गुरुवार, 28 मार्च 2013
सूखे के कारण शादी को तरसे कुंवारे
राजकोट।। एक तरफ गुजरात के संत आसाराम बापू पर पानी की बर्बादी को आरोप लग रहे हैं, वहीं गुजरात में एक गांव ऐसा भी है जहां के युवकों की शादी इस कारण नहीं हो रही है क्योंकि वहां पानी की कमी है। पूरे इलाके में सूखा पड़ा हुआ है।
कुछ समय पहले तक ये लोग अपने इलाके के हॉट बैचलर्स (कुंवारे) थे, लेकिन तभी इनके गांव में सूखा पड़ा और यही कुंवारे शादी के लिए अयोग्य बन गए। यह कहानी अमरेली जिले के देदान गांव की है। यहां की पानी की समस्या ने गांव के युवाओं की शादी के इंतजार को बढ़ा दिया है। सिर्फ देदान नहीं, सूखा पूरे अमरेली जिले में है।
12,000 की आबादी वाले इस गांव में पिछले कुछ महीनों के दौरान लड़की के घरवालों ने कम से कम 4 युवकों से सगाई तोड़ दी है। वजह लड़की के घरवाले नहीं चाहते कि उनकी बेटी को पीने का पानी लाने के लिए रोज 5 किमी पैदल चलना पड़े।
यह इस बात का संकेत है है कि सौराष्ट्र में पानी का संकट कितना विकट रूप धारण कर चुकी है। अमरेली जिला पानी के संकट से जूझ रहा है। साल 2012 में सालाना सिर्फ 56 प्रतिशत बारिश हुई जबकि साल 2011 में यहां 93 प्रतिशत बारिश हुई थी। अमरेली टाउन के महज कुछ इलाकों में पीने का पानी हर 12 दिन में मिलता है। जबकि बाकी कई अन्य टाउन और गांव में स्थानीय लोगों और नगरपालिका के बीच पीने के पानी को लेकर विवाद होता रहता है।
देदान गांव के 25 साल के यूनुस गोरी के परिवार के एक सदस्य के अनुसार,'जैसे ही लड़की के घरवालों को पानी की कमी का पता चला, उन्होंने सगाई तोड़ दी।' गोरी की शादी पालीताना की एक लड़की के साथ तय हुई थी।
देदान गांव के 28 साल के दुकानदार सनीर गोरी भी इस बात से चिंतित हैं कि राजकोट की एक लड़की के साथ उनकी सगाई भी पानी की समस्या के कारण ही टूट गई। जब पूरा अमरेली जिला पानी का समस्या से जूझ रहा है तो देदान गांव की स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है, क्योंकि यहां पीने के पानी का एकमात्र स्रोत एक सार्वजनिक कुंआ भी सूख गया है। गांव को महंगे पानी के टैंकरों के सहारे जीना पड़ रहा है।
गांव के सरपंच नथुआ राठौड़ कहते हैं, 'कोई भी अपनी लड़की की शादी इस गांव में नहीं करना चाहता है। गांव में पानी की समस्या की स्थिति बिगड़ती जा रही है।' सरपंच के अनुसार हमने कई बार सरकार से अनुरोध किया कि ट्यूबवेल खुदवा दिए जाएं या टैंकर्स की व्यवस्था की जाए, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
औरतें पानी के पानी के लिए सुबह 5 बजे उठती हैं। गांव के एक निवासी सुल्तान कहते हैं कि हम 500 लीटर के पानी के टैंक को 100 रुपए देकर खरीदना पड़ता है। कुछ गांववालों को अपने बेटों की शादी के लिए मजबूरी में गांव छोड़कर जाना पड़ा है। गांव से सूरत चले जाने वाले वलजी पटेल (परिवर्तित नाम) का कहना है, 'मैंने पिछले 3 सालों से अपने बेटे की शादी के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन लड़की के घरवाले पहले पानी की स्थिति जानना चाहते हैं।'
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