एक ताने के चलते पिता ने खुदवाया चमत्कारिक तालाब जो आज तक खाली नहीं हुआ
जैसलमेर सरहदी जिले जैसलमेर की सम्रद्ध संस्कृति की झलक आज भी नज़र आती हें .जिला मुख्यालय से करीब पचीस किलोमीटर दूर कुलधरा खाभा रोड पर स्थित डेढा गाँव स्थित एतिहासिक तालाब जसेरी एक संस्कृति का प्रतिक हें ,करीब चार सौ साल पुराना जसेरी तालाब का पानी कई सदिया बीत जाने के बाद भी कभी खाली नहीं हुआ .कुदरत का करिश्मा कहे या पूर्वजो का ,वरदान इस तालाब ने जैसलमेर के पालीवाल संस्कृति के चोरासी गाँवो की प्यास उस ज़माने में भी बुझाई और आज भी आस पास के दर्जन भर गाँवो की प्यास बुझा रहा हें .कई बार क्षेत्र में तीन तीन चार चार साल बारिश नहीं होने के बावजूद भी यल इस तालाब का पानी कभी नहीं रीता .आज भी प्रतिदिन आस पास के दर्जन भर गाँवो से पचास से अधिक टेंकर इस तालाब से भर कर जाते हें ,इस तालाब की तस्वीर दिल्ली के विज्ञान भवन में राजस्थान के परम्परागत पेयजल स्रोतों की समृद्ध संस्कृति का बखान कर रहा हें ,वही देशी विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ हें ,इस तालाब के बारे में किदवंती हें डेढ़ा के बुजुर्ग मंगल सिंह भाटी ने बताया की की चार सौ साल पहले जब यह क्षेत्र पालीवाल संस्कृति का हिस्सा था .उस वक़्त पास के गाँव जाजिया में पालीवाल जाती के एक धनाढ्य सेठ की बच्ची की शादी ,हुई उस वक़्त पानी के लिए पनिहारी जाना पड़ता था ,इस युवती का नाम जस बाई था ,जस बाई एक दिन ससुराल से घडा लेकर पानी भरने गाँव के कुँए पर ,गई जन्हा एक पशुपालक अपनी एवड को पानी पिला रहा था ,पशुधन अधिक था यह देख कर युवती ने पशुपालक से आग्रह किया की उसे एक घडा भरवा दे ताकि समय पर घर जाकर खान बना ,सके मगर पशुपालक ने उसकी नहीं ,सुनी एवड ने पानी पिया उसके बाद जस बाई ने घड़ा भरा तथा गुस्से से ससुराल की और ,चली बीच रास्ते उसे उसका देवर दिखा ,देवर को उसने बात बताई की किस तरह पशुपालक ने उसे पहले घडा भरने नहीं दिया इस कारण देर हो गई ,तब देवर ने भाभी गाँव में पानी लेने जाना हें तो ऐसे ही देर ,होगी तुम्हे जल्दी घड़ा भरने हें तो अपने पिता को कहो की तुम्हारे लिए तालाब खुदवा दे ताकि तुम झट गई और घडा भर झट वापस आ ,उसको देवर की यह बात जस बाई को लग , गई उसने तत्काल पिता को सन्देश भेजा की देवर ने उसे तान दिया हें ,इसीलिए आप तुरंत तालाब खुदवाओ .बेटी का सन्देश मिलते ही पिता ने तालाब खुदाई के कारीगरों को साथ लेकर जाजिया का रुख किया ,रातो रात जाजिया ,पहुंचा उसने डेढा के पास स्थान देखा तथा वहा तालाब खुदवा दिया ,तालाब में पीतल के चादर की परत भी ,लगवाई जैसे तालाब खुदा चमत्कार हुआ रातो रात बारिश हुई तालाब पानी से भर ,गया पिता ने पुत्री को पीहर बुलावा ,भेज जस बाई घडा लेकर आई ,घडा भर कर ससुराल पहुंची तथा देवर से कहा की उसके पिटा ने तालाब भी खुदवा दिया ,उसी तालाब से घडा भर के ले आई .उन्होंने बताया की तब से अब तक एक बार उनीस सौ इकाहातर में इसका पानी सुखा था ,इसके आलावा कभी इस तालाब का पानी कभी नहीं रीता .यह कुदरत की गाँव वालो पर हें ,बेहद खूबसूरत जसेरी तालाब जैसलमेर के बेहतरीन तालाबो में से एक हें ,यहाँ देशी विदेशी पर्यटक भी काफी तादाद में इसे देखने आते हें ,
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें