरानी व्यवस्था बताते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि इसे बदलने की जरूरत है। सिर्फ शिक्षा ही नहीं,हमें प्रोफेशनल शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए। उद्योगपतियों से उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बदलने के लिए आपको इसमें भागीदार बनना होगा।
नई दिल्ली।"शादी कब करोगे और भारत का प्रधानमंत्री कब बनोगे",जैसे बार-बार पूछे जाने वाले सवालो पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को कहा कि ऎसे सवाल अप्रसांगिक हैं। लोगों को इस बात की चिंता है कि "मैं शादी कब करूंगा,प्रधानमंत्री कब बनूंगा।"लेकिन,लोगों को देश की बजाए इन बातों की ज्यादा चिंता है। मेरे लिए ये सवाल मायने नहीं रखते,ऎसी सब बातें धुआं हैं।"
कांग्रेस पार्टी का उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) के सलाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल ने ये बाते कहीं। उद्योग घरानों ने पिछले कुछ सालों में देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है। पहले कोई भारत नहीं पूछता था,लेकिन आज हर ओर देश की पूछ हो रही है।
उन्होंने कहा कि भारत संभावनाओं से भरा एवं विभिन्न तरह की विचारधाराओं का देश है। हम भारत को एक राष्ट्र के रूप में ही देखते आ रहे हैं, लेकिन यदि हम 100 वर्ष पीछे जाएं तो पाएंगे कि भारत वास्तव में ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक था।
सीआईआई के परिपूर्ण सत्र के दूसरे दिन बोलते हुए 42 वर्षीय राहुल ने भारतीय उद्योग घरानों की तारीफ करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान है। इन घरानों की वजह से देश को ऊर्जा मिल रही है। इस सम्मेलन में भारती ग्रुप के सुनील मित्तल,विप्रो के अजीम प्रेमजी,गोदरेज ग्रुप के आदी गोदरेज सहित अन्य बड़े उद्योगपति हिस्सा ले रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अर्थव्यवस्था की सोच सिर्फ पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। हमें,निष्पक्ष और साशन आधारित सरकारी तंत्र बनाना होगा। गरीब,बिजनेस,मिडिल क्लास को एक साथ आना होगा। लोकतंत्र में सबको साथ लेकर चलना होगा। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती। उद्योग जगत को भी सहयोग करना होगा। लोगों को विकास की दौड़ में पीछे छोड़ना खतरनाक होगा।
उन्होंने कहा कि भारत में मानव संसाधन की कमी नहीं है। हमारी समस्या बेरोजगारी है,बल्कि प्रशिक्षण और निपुणता की कमी है। भारत का युवा संघर्ष करने के लिए तैयार है,इसलिए उन्हें टे्रनिंग देना जरूरी है। विकास की सड़क पर गड्ढे होना अच्छी बात नहीं। विकास दर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पांच प्रतिशत विकास दर निराशाजनक है,इसे उठाने के लिए और मेहनत करनी होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि आर्थिक गिरावट अस्थाई है।
...तो बेंगलूरू की ट्रेन पकड़ लंूगा
अपने भाषण में उन्होंने ट्रेन से गोरखपुर से मुंबई की यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 36 घंटे के इस सफर में देश को जानने के लिए निकला था। इस यात्रा में मुझे एक युवक मिला जो पेशे से कारपेंटर था और वह काम के लिए मुंबई जा रहा था,जो उसके लिए अंजान शहर था। बातचीत में उसने बताया कि उसे इस बात का भरोसा है कि मुंबई में काम मिल जाएगा। राहुल ने कहा कि जब मैंने उससे पूछा कि अगर उसे वहां काम नहीं मिला तो वह क्या करेगा। उसने जवाब दिया की वह बेंगलूरू की ट्रेन पकड़ लेगा और वहां काम तलाशेगा। अगर वहां भी काम नहीं मिला तो? उसका जवाब था कि वह दूसरे शहर की ट्रेन पकड़ लेगा।
बात को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने कहा कि महाराष्ट्र में वह एक झुग्गी झोपड़ी में गए जहां एक महिला अपने दो बच्चों के साथ रह रही थी। महिला से बातचीत के दौरान उसने बताया कि वह और उसका पति मजदूरी करते हैं। बच्चों से बात करने पर एक ने कहा कि वह आईएएस बनना चाहता है,तो दूसरे ने कहा कि वह बिजनेस करना चाहता है। हालात को लेकर जब मैंने मां को उकसाया तो उसने पूरे विश्वास के साथ कहा कि वह और उसका पति 8-10 घंटे काम करते हैं, हम कम कमाते हैं,लेकिन इसके बावजूद दोनों बच्चे अपने-अपने सपने पूरे करेंगे।
एक आदमी नहीं कर सकता सबकुछ
राहुल ने कहा कि अगर हम यह सोचें की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आशाएं पूरी कर देंगे तो हम उनका पूरा होने के लिए इंतजार करते ही रह जाएंगे। एक अरब लोगों की इच्छाओं को एक आदमी पूरा नहीं कर सकता। इसके लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा।
प्रधानमंत्री का सवाल अहम नहीं
प्रधानमंत्री बनने के बारे में पूछे गए सवाल को गैरजरूरी बताते हुए राहुल ने कहा कि यह सवाल इतना अहम नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री बन सकता हूं,तो कुछ का कहना है कि मैं प्रधानमंत्री बन जाउंगा। वहीं,कुछ का कहना है कि इस पद तक कभी पहुंच नहीं पाउंगा। इसलिए,यह सवाल इतना जरूरी नहीं है जितना कि जनता की आवाज को कैसे उठाया जाए।
शिक्षा व्यवस्था पुरानी
शिक्षा को पुरानी व्यवस्था बताते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि इसे बदलने की जरूरत है। सिर्फ शिक्षा ही नहीं,हमें प्रोफेशनल शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए। उद्योगपतियों से उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बदलने के लिए आपको इसमें भागीदार बनना होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें