नई दिल्ली. पांच वर्षीय मासूम के साथ हैवानियत से हर तबके में भारी आक्रोश है लेकिन बच्चों और महिलाओं के हक से जुड़ी सरकारी संस्थाएं फिक्रमंद नजर नहीं आईं। शुक्रवार पूरे दिन दिल्ली में जनाक्रोश उमड़ता रहा लेकिन जिम्मेदार संस्थाओं में कोई भी बच्ची या परिवार का सुध लेने नहीं पहुंचा। महिलाओं के खिलाफ होने वाले हर उत्पीडऩ पर फौरन पुलिस और प्रशासन को आड़े हाथों लेने वाली राष्ट्रीय महिला आयोग प्रमुख ममता शर्मा के बयान ने सबसे ज्यादा हैरान किया है। शुक्रवार को एक टीवी को इस हैवानियत भरी घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए महिला आयोग प्रमुख ने कहा, ‘आज छुट्टी है। कल मैं इस मामले को टेक-अप करके पीडि़ता से मिलने जाऊंगी। जो भी मदद बन सकेगी, हम करेंगे।’
बाल संरक्षण आयोग प्रमुख को कोई जानकारी नहीं : बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाली संस्था ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार व संरक्षण आयोग ’ का एक भी अधिकारी पीडि़ता से मिलने नहीं जा सका। सबसे हैरान करने वाला तथ्य है कि आयोग की प्रमुख शांता सिन्हा की मौजूदा स्थिति के बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। इसी तरह आयोग के अन्य सदस्यों को भी उनके दिल्ली से बाहर जाने के बारे में जानकारी नहीं है।
महिला व बाल विकास राज्यमंत्री नहीं गई बच्ची से मिलने : दुष्कर्म की खबर सुनने के बाद एम्स में कई नेताओं और अधिकारियों का तांता लग गया। लेकिन पूरे दिन इसमें खुद महिला व बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ मासूम से मिलने नहीं जा सकीं। जबकि मंत्री जी के घर से एम्स की दूरी दो किलोमीटर से भी कम है।
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