सोमवार, 14 जनवरी 2013

महिलाओं को मोबाइल रखने पर खाप की रोक गलत: SC



नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं के मोबाइल इस्तेमाल पर रोक और उनके खास तरह की पोशाक पहनने को लेकर खाप पंचायतों के दिशानिर्देशों की आलोचना करते हुए कहा कि खाप पंचायतें ऐसा आदेश जारी नहीं कर सकतीं।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने सम्मान की खातिर होने वाली हत्याओं ‘ऑनर किलिंग’ के मामले में गैर-सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि खाप पंचायतों द्वारा महिलाओं के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर रोक लगाना और अपनी मर्जी की पोशाक पहनने पर बंदिश लगाना कानून का सरासर उल्लंघन है।






न्यायालय ने हालांकि ऑनर किलिंग पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने से पहले खाप पंचायतों को 25 फरवरी तक अपने लिखित सुझाव देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि मामले की अंतिम सुनवाई के लिए पांच मार्च की तारीख मुकर्रर की जाती है।



इससे पहले हरियाणा के जींद और रोहतक जिलों एवं उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने दलील दी कि वे सगोत्रीय विवाह का विरोध तो करती हैं लेकिन ऐसे मामलों में प्रेमी युगल की हत्या के आदेश कतई नहीं देतीं। इन जिलों के पुलिस अधिकारियों ने भी खाप पंचायतों की इन दलीलों का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है, जिसमें यह साबित हो सके कि खाप पंचायतों ने किसी प्रेमी युगल की हत्या के आदेश दिए हों।



उल्लेखनीय है कि खंडपीठ ने पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई के दौरान तीनों जिलों की महत्वपूर्ण खाप पंचायतों एवं पुलिस महानिरीक्षकों को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए आज की तारीख मुकर्रर की थी। न्यायालय ने कहा था कि वह खाप पंचायतों का पक्ष जाने बगैर इस मामले में कोई अंतिम आदेश नहीं सुनाना चाहता। खाप पंचायतें सगोत्रीय विवाह के खिलाफ हैं और वे संबंधित कानून में संशोधन की मांग करती रही हैं।

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