चार दशक बाद कब्र से निकाला शव
आइला नेग्रा। चिली के विश्व प्रसिद्ध कवि पाब्लो नरूदा को जहर देकर मारे जाने संबंधी आरोपों की पुष्टि के लिए उनका शव चार दशक बाद कब्र से बाहर निकाला गया। प्रेम की बीस कविताएं तथा विषाद का एक गीत जैसी पुस्तकों के रचियता नरूदा का चिली में तानाशाही लागू होने के महज 12 दिनों के बाद 23 सितंबर 1973 को निधन हो गया था। उनके ड्राइवर रह चुके मैनुअल अराया ने कुछ समय पहले आरोप लगाया था कि उन्हें तानाशाह आगस्ट पिनोशे के निजाम ने जहर दिया था।
अराया ने कहा कि हमें शव परीक्षा में जहर मिलने की आशंका है क्योंकि नरूदा की हत्या की गई थी। शव परीक्षण के नतीजे आने वाले कुछ महीनों में सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। नरूदा को समुद्र के किनारे बसे इलाके आईला नेग्रा में दफनाया गया था। यहीं पर उनकी पत्नी मातिल्दे उर्रीशिया को भी दफ्कनाया गया। नरूदा के शव से लिए गए नमूनों को अब राजधानी सांतियागो लाया जाएगा और उनमें से कुछ को विदेश भी भेजा जा सकता है।
नरूदा का शव फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासिर अराफात के शव की तर्ज पर बाहर निकाला गया है। स्विटजरलैंड की एक प्रयोगशाला ने पिछले वर्ष अराफात द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों पर से अत्याधिक रेडियोधर्मी जहर पोलोनियम होने की पुष्टि की थी जिसके बाद इसकी पुष्टि के लिए उनके शव को कब्र से बाहर निकाला गया। उल्लेखनीय है कि प्रेम के हर शेड पर कविताएं लिखने वाले नरूदा वामपंथी राजनेता भी थे और चिली के राष्ट्रपति सल्वाडोर आइंदे के गहरे मित्र भी। तानाशाह पिनोशे ने 11 सितंबर 1973 को एक सैन्य तख्तापलट को अंजाम देकर आइंदे की हत्या कर दी थी और देश पर सैन्य शासन थोप दिया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें