बुधवार, 13 फ़रवरी 2013
तलवार नहीं कलम की धार में दिखाएं वीरता: त्रिभुवन सिंह
तलवार नहीं कलम की धार में दिखाएं वीरता: त्रिभुवन सिंह
मालाणी के सपूत रावल मल्लीनाथ की पुण्य तिथि पर कार्यक्रम आयोजित
बाड़मेर राजपूतों ने शक्ति, भक्ति और युक्ति बल से गौरवमयी इतिहास सृजित किया और सभी धर्म के लोगों को गले लगाकर हमेशा उदारता का परिचय दिया है। यह क्षत्रिय कौल का स्वर्णिम अतीत रहा है, लेकिन वर्तमान परीपेक्ष्य में हमें जमाने के साथ चलना होगा। कलम को हथियार बनाकर प्रतियोगिता युग में वीरता पूर्वक आगे बढऩा होगा। हमें हर क्षेत्र में अपनी स्थिति सुनिश्चित करनी होगी। रावल मल्लीनाथ की तरह सभी धर्मों, संप्रदाय के लोगों से मधुर संबंध रखते हुए लक्ष्य को पाने के लिए अनवरत प्रयास जारी रखे। यह विचार युवा रावत त्रिभुवन सिंह ने क्षत्रिय युवक संघ के सौजन्य से मल्लीनाथ राजपूत छात्रावास में मालाणी के संस्थापक व भक्त शिरोमणि रावल मल्लीनाथ की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में कही।संघ के नगर प्रमुख दीपसिंह रणधा ने बताया कि समारोह में उपस्थित लोगों ने रावल मल्लीनाथ की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा दिखाई। इस मौके पर शिक्षाविद कमलसिंह महेचा ने कहा कि राव सीहाजी की दसवीं पीढ़ी में पैदा हुए रावल मल्लीनाथ ने इस्लामी आतंक का मुकाबला करते हुए अपने भाइयों को बराबरी का दर्जा दिया।
साथ ही दलितों को हमेशा गले लगाया। धारु मेघ, सहधर्मिणी राणी रूपादे और गुरु उगमसिंह से प्रेरणा लेकर आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया तथा लंबे समय तक संघर्षशील रहते हुए मालाणी की स्थापना की। मारवाड़ को प्रतिकूल परिस्थितियों जहां पानी महंगा और खून सस्ता था। इससे उबारकर आमजन को आश्रय दिया।
संघ के संभाग प्रमुख रामसिंह माडपुरा, जोगेन्द्रसिंह रामसर ने भी विचार रखे। इस अवसर पर प्रेमसिंह लखा, सांगसिंह लूणू, नींबसिंह फोगेरा, मांगूसिंह बिशाला, स्वरूपसिंह खारा, रायसिंह उंडखा समेत बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।
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