बाल श्रमिकों के उत्थान को लेकर सर्वे सूची सरकारी फाइलों में कैद
बालोतरा। जिले में बाल श्रम कल्याण अधिकारी के रिक्त पद के चलते गत एक वर्ष पहले सर्वे में चिन्हित किए गए 600 बाल श्रमिक आज दिन तक शिक्षा की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाए है। जनप्रतिनिधियों द्वारा इस काम में रूचि नहीं लेने से बजट के अभाव के चलते जिले मे स्वीकृत 15 विशेष बाल श्रमिक विद्यालय शुरू तक नहीं हो पाए है। आज भी ये बाल श्रमिक पहले की तरह होटल, रेस्टोरेंट, कमठा व घरेलू कार्यो में शोषण के शिकार हुए जा रहे हैं।
बाल श्रमिकों के उत्थान को लेकर केन्द्रीय बाल श्रम सलाहकार बोर्ड के निर्देश पर एक स्वयंसेवी संस्था ने जिले की आठों पंचायत समितियों में वर्ष 2012 में सर्वे किया था। इस सर्वे में जिले भर में 600 से अधिक बाल श्रमिक चिन्हित किए गए थे, जो कचरे व गंदगी के ढेर में पॉलीथिन चुगने होटल, ढाबों, घरों, गैरेजों आदि स्थानों पर कामकाज करते थे।
संस्था ने इन सभी बाल श्रमिकों की फोटो मय सूची तैयार कर बाल श्रम कल्याण अधिकारी को सुपुर्द की थी। उक्त अधिकारी द्वारा यह सूची जिला कलक्टर को सुपुर्द किए जाने पर उन्होंने इसे जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक को सत्यापित करने के निर्देश दिए। इस पर कुछ समय बाद जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ने उस सूची को सत्यापित किया। लेकिन आज दिन तक शिक्षा से वंचित इन छात्रों को विद्यालय से जोड़ने का काम नहीं किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ने छात्रों को विद्यालय से जोड़ने की बजाय उक्त सूची बाल श्रम कल्याण अधिकारी को भेज दी। इसके चलते यह सूची गत एक वर्ष से सरकारी फाइलो में बंद है।
पूर्व में भी शोषित हुए बाल श्रमिक
बाल श्रमिकों के उत्थान को लेकर वर्ष 2002 में जिले भर मे स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 43 विशेष बाल श्रमिक विद्यालय खोले गए थे। इसमें चिन्हित 2250 बाल श्रमिकों को अध्ययन कार्य करवाया जाना था। लेकिन अधिकांश स्वयंसेवी संस्थाओं ने चिन्हित बाल श्रमिको की बजाय अन्य बच्चों को इन विद्यालयों में प्रवेश दिया।
शीघ्र ही विद्यालय का संचालन करेंगे
वर्ष 2012 में जिस स्वयंसेवी संस्था ने सर्वे किया था। उसे विद्यालय संचालन का कार्य नहीं देकर अन्य स्वयंसेवी संस्था को कार्य देने को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है। इसी कार्य को लेकर मैं जयपुर में आयोजित बैठक में भाग लेने आया हूं। शिशुपालसिंह राजपुरोहित, उपाध्यक्ष, केन्द्रीय बाल श्रम सलाहकार बोर्ड
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