शनिवार, 30 मार्च 2013

मायड़ भाषा को कब मिलेगा मान ?

मायड़ भाषा को कब मिलेगा मान ?

जयपुर। प्रदेशभर में आज राजस्थान स्थापना दिवस की धूम है लेकिन अभी तक राजस्थानी भाषा को संविधान में मान्यता नहीं मिली है। एक तरफ राजस्थानी संस्कृति देश-विदेशों में अपना डंका बजा रही है तो दूसरी तरफ राजस्थानी भाषा को ही संविधान में भाषा के रूप में मान्यता नहीं मिली है।


राजस्थान दिवस पर राजस्थानी भाषा और संस्कृति से जुड़ी कई नामचीन हस्तियों ने राजस्थानी भाषा के हालातों पर दुख जताते हुए इसके समर्थन के लिए आवाज उठाई।


1000 साल का इतिहास

राजस्थानी भाषा के साहित्यकार नंद भारद्वाज के मुताबिक, राजस्थानी भाषा कमजोर भाषा नहीं है पर राजनैतिक जागरूकता के अभाव में इसे संविधान में वो दर्जा अभी तक नहीं मिल पाया, जिसकी यह हकदार है। राजस्थानी भाषा का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। जब राजस्थान बना था तब भी राजस्थान के अंचलों को उनकी भाषा के आधार पर ही तय किया गया।

संघर्ष करना पड़ेगा

राजस्थानी फिल्मों की वरिष्ठ कलाकार और इन दिनों स्टार पल्स पर प्रसारित धारावहिक "दीया बाती और हम" में भाभो की भूमिका निभा रही नीलू के मुताबिक, राजस्थानी संस्कृति का डंका विदेशों में बजता हैं पर राजस्थानी भाषा को उसके देश के संविधान में ही जगह नहीं मिल पा रही है। राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए राजस्थान के लोगों को संघर्ष करना पड़ेगा।


भाषा की चिंता किसी को नहीं

कालबेलिया डांसर गुलाबो के मुताबिक, भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलवाने के लिए राजनैतिक प्रयास जरूरी हैं, पर राजनीति से जुड़े लोग अपने स्वार्थों में लगे हैं। किसी को भाषा के सम्मान की परवाह नहीं है। समय के साथ राजस्थान के लोग भी अंगे्रजीदां होते जा रहे हैं, जिससे मातृभाषा को तरजीह नहीं मिल पा रही है। राजस्थानी भाषा को समर्थन की जरूरत है।


राजस्थान की जान भाषा-संस्कृति

गे्रमी अवार्ड विजेगा पं. विश्वमोहन भट्ट के मुताबिक, राजस्थानी भाषा और संस्कृति तो राजस्थान के लोगों के लिए धन के समान है। आज भाषा और संस्कृति के नाम पर राजस्थान में कितने लोगों का रोजगार चल रहा है, लेकिन अपनी राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए कोई मूवमेंट नहीं चला रहा है। यहीं कारण है मातृभाषा को अब तक सम्मान नहीं मिला है।

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