बुधवार, 16 जनवरी 2013

जयपुर की महिलाएं सीनियर्स की शिकार

जयपुर की महिलाएं सीनियर्स की शिकार

जयपुर। दिल्ली में गैंगरेप की घटना के बाद देशभर में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर उठ रहे सवालों के बीच एक रिसर्च ने नई बहस छेड़ दी है। आरयू के तहत हुई इस स्टडी में सामने आया है कि जयपुर के कॉरपोरेट जगत में महिलाएं असुरक्षित हैं। इस स्टडी की माने तो कार्यस्थल पर शारीरिक शोषण करने वालों में सीनियर्स सबसे आगे हैं। पिंचिंग, ग्रेबिंग, हगिंग, पेटिंग, ब्रशिंग एगेंस्ट और टचिंग के मामलों में 60 फीसदी महिलाएं सीनियर्स को दोषी बताती हैं। 31 फीसदी महिलाएं साथी कर्मचारियों पर सवाल उठाती हैं, 25 फीसदी अपने जूनियर्स के हाथों शिकार होती हंै। वर्बल एब्युज के मामले में 50 प्रतिशत महिलाएं बॉस के दुर्व्यवहार की शिकार होती हैं।

भेदभाव का अड्डा

कॉरपोरेट जगत की 72 फीसदी महिलाएं काम के चलते खुद को तनाव में महसूस करती हैं। समान शैक्षणिक योग्यता और कार्यकुशलता के बाद भी कॉरपोरेट जगत में महिलाएं भेदभाव का शिकार होती हैं। 48 फीसदी को प्रमोशन में, 34 फीसदी को जिम्मेदारी सौंपने और 18 फीसदी को व्यवहारिकता में भेदभाव महसूस होता है। प्रमोशन में भेदभाव की शिकार 124 महिलाओं का कहना है कि तरक्की के बीच उनका महिला होना आड़े आता है। जबकि 89 महिलाओं ने कहा है कि महिला समझ उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं मिलती।

"बॉस" का खौफ

23 फीसदी महिलाओं को ऑफिस में सस्पेंशन जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से प्रमोशन रोक लिया गया। कॉरपोरेट जगत में बॉस का खौफ सिर्फ ऑफिस तक ही सीमित नहीं रहा, घर तक भी पहुंच गया है। 26 फीसदी महिलाओं के यहां बॉस का आना-जाना रहता है। यानी ऑफिस का खौफ घर तक पहुंच जाता है। जबकि 34 प्रतिशत के यहां बॉस की एंट्री पार्टीज में होती है।

केबिन में बॉस की एंट्री!

बॉस का दखल ऑफिस में कितना होता है? इस स्टडी में पता चलता है। 50 फीसदी महिलाएं कहती हैं कि कोई काम हो या नहीं, बॉस उनके केबिन में अक्सर आते रहते हैं। 34 फीसदी कहती है कि सिर्फ काम के सिलसिले में ही आते हैं।

विरोध नहीं करती

चौंकाने वाली बात रही कि कामकाजी महिलाओं में 78 फीसदी अपने कानूनी अधिकारों से वाकिफ हैं, लेकिन 11 फीसदी ही उनका सहारा लेती है। जबकि 88 फीसदी महिलाएं कोई विरोध दर्ज नहीं कराती हैं।

क्या है स्टडी

"वीमन इन कॉरपोरेट वल्र्ड ए सोश्योलॉजिकल स्टडी" विषय पर यह स्टडी आरयू के समाजशास्त्र विभाग की पूर्व डीन डॉ. सुषमा सूद के अधीन डॉ. रेखा राठी ने की है। इस स्टडी में कॉरपोरेट कंपनियों की 260 महिलाओं को शामिल किया। शोधकर्ता राठी कहती हैं कि रिसर्च के दौरान यह जाना कि कॉरपोरेट वल्र्ड में महिलाओं में अपने गोल को अचीव करने के लिए पेशन होता है। कॉरपोरेट और दूसरे किसी भी क्षेत्र की महिलाओं की लाइफ अलग-अलग होती है। साथ ही कॉरपोरेट महिलाओं का ऑफिस के साथ-साथ घर में भी शोष्ाण होता है।

रिसर्च स्टडी के आंकड़े:

वर्बल एब्यूजिंग का सामना

51.5 प्रतिशत- बॉस
38.8 प्रतिशत- कलिग
9.6 प्रतिशत- सर्बोडिनेट

फिजिकल वाइलेंस एट वर्क पेलेस

59.6 प्रतिशत- पद में आपसे ऊंचे लोग
30.8 प्रतिशत- आपके बराबर के
9.6 प्रतिशत- आपसे नीचे के लोग

फैमिली स्ट्रक्चर

26 प्रतिशत- ज्वॉइंट फैमिली के साथ
43 प्रतिशत- न्यूक्लियर फैमिली के साथ
18 प्रतिशत- अकेले
13 प्रतिशत- दोस्तों के साथ

मेरिटल स्टेटस

64 प्रतिशत- शादीशुदा
20 प्रतिशत- कुंवारी
11 प्रतिशत- तलाकशुदा
5 प्रतिशत- विधवा

इनकम

3 प्रतिशत- बीस हजार रूपए से कम
49 प्रशित- 20 से 30 हजार रूपए
25 प्रतिशत- 30 से 50 हजार
22 प्रतिशत-50 हजार से ऊपर

एजुकेशन

8 प्रतिशत- ग्रेजुएट
33 प्रतिशत- ग्रेजुएट और एमबीए
42 प्रतिशत- स्नातकोत्तर और एमबीए
17 प्रतिशत- टैक्निकल डिग्री

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