/भागलपुर। भागलपुर में कैदियों के आंख फोडऩे वाली पुलिस ने फिर एक कारनामा किया है। इस बार उसने हत्या के एक आरोपी के प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डाल दिया। जबकि दूसरे कैदी को इतना पीटा गया कि उसके पांव की हड्डी टूट गयी। स्थानीय अदालत ने कहने पर जिन दो डॉक्टरों ने आरोपी कैदियों की इन्जुरी रिपोर्ट बनायी थी, पुलिस उनके ही पीछे हाथ धोकर पड़ गयी है। दोनों डॉक्टरों पर मुकदमा कर दिया गया है।
अदालत ने भागलपुर के कोतवाली इंस्पेक्टर कुमोद कुमार, तातारपुर थाना प्रभारी संजय विश्वास और आदमपुर के थाना प्रभारी संतोष शर्मा के खिलाफ जमानीय वारंट जारी किया है। मामले की अगली सुनवायी नौ अप्रैल को होनी है। पुलिस बर्बरता की यह कहानी काफी दिनों तक दबी रही।
इस मामले में आरोपी कैदी की इन्जुरी रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर सत्येंद्र कुमार की कहानी बिहार में पुलिस के बर्बरता की कहानी है। डॉ कुमार ने भागलपुर के आइएमए को एक पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने कहा है कि पिछले साल नौ सितंबर को एक कैदी मीनू को मारपीट कर लाया गया था। पत्र के अनुसार सीजेएम ने इस मामले के संबंध में इन्जुरी रिपोर्ट तलब की। 13 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट भेज दी गयी। उस रिपोर्ट में कैदी के शरीर पर हुए इन्जुरी का जिक्र था।
डॉ कुमार ने लिखा है कि इस रिपोर्ट से खफा होकर जेल प्रशासन व जिला प्रशासन ने दूसरी रिपोर्ट तैयार करने का दबाव डाला। मेरे इंकार के बाद मुझे धमकियां दी जा रही हैं और मुकदमा लादने की साजिश की जा रही है। डॉ कुमार भागलपुर के केंद्रीय कारा में अनुबंध पर नियुक्त हैं।
भागलपुर में एक फल विक्रेता विश्वनाथ गुप्ता की हत्या के मामले में पुलिस ने आरोपी सद्दाम के बयान के आधार पर मीनू को पकड़ा। पुलिस ने मीनू के साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। बाद में मीनू ने इस साल पांच मार्च को सीजेएम की अदालत में तीनों पुलिसवालों पर गंभीर आरोप लगाये। एक लाख रुपये की रंगदारी मांगी उसमें से 50 हजार का भुगतान भी किया गया था। अदालत ने तीनों पुलिसवालों के खिलाफ जमानीय वारंट जारी कर दिया है।
ये भी रहे पुलिस के कारनामे
मालूम हो कि हाल ही में शेखपुरा पुलिस ने एक शराब के कारोबारी के प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल दिया था। उस मामले ने जब तूल पकड़ा तो एसपी बाबूराम को वहां से हटा दिया गया था। जख्मी छोटू का आंत पुलिस की इस हरकत से जख्मी हो गया था। पांच मार्च को पटना में नियोजित शिक्षकों पर पुलिस लाठी चार्ज की घटना को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए डीजीपी औ एसएसपी से जवाब-तलब किया है।
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