नई दिल्ली। अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बातों बातों में इस बात का संकेत दे दिया है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद वह भी प्रधानमंत्री की दौड़ में शुमार हैं। प्रधानमंत्री के इस संकेत से राजनीति के गलियारों में भूचाल आ गया है। मनमोहन सिंह के इस संकेत से कांग्रेस सकते में हैं। जिसके बाद कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का चयन चुनकर आने वाले सांसद और कांग्रेस आलाकमान ही करेगा।
मनमोहन सिंह का बयान इस लिए भी मायने रखता है, क्योंकि पूरी कांग्रेस राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रही है। दिग्विजय सिंह से लेकर बेनी प्रसाद वर्मा तक राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते हैं।
पीएम मनमोहन सिंह ने भरोसा जताया है कि केंद्र में यूपीए की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। अगर सपा यूपीए से समर्थन वापस भी ले लेती है तो सरकार को कोई खतरा नहीं है। मनमोहन सिंह ने बतौर पीएम अपने तीसरे कार्यकाल से भी इनकार नहीं किया है।
डरबन से लौटते समय विशेष विमान में पत्रकारों ने जब पीएम से सवाल किया कि यदि अगले आम चुनाव में भी यूपीए की सरकार बनती है और सोनिया गांधी उन्हें पीएम बनाए रखना चाहती हैं तो यह उन्हें कबूल होगा। मनमोहन ने इस पर कहा, 'यह एक काल्पनिक सवाल है। वक्त आने पर देखा जाएगा।'
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा है कि देश का अगला पीएम कौन होगा, इसका फैसला चुने हुए सांसद और कांग्रेस आलाकमान करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता दिल से चाहते हैं कि राहुल गांधी देश के पीएम बनें। लेकिन मनमोहन सिंह इस वक्त देश के पीएम हैं।
पीएम के बयान के बाद मुलायम सिंह की तरफ से तो कोई बयान नहीं आया है लेकिन उनकी पार्टी ने कहा है कि उन्होंने न तो केंद्र में सरकार बनवाई और न ही सरकार गिराएंगे। यूपी सरकार में मंत्री आजम खान ने कहा कि सपा देश में सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने का कोई मौका नहीं देना चाहती है। यह अलग बात है कि कांग्रेस कितनी धर्मनिरपेक्ष है लेकिन बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी है ही।
बीजेपी ने कहा है कि देश में कोई भी मनमोहन को पीएम के तौर पर नहीं देखना चाहता है। बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'भारत जैसे बड़े देश में मनमोहन सिंह का बतौर पीएम नौ साल का कार्यकाल चिंता का विषय है। देश की जनता आने वाले पांच वर्षों के दौरान उन्हें पीएम के तौर पर देखना चाहेगी, इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है।' प्रसाद ने यह भी कहा कि बीजेपी का सपा के साथ कोई गठबंधन पहले भी नहीं रहा है और न ही ऐसा होने जा रहा है।
इससे पहले, सपा मुखिया मुलायम सिंह ने कहा कि उनके पास इस बात की जानकारी है कि केंद्र सरकार जल्द गिरेगी और चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में हो सकते हैं।
यूपीए और सपा के बीच जारी खींचतान के बीच चिदंबरम ने यूपी के सीएम अखिलेश सिंह की तारीफ की है। उन्होंने मुलायम सिंह को भरोसा दिलाया कि यूपीए की सरकार यूपी के विकास के लिए उनके साथ खड़ी है।
पिछले कुछ वक्त से देखने में आया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पकड़ पार्टी में कुछ कमजोर पड़ी है। सोनिया गांधी के लाख चाहने के बावजूद फूड सिक्यूरिटी बिल में सरकार ने संशोधित किया। जबकि, सोनिया और उनकी टीम एक मजबूत फूड सिक्यूरिटी बिल चाहती थी। इसी तरह पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने सोनिया पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि उनका मानना है कि सत्ता का दो केंद्र नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री को ही सबकुछ करने का अधिकार होना चाहिए। हालांकि, दिग्विजय सिंह के इस बयान पर अधिक बवाल तो नहीं मचा लेकिन कांग्रेस की राजनीति पर नजर रखने वाले इस बयान का कई अर्थ निकाल रहे हैं।
पिछले मंगलवार को ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था, `उन्होंने (राहुल गांधी) ने ऐसा कहीं नहीं कहा। मीडिया में जो कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं, उससे उलझन पैदा हुई हैं। यदि देश की जनता चाहेगी तो वह (राहुल) क्यों नहीं (पीएम पद के कांग्रेस उम्मीदवार) हो सकते हैं। राहुल गांधी ने कहीं नहीं कहा कि वह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनना चाहते। देश की जनता चाहेगी तो गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनना चाहेंगे।`
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने कुछ दिन पूर्व पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों एवं विधायक दल के नेताओं के साथ बैठक में उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने को लेकर बयानबाजी किए जाने पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि भविष्य में वह इस तरह की बातें नहीं सुनना चाहते।
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