शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

यात्रा आदि में शुभ एवं अशुभ मुहूर्त विचार ----




यात्रा आदि में शुभ एवं अशुभ मुहूर्त विचार ------

यात्रा तो सभी करते हैं, कभी सफलता तो कभी असफलता हाथ लगती है। यात्रा कभी इतनी सुखद होती है कि दौड़-धूप भरी जिंदगी की सभी थकान दूर हो जाती है। कभी यात्रियों को दुर्घटना के कारण जान भी गंवानी पड़ जाती है। आखिर क्या है इसका रहस्य? शायद सही मुहूर्त का चुनाव।


पंडित दयानन्द शास्त्री (मोब.--09024390067) के अनुसार समय का अभाव होने के कारण लोग प्रायः मुहूर्त के महत्व को भूल जाते हैं। मुहूर्त की तब याद आती है जब यात्रा निरर्थक, निष्फल एवं नुकसान दायक साबित होती है। तब व्यक्ति इस बात को सोचने को मजबूर हो जाता है कि काश मैंने अपनी यात्रा शुभ मुहूर्त में प्रारंभ की होती तो होने वाली हानि, मानसिक या शारीरिक कष्ट यात्रा में न सहने पड़ते। यदि हम यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व मुहूर्त का विचार करते हुए अपनी योजना को बनाएं तो बहुत मुमकिन है कि यात्रा एवं प्रवास के दौरान मानसिक तथा शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिल जाए तथा हमारी यात्रा के उद्देश्य में सफलता प्राप्त हो।

पंडित दयानन्द शास्त्री (मोब.--09024390067) के अनुसार यात्रा कभी इतनी सुखद होती है कि दौड़-धूप भरी जिंदगी की सभी थकान दूर हो जाती है। कभी यात्रियों को दुर्घटना के कारण जान भी गंवानी पड़ जाती है। आखिर क्या है इसका रहस्य? शायद सही मुहूर्त का चुनाव। समय का अभाव होने के कारण लोग प्रायः मुहूर्त के महत्व को भूल जाते हैं। मुहूर्त की तब याद आती है जब यात्रा निरर्थक, निष्फल एवं नुकसान दायक साबित होती है। तब व्यक्ति इस बात को सोचने को मजबूर हो जाता है कि काश मैंने अपनी यात्रा शुभ मुहूर्त में प्रारंभ की होती तो होने वाली हानि, या शारीरिक कष्ट यात्रा में न सहने पड़ते। यदि हम यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व मुहूर्त का विचार करते हुए अपनी योजना को बनाएं तो बहुत मुमकिन है कि यात्रा कष्ट से मुक्ति मिल जाए ।

पंडित दयानन्द शास्त्री (मोब.--09024390067) के अनुसार यात्रा मुहूर्त के लिए दिषाशूल, नक्षत्रशूल, योगिनी, भद्रा, चंद्रबल, ताराबल, नक्षत्रशुद्धि आदि का विचार किया जाता है। किसी भी यात्रा मुहूर्त को निकालने के लिए सर्वप्रथम तिथिशुद्धि का विचार किया जाता है। तिथिशुद्धि: यात्रा के लिए निम्न तिथियां शुभ मानी जाती हैं। किसी भी पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी एवं केवल कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथियां। यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि इन तिथियों में भद्रादोष नहीं होना चाहिए। अर्थात इन तिथियों में यदि विष्टि करण होगा तो वह समय यात्रा के लिए शुभ नहीं होगा। नक्षत्र शुद्धि: तिथि शुद्धि करने के पश्चात ली गई तिथियों का नक्षत्र विचार किया जाता है। यात्रा के लिए शुभ नक्षत्र निम्नलिखित हैं: अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा एवं रेवती नक्षत्र उत्तम माने गए हैं।

पंडित दयानन्द शास्त्री (मोब.--09024390067) के अनुसार इनके अतिरिक्त कुछ नक्षत्रों में सभी दिशाओं में यात्रा की जाती है। अर्थात सभी दिशाओं में यात्रा करना जिन नक्षत्रों में शुभ होता है, वे निम्नलिखित हैं - अश्विनी, पुष्य, अनुराधा और हस्त। अंत में कुछ नक्षत्र ऐसे हैं जो यात्रा के लिए मध्यम श्रेणी के माने जाते हैं। वे निम्नलिखित हैं: रोहिणी, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, उत्ताराषाढ़ा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, मूल एवं शतभिषा

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