शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

पाकिस्तान से 15 किमी दूर एक भारतीय गांव जहां कुछ यूं लगता है स्कूल

/गडरारोड.पाकिस्तान से महज 15 किमी दूर भारतीय सीमा में स्थित केरकोरी गांव को आजादी के 65 साल बाद स्कूल खुला है। स्कूल तो मिल गया लेकिन भवन नहीं होने से बच्चे सर्द मौसम में ठंडी रेत पर ही बैठ कर पढ़ रहे हैं।
पाकिस्तान से 15 किमी दूर एक भारतीय गांव जहां कुछ यूं लगता है स्कूल
अल्पसंख्यक जाति बहुल यह गांव अब तक शिक्षा के अंधकार का दंश झेल रहा था। कुल 120 घरों की 400 लोगों वाली बस्ती के 80 प्रतिशत लोग तो इसीलिए निरक्षर हैं क्यों कि अब तक वहां कोई स्कूल नहीं था।पढ़ने की इच्छा रखने वालों को गांव ही छोड़ना पड़ता है। इस गांव पर सरकार की नजर पड़ी तो भी इतने सालों बाद।पिछले दिसंबर में यहां प्राथमिक स्कूल मंजूर हुई और जनवरी में एक शिक्षक लगा दिया। कोई सरकारी इमारत उपलब्ध नहीं होने के कारण गांव वालों की अनुमति से रेत पर ही शिक्षा का यज्ञ 17 जनवरी से शुरू कर दिया गया। इस स्कूल में 29 बच्चे फिलहाल पढ़ने लगे हैं जिनमें 11 कन्याएं भी हैं। अब नीचे ठंडी रेत और ऊपर चमकती धूप के बीच बच्चों का भविष्य आकार ले रहा है। स्कूल के प्रथम शिक्षक अनवर अली बताते हैं कि गांव में सीटीएस सर्वे के मुताबिक करीब 56 बालक, बालिकाएं शिक्षा से वंचित हैं। इन्हें अब शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा।


'केरकोरी गांव में स्कूल भवन के लिए बजट अभी स्वीकृत नहीं हो पाया है। सर्व शिक्षा से बजट जारी करने के लिए प्रस्ताव भेज रखा है। बजट मंजूर होने पर भवन निर्माण व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी।'

- पृथ्वीराज दवे, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक बाड़मेर

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