श्रीनाथजी में खूब अबीर-गुलाल उड़ा
राजसमन्द |फागोत्सव के तहत विट्ठलनाथजी व श्रीनाथजी में खूब अबीर-गुलाल उड़ा। दर्शन में गुजरात व महाराष्ट्र के वैष्णवों की भीड़ रही। प्रभु को पुष्प का मुकुट, पुष्प की छड़ी, पुष्प की गेंद व पुष्प के छोगा-छड़ी धराई गई। पांच रंग केसरिया, पीला, हरा, गुलाबी, नीला ललिता, विशाखा और अष्ठ सखी के भाव से अंगीकार कराए गए। द्वितीय पीठाधीश्वर कल्याणराज महाराज ने सपरिवार प्रभु को लाड़ लड़ा कर आरती उतारी। मंदिर में दिनभर रसिया गान की धूम रही। कान्हा धरयो रे मूकुट खेले होरी... ब्रज की तोहे लाज मुकुट वारे... रसिया गान ब्रजवासी रसिया मंडल ने किया। ठाकुरजी को पुन: निज मंदिर में पधरा कर वहां भी होली खेली गई।
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