शनिवार, 23 मार्च 2013
ढाई दशक में कच्चे तेल का आयात बंद कर देगा भारत
बाड़मेर। भारत अगले 25 वर्षो बाद अपनी ईधन जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे मुल्कों का मुंह नहीं देखेगा। अगर सरकार की रणनीति कारगर साबित हो गई तो वर्ष 2030 तक देश क्रूड [कच्चे] तेल का आयात करना बंद कर देगा। सरकार ने तब तक भारत को ऊर्जा उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी नीति बनाई है। ऊर्जा में देश को आत्मनिर्भर बनाने में शेल गैस की भूमिका सबसे अहम होगी। इस गैस के उत्पादन को बढ़ावा देने वाली नीति को केंद्र सरकार अगले महीने मंजूरी देने जा रही है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली के मुताबिक प्रस्तावित शेल गैस नीति का ड्राफ्ट तैयार है। मंत्रालयों को इस पर विचार करने के लिए दिया गया है। बहुत जल्द ही कैबिनेट से इसकी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि देश को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में शेल गैस की अहम भूमिका होगी। अमेरिका, कनाडा की तर्ज पर देश में शेल गैस उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार की योजना वर्ष 2020 तक आयातित कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता 50 फीसद तक कम करने और 2025 तक इसे घटाकर महज 25 प्रतिशत करने की है। अमेरिका ने महज छह वर्षो में अपनी शेल गैस उत्पादन क्षमता में 40 फीसद की वृद्धि की है। कनाडा और चीन ने भी इस गैस को बढ़ावा देकर कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है। भारत भी ऐसा कर सकता है। सरकार यह तेजी कच्चे तेल पर हो रहे खर्चे व अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके असर के चलते दिखा रही है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान क्रूड के आयात पर 160 अरब डॉलर का खर्चा आने के आसार हैं। इससे चालू खाते में घाटे की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। इसका असर महंगाई दर पर भी पड़ रहा है। मोइली के मुताबिक सरकार शेल गैस नीति बनाने के साथ ही तेल व गैस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के रास्ते की सारी अड़चनें भी खत्म कर रही है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट समिति ने इस हफ्ते सात बड़े तेल व गैस ब्लॉकों को मंजूरी दी है। अगले कुछ हफ्तों के भीतर तेल व गैस खोज से संबंधित 30 से ज्यादा ब्लॉकों को और मंजूरी मिलने के आसार हैं। इससे देश में 20 अरब डॉलर का निवेश आएगा।
मोइली यहां केयर्न एनर्जी व ओएनजीसी के ब्लॉक में मिली गैस की कॉमर्शियल बिक्री शुरू होने और कंपनी के बाड़मेर स्थित एक अन्य ब्लॉक ऐश्वर्या से तेल उत्पादन चालू होने के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
खत्म होनी चाहिए अड़चनें : केयर्न
समारोह में केयर्न इंडिया की सबसे बड़ी हिस्सेदार वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने मोइली से आग्रह किया कंपनी के कामकाज में अड़चन डालने की तमाम नीतियों को खत्म किया जाए। साथ ही केयर्न को और अधिक प्रशासनिक स्वतंत्रता दी जाए। उन्होंने कंपनी के निदेशक बोर्ड में सरकार या ओएनजीसी के प्रतिनिधि को शामिल करने का प्रस्ताव भी रखा, ताकि तेजी से फैसले हो सके। अग्रवाल ने कहा कि हर ब्लॉक में उत्पादन शुरू होने से पहले सरकार से कई तरह की मंजूरी लेने की प्रक्रिया भी खत्म की जानी चाहिए। इसके जवाब में मोइली ने कहा कि सरकार कोई अड़चन नहीं डालेगी। इस उद्देश्य से ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में निवेश पर कैबिनेट की समिति गठित की गई है।
राजस्थान में स्थापित की जाने वाली नई रिफाइनरी के बारे में मोइली ने आश्वस्त किया कि तीन माह में इसका शिलान्यास सोनिया गांधी से करवाया जाएगा। यह रिफाइनरी वर्ष 2016-17 तक तैयार हो जाएगा। इस पर 37,500 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
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