शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

मोदी की अनदेखी संभव नहीं: ईयू

मोदी की अनदेखी संभव नहीं: ईयू
नई दिल्ली। ठीक एक माह पहले जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर के चाणक्यपुरी आवास में एक सफेद रंग की एंबसेडर पहुंची। इस कार में थे नरेंद्र मोदी जो 15 दिन पहले ही गुजरात के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बने थे।


मोदी ने दो घंटे स्टेनर व अन्य मेहमानों के साथ बिताए। इन मेहमानों में थे यूरोपीय संघ के सभी देशों के राजदूत। लंच में मोदी को गुजरात में हुए 2002 के दंगों पर सख्त सवालों का सामना करना पड़ा। मोदी ने सहजता से सभी सवालों का जवाब दिया। मोदी ने इन राजनयिकों को अपने सुशासन के मॉडल तथा भारत को लेकर अपने दृष्टिकोण के बारे में बताया।


गुजरात दंगों के 11 साल बाद यह इस तरह की पहली बैठक थी। इससे तीन माह पहले गांधीनगर में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन ने मोदी से मुलाकात की थी। यह मुलाकात संकेत था कि यूरोपीय संघ ने मोदी का बॉयकाट खत्म कर दिया है।


एक वरिष्ठ राजनयिक सूत्र के अनुसार - यह अनौपचारिक मुलाकात थी। हम मोदी के साथ संबंध बनाना चाहते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि ब्रिटिश व डैनिश राजनयिकों की तरह यूरोपीय राजदूत मोदी से अहमदाबाद में जाकर नहीं मिले। इसके वितरीत वे हमसे आकर मिले।


एक अन्य राजनियक सूत्र ने कहा,हमने तीन कारणों से मोदी को लंच पर बुलाने का निर्णय किया - वे तीसरी बार चुनाव जीते,वे खरे राजनीतिज्ञ हैं तथा उन्होंने अपनी आकांक्षा जाहिर कर दी है कि वे राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहते हैं। अब हम मोदी को और अदेखा नहीं कर सकते।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें