बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

300 साल से साथ हैं शिव-साकड़े सुल्तान

300 साल से साथ हैं शिव-साकड़े सुल्तान
उज्जैन।उज्जैन में एक ऎसा स्थान है, जहां हिंदू-मुसलमान पूजा-सजदा कर सैकड़ों सालों से धार्मिक सौहार्द्र व सद्भावना की मिसाल देते आ रहे हैं। शहर के अब्दालपुरा में एक स्थान पर एक ओर भगवान शिव विराजित हैं तो दूसरी ओर साकड़े सुल्तान की मजार है। यहां दोनों ही संप्रदायों के अनुयायी अपने-अपने समय में पूजा-अर्चना करते हैं।

300 साल पुराना स्थान : खजूर वाली मस्जिद से थोड़ा आगे बढ़ने पर अब्दालपुरा में 300 साल पुराना मंदिर है। इसके अंदर एक तरफ भगवान शिव व नंदी और दूसरी तरफ साकड़े सुल्तान की मजार है। यहां हर रोज सुबह और शाम को पूजा-अर्चना के साथ साकड़े सुल्तान की आरती होती है। ये सद्भाव मुगल काल से चला आ रहा है।

एक पीर थे सुल्तान: पुरातत्वविद् और विद्वान डॉ. धीरेंद्र सोलंकी ने बताया कि 15वीं सदी में उज्ौन में पैदा हुए सुल्तान एक पीर थे, जिनके हजारों अनुयायी थे और साकड़े भगवान शिव को कहा गया है। इसलिए दोनों का नाम मिलकर साकड़े-सुल्तान हुआ।

पुजारी मनीष गुरू ने बताया कि यहां पर दोनों धर्मो के अनुयायी आते हैं और श्रद्धा से फातेहा पढ़ते हैं व पूजा-अर्चना करते हैं। 20 साल से मैं इस मंदिर की सेवा कर रहा हूं।

वाग्देवी की सुरक्षा बढ़ाई

ग्वालियर. भोजशाला (धार) मंदिर में स्थापना के लिए तैयार की गई वाग्देवी की प्रतिकृति की यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन और पुलिस मूर्ति की सुरक्षा को लेकर विशेष अलर्ट हो गए हैं। अष्टधातु से बनी एक क्विंटल वजनी यह मूर्ति शहर के ही एक मूर्तिकार ने तैयार की है।

यह मूर्ति धार के मां सरस्वती मंदिर भोजशाला संघष्ाü समिति के प्रमुख और संघ के पूर्व प्रचारक नवल किशोर शर्मा ने दो साल पहले तैयार करवाई थी। यह लंदन स्थित मूल प्रतिमा की हूबहू प्रतिकृति है। इसे यहां से ले जाते वक्त पुलिस ने नवलकिशोर को अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद कोर्ट ने मूूर्तिकार प्रभात राय को ही मूर्ति सुपुर्द करने के आदेश दिए थे। विरोध के बाद इसे कुछ दिनों तक थाने में भी रखा गया था, जिसका संघ ने विरोध किया था।

दरअसल मूर्ति को धार स्थित भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद (संरक्षित स्मारक) में स्थापित करने की कोशिश 2012 में की जा चुकी है। प्रशासन को चिंता है कि 15 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन पुन: इसी तरह की स्थिति पैदा हो सकती है। इसके चलते प्रशासन ने मूर्ति को प्रशासन की अनुमति के बगैर किसी को न सौंपे जाने के निर्देश दिए हैं। निर्देश के बाद शहर के थाना प्रभारी भी अलर्ट हो गए हैं।

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