कारेली नाडी सरंक्षण का जनता का प्रयास रंग लाया
नगर परिषद् ने नाडी के सौन्र्दयकरण और पोधारोपन के लिए दस लाख की राशि स्वीकृत की .कमेटी ने जताया आभार
बाड़मेर बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित कारेली नाडी के सरंक्षण के लिए बाड़मेर की जनता के प्रयास रंग ले आये समिति के प्रयासों के चलते नगर परिषद् ने कारेली नाडी के सरंक्षण और सौन्र्दयकरण के लिए दस लाख रुपये की सिकृति दी हें ,साथ ही इस र्काय के लिए निवीदा भी जारी कर दी हें ,समिति के सांग सिंह लुणु ने बताया कि कारेली नाडी के सरंक्षण के लिए बाड़मेर की जनता ने ओठी पहल कर अभियान शुरू कर इसके सरंक्षण के लिए समिति का गठन किया था .चन्दन सिंह भाटी ने बताया की समिति के अभियान के जरिये की गई पहल से आम जनता ने समिति से जुड़ कर सहयोग किया .नाडी के सरंक्षण और सौन्र्दयकरण की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सुपर्ुद किया था .जिला कलेक्टर द्वारा कारेली नाडी के सरंक्षण के लिए तत्काल र्कायवाही के लए नगर परिषद् को र्निदेश दिए जिस पर नगर पालिका ने र्साथक पहल कर कारेली नाडी के सरंक्षण और सौन्र्दयकरण को अमलीजामा पहनते हुए दस लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर टेंडर जारी किये .समिति के सांग सिंह लुनु ,चन्दन सिंह भाटी ,रिडमल सिंह दांता कैलाश बेनीवाल ,.माधो सिंह दांता ,दर्ुजन सिंह गुडीसर ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,असरफ अली ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,रघुवीर सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,अशोक सारला ,रतन सिंह लुनु ,प्रवीण बोथरा ,राजू सिंह भुरटिया ,सादिक खान ,दिनेश्पाल सिंह लखा सहित आम जनता ने पालिका के प्रति आभार जताया .कमेटी के सदस्य शनिवार को कारेली नाडी का मौका मुआयना कर इसके विकास की र्काय योजना पर र्चचा करेंगे .समिति ने कलेक्टर से नाडी के सरंक्षण की मांग की थी
.समिति के सांग सिंह लुनु ने बताया बाड़मेर जिला मुख्यालय पर स्थित ऐतिहासिक कारेली नाडी बाड़मेर की परंपरागत पेयजल स्रोतों में कारेली नाडी अहम थी .आसपास के पचासों गाँवो के लोग इस नाडी के पानी से प्यास बुझाते थे .वहीं इस तालाब की बड़ी मान्यता थी ,लोगो की इस तालाब के प्रति गहरी आस्था थी ,आज इस तालाब की दर्ुदशा कर इसे कचरा पात्र बना दिया ,
चन्दन सिंह भाटी ने बताया की जिला प्रशासन द्वारा कारेली नाडी के सौन्र्दयकरण के नाम पर विदेशी कंपनियों से पैसा भी लिया मगर उसका इस नाडी पर कोई उपयोग नहीं किया .आज तालाब गन्दगी से भरा पडा हें ,जिला प्रशासन और नगर परिषद लगातार इस नाडी की उपेक्षा कर रहे हें जबकि सरकार ने परंपरागत पेयजल स्रोतों के विकास के लिए कई योजनाए बना रखी हें . कारेली नाडी के पुराने स्वरुप को पुनः लौटाने के सतत सामूहिक प्रयास किये जायें .माधो सिंह दांता ने बताया की आज इस नाडी के आगे से आम आदमी गुजर नहीं सकता इस तालाब में मृत पशु तक डाले जा रहे हें वही इसे कचरा पात्र बना दिया . इसके लिए मांग की कि नगर परिषद तथा जिला प्रशासन एक कमेटी का गठन करे जिसकी देखरेख में कारेली नाडी के सौन्र्दयकरण और विकास का काम हो .इन्दर प्रकाश पुरोहित ने बताया की कारेली नाडी से कचरा तत्काल उठाया जाकर इसे साफ़ सुथरा किया जाये ताकि इसके पुराने स्वरुप को बहल किया जा सके .अशोक सिंह राजपुरोहित ने बताया की जिला प्रशासन राज्य की परंपरागत पेयजल स्रोत योजनाओ के साथ इस को शामिल कर इसे बहल किया जाये ,समिति की मांग पर जिला प्रशासन ने र्साथक कदम उठाते हुए दस लाख की राशि स्वीकृत की .
.समिति के सांग सिंह लुनु ने बताया बाड़मेर जिला मुख्यालय पर स्थित ऐतिहासिक कारेली नाडी बाड़मेर की परंपरागत पेयजल स्रोतों में कारेली नाडी अहम थी .आसपास के पचासों गाँवो के लोग इस नाडी के पानी से प्यास बुझाते थे .वहीं इस तालाब की बड़ी मान्यता थी ,लोगो की इस तालाब के प्रति गहरी आस्था थी ,आज इस तालाब की दर्ुदशा कर इसे कचरा पात्र बना दिया ,
चन्दन सिंह भाटी ने बताया की जिला प्रशासन द्वारा कारेली नाडी के सौन्र्दयकरण के नाम पर विदेशी कंपनियों से पैसा भी लिया मगर उसका इस नाडी पर कोई उपयोग नहीं किया .आज तालाब गन्दगी से भरा पडा हें ,जिला प्रशासन और नगर परिषद लगातार इस नाडी की उपेक्षा कर रहे हें जबकि सरकार ने परंपरागत पेयजल स्रोतों के विकास के लिए कई योजनाए बना रखी हें . कारेली नाडी के पुराने स्वरुप को पुनः लौटाने के सतत सामूहिक प्रयास किये जायें .माधो सिंह दांता ने बताया की आज इस नाडी के आगे से आम आदमी गुजर नहीं सकता इस तालाब में मृत पशु तक डाले जा रहे हें वही इसे कचरा पात्र बना दिया . इसके लिए मांग की कि नगर परिषद तथा जिला प्रशासन एक कमेटी का गठन करे जिसकी देखरेख में कारेली नाडी के सौन्र्दयकरण और विकास का काम हो .इन्दर प्रकाश पुरोहित ने बताया की कारेली नाडी से कचरा तत्काल उठाया जाकर इसे साफ़ सुथरा किया जाये ताकि इसके पुराने स्वरुप को बहल किया जा सके .अशोक सिंह राजपुरोहित ने बताया की जिला प्रशासन राज्य की परंपरागत पेयजल स्रोत योजनाओ के साथ इस को शामिल कर इसे बहल किया जाये ,समिति की मांग पर जिला प्रशासन ने र्साथक कदम उठाते हुए दस लाख की राशि स्वीकृत की .
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