संघर्ष समिति ने सोनिया गांधी को लिखा ख़त, कहा- चिंतन शिविर में राजस्थानी हो प्रमुख मुद्दा, सरकार का वक्तव्य दिलाया याद
जयपुर. अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के माध्यम से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम पत्र भेजकर राजस्थानी भाषा को शीघ्र संवैधानिक मान्यता देने की मांग की है।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष के.सी. मालू व महामंत्री डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने सरकार को राज्य विधानसभा के 25 अगस्त 2003 के सर्व सम्मत संकल्प के साथ-साथ लोकसभा में 17 दिसंबर 2006 को तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का वह वक्तव्य भी याद दिलाया है जिसमें सांसद गिरधारीलाल भार्गव, रासासिंह रावत व डॉ. कर्णसिंह यादव के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि बजट सत्र 2007 में राजस्थानी एवं भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता हेतु सरकार कृत संकल्प है।
समिति ने चिंतन शिविर में राजस्थानी के सवाल को राज्य का प्रमुख मुद्दा बनाने की मांग करते हुए कहा है कि राजस्थान के बालकों को अपनी मातृभाषा में पढऩे का अधिकार, राज्य के युवाओं को देश के अन्य प्रदेशों यथा यूपी, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र आदि की भांति आईएएस, रेलवे, केन्द्रीय सेवा, टेट, राज्य प्रशासनिक सेवाओं, एडीजे व अन्य राज्य सेवाओं में अपनी मातृभाषा के प्रश्र पत्र व माध्यम का अधिकार, राज्य के प्रतिनिधियों को संसद व राज्य विधानसभा में अपनी मातृभाषा राजस्थानी में शपथ लेने व भाषण देने का अधिकार, राजस्थान वासियों को अपनी भाषा में राज करने व सरकारी योजनाओं की जानकारी हासिल करने के अधिकार तथा राजस्थानी लोक कलाकारों, फिल्मकारों, साहित्यकारों आदि को संरक्षण दिए जाने से ही जयपुर में चिंतन शिविर करने की सार्थकता सिद्ध होगी।
प्रेषक- डॉ. सत्यनारायण सोनी, प्रदेश मंत्री, अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति
समिति के प्रदेश अध्यक्ष के.सी. मालू व महामंत्री डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने सरकार को राज्य विधानसभा के 25 अगस्त 2003 के सर्व सम्मत संकल्प के साथ-साथ लोकसभा में 17 दिसंबर 2006 को तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का वह वक्तव्य भी याद दिलाया है जिसमें सांसद गिरधारीलाल भार्गव, रासासिंह रावत व डॉ. कर्णसिंह यादव के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि बजट सत्र 2007 में राजस्थानी एवं भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता हेतु सरकार कृत संकल्प है।
समिति ने चिंतन शिविर में राजस्थानी के सवाल को राज्य का प्रमुख मुद्दा बनाने की मांग करते हुए कहा है कि राजस्थान के बालकों को अपनी मातृभाषा में पढऩे का अधिकार, राज्य के युवाओं को देश के अन्य प्रदेशों यथा यूपी, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र आदि की भांति आईएएस, रेलवे, केन्द्रीय सेवा, टेट, राज्य प्रशासनिक सेवाओं, एडीजे व अन्य राज्य सेवाओं में अपनी मातृभाषा के प्रश्र पत्र व माध्यम का अधिकार, राज्य के प्रतिनिधियों को संसद व राज्य विधानसभा में अपनी मातृभाषा राजस्थानी में शपथ लेने व भाषण देने का अधिकार, राजस्थान वासियों को अपनी भाषा में राज करने व सरकारी योजनाओं की जानकारी हासिल करने के अधिकार तथा राजस्थानी लोक कलाकारों, फिल्मकारों, साहित्यकारों आदि को संरक्षण दिए जाने से ही जयपुर में चिंतन शिविर करने की सार्थकता सिद्ध होगी।
प्रेषक- डॉ. सत्यनारायण सोनी, प्रदेश मंत्री, अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति
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