गुरुवार, 7 मार्च 2013

मुख्यमंत्री के "खान- दान" पर सदन में फिर भारी हंगामा



जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिश्तेदारों को खान आवंटन के प्रकरण में गुरुवार को भी विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार हंगामा हुआ। बजट भाषण के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत के खान आवंटन प्रकरण की जांच कराने के दिए आश्वासन पर दूसरे दिन अमल नहीं होने पर शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने जांच कमेटी गठित करने की मांग उठाई। इस पर मुख्य सचेतक रघु शर्मा ने भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस कराने वालों की भी जांच करवाने की बात उठाई। जिस पर दोनों तरफ से जोरदार हंगामा हुआ।

विपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जवाब दिया कि केबिनेट के फैसले के बाद ही आवंटन किया गया। बाद में जोधपुर जाने पर वहां कुछ लोगों के आपत्ति जताई तो उन्होंने 29 दिसंबर से आवंटन की प्रक्रिया पर विभाग से रोक लगवा दी। गहलोत ने कहा कि इसमें पिक एंड चूज का मामला नहीं है। उन्होंने स्वीकारा कि उनके भांजे जसवंत सिंह कच्छावा की पत्नी, भाई की पत्नी और एक अन्य रिश्तेदार का नाम आवंटियों की सूची में है। उनके स्टोन पार्क में प्लॉट है। वहां पत्थर की चिनाई होती है। यह जोन 10- 11 साल पुराना है। इस जोन ध्यान में रखकर ही केबिनेट ने निर्णय लिया था। इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ।

नेता प्रतिपक्ष इस बारे में अध्यक्ष के साथ बैठकर सारे दस्तावेजों की जांच कर लें और उसके बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचे। हमें नेता प्रतिपक्ष पर विश्वास और पूरा भरोसा है। कमेटी से जांच कराने की मांग पर गहलोत ने कहा कि कमेटियों की जांच का क्या हश्र होता है, यह सब जानते है। संसद में जेपीसी का क्या हुआ, यह भी सब जानते हैं। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने शून्यकाल की शुरूआत में मामला उठाते हुए कहा कि आश्वासन के बावजूद मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों को खान आवंटन की जांच नहीं कराना सदन की भावना और नियमों की अवहेलना है। हाउस की कमेटी बनाकर जांच कराई जाए, ताकि मौजूदा सत्र समाप्त होने से पहले ही रिपोर्ट आ जाए।
इसी दौरान मुख्य सचेतक रघु शर्माने घनश्याम तिवाड़ी की प्रेस कांफ्रेंस का मामला उठा लिया। जिस पर भाजपा सचेतक राजेंद्र राठौड़, कालीचरण सराफ, वासुदेव देवनानी और रोहिताश्व शर्मा खड़े होकर विरोध करने लगे। राठौड़ ने कहा कि पारदर्शिता के लिए जब मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष पर जांच कराने का फैसला छोड़ा है, तो आसन जांच के लिए कोई व्यवस्था दें। हंगामे पर सत्ता पक्ष ने कोई जवाब नहीं दिया। जिस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया फिर खड़े हुए और बोले कि इसका निस्तारण नहीं होगा तो यह माना जाएगा कि जो आरोप लगे वो सच है। बाद में मुख्यमंत्री ने जांच के बारे में निर्णय करने का फैसला अध्यक्ष पर छोड़ दिया। हालांकि बाद में आसन ने इस बारे में कोई व्यवस्था नहीं दी।

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