सरकार के खिलाफ जुटेंगी 1 लाख महिलाएं
जयपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ी 1 लाख से अधिक महिलाएं 3 मार्च को राजधानी में राज्य सरकार के खिलाफ एकजुट होंगी। राज्य कर्मचारियों के साझा प्रदर्शन और रैली से ठीक एक दिन पहले ये महिलाएं यहां विभिन्न मांगों को लेकर उद्योग मैदान पर धरना देंगी।
अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ(एकीकृत) के बैनर तले आयोजित इस महिला महाकुंभ में आंगनबाड़ी(महिला एवं बाल विकास विभाग) की कार्यकर्ता,सहायिका,आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिनें शामिल होंगी।
"अभी नहीं तो आंदोलन"
जयपुर में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में संघ की प्रदेशाध्यक्ष मधुबाला शर्मा ने बताया कि रविवार(3 मार्च) को प्रदेशभर से विभाग से जुड़ी महिलाएं जयपुर में एकत्रित होंगी। संघ इससे पूर्व भी अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करता रहा है लेकिन राज्य सरकार अभी तक नजर अंदाज करती रही है। रविवार को 1 लाख से अधिक महिलाएं राजधानी में एकजुट होकर सरकार पर नैतिक दबाव बनाएंगी। यदि फिर भी हमारी बात नहीं सुनी गई तो राज्य स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।
"महिलाओं का शोषण कर रही सरकार"
संघ प्रभारी छोटेलाल बुनकर का कहना है कि राज्य सरकार आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक शोषण कर रही है। इन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जा रही और बुढ़ापे के लिए भविष्य निधि जैसी कोई सुविधा से भी इन्हें वंचित रखा गया है।
आंगनबाड़ी महिलाओं की मांगे:
न्यूनतम वेतन तो मिले-
वर्तमान में आशा सहयोगिनी को 1100 रूपए,साथिन को 1650 रूपए और सहायिका को 1815 रूपए महीना वेतन मिल रहा है। जो 3562 से 3699 रूपए मासिक तक होना चाहिए।
सामाजिक सुरक्षा का अधिकार-
सामाजिक सुरक्षा के तहत भविष्य निधि की व्यवस्था की जानी चाहिए। राज्य की करीब 2 लाख आंगनबाड़ी महिलाओं को इससे सामाजिक असुरक्षा का भर बना हुआ है।
नियमित राज्य कर्मचारी-
पैरा टीचर्स को प्रबोधक बनाए जाने की तर्ज पर बीए,बीएड,एफए और एफएड महिलाओं को नियमित कर्मचारी बनाया जाए।
रिक्त पद भरे जाएं-
ग्राम साथिन से प्रचेता पद भरे जाएं,आशा सहयोगिन को एएनएम बनाया जाए और भविष्य के लिए 20 फीसदी पद आरक्षित किए जाएं। कार्यकर्ता से महिला पर्यवेक्षक के लिए 25 फीसदी पद आरक्षित किए जाए।
सेवा रिकॉर्ड तैयार हो-
1 जुलाई 2011 को शासन सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय सेवा रिकॉर्ड(सेवा पुस्तिका) को लागू किया जाए। बीमा कटौती की पास बुक भी बनाई जाए।
जयपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ी 1 लाख से अधिक महिलाएं 3 मार्च को राजधानी में राज्य सरकार के खिलाफ एकजुट होंगी। राज्य कर्मचारियों के साझा प्रदर्शन और रैली से ठीक एक दिन पहले ये महिलाएं यहां विभिन्न मांगों को लेकर उद्योग मैदान पर धरना देंगी।
अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ(एकीकृत) के बैनर तले आयोजित इस महिला महाकुंभ में आंगनबाड़ी(महिला एवं बाल विकास विभाग) की कार्यकर्ता,सहायिका,आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिनें शामिल होंगी।
"अभी नहीं तो आंदोलन"
जयपुर में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में संघ की प्रदेशाध्यक्ष मधुबाला शर्मा ने बताया कि रविवार(3 मार्च) को प्रदेशभर से विभाग से जुड़ी महिलाएं जयपुर में एकत्रित होंगी। संघ इससे पूर्व भी अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करता रहा है लेकिन राज्य सरकार अभी तक नजर अंदाज करती रही है। रविवार को 1 लाख से अधिक महिलाएं राजधानी में एकजुट होकर सरकार पर नैतिक दबाव बनाएंगी। यदि फिर भी हमारी बात नहीं सुनी गई तो राज्य स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।
"महिलाओं का शोषण कर रही सरकार"
संघ प्रभारी छोटेलाल बुनकर का कहना है कि राज्य सरकार आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक शोषण कर रही है। इन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जा रही और बुढ़ापे के लिए भविष्य निधि जैसी कोई सुविधा से भी इन्हें वंचित रखा गया है।
आंगनबाड़ी महिलाओं की मांगे:
न्यूनतम वेतन तो मिले-
वर्तमान में आशा सहयोगिनी को 1100 रूपए,साथिन को 1650 रूपए और सहायिका को 1815 रूपए महीना वेतन मिल रहा है। जो 3562 से 3699 रूपए मासिक तक होना चाहिए।
सामाजिक सुरक्षा का अधिकार-
सामाजिक सुरक्षा के तहत भविष्य निधि की व्यवस्था की जानी चाहिए। राज्य की करीब 2 लाख आंगनबाड़ी महिलाओं को इससे सामाजिक असुरक्षा का भर बना हुआ है।
नियमित राज्य कर्मचारी-
पैरा टीचर्स को प्रबोधक बनाए जाने की तर्ज पर बीए,बीएड,एफए और एफएड महिलाओं को नियमित कर्मचारी बनाया जाए।
रिक्त पद भरे जाएं-
ग्राम साथिन से प्रचेता पद भरे जाएं,आशा सहयोगिन को एएनएम बनाया जाए और भविष्य के लिए 20 फीसदी पद आरक्षित किए जाएं। कार्यकर्ता से महिला पर्यवेक्षक के लिए 25 फीसदी पद आरक्षित किए जाए।
सेवा रिकॉर्ड तैयार हो-
1 जुलाई 2011 को शासन सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय सेवा रिकॉर्ड(सेवा पुस्तिका) को लागू किया जाए। बीमा कटौती की पास बुक भी बनाई जाए।
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