शुक्रवार, 11 जनवरी 2013
अपनी तकदीर हमें खुद ही लिखनी होती है
अपनी तकदीर हमें खुद ही लिखनी होती है
बाड़मेर (11 जनवरी) अपनी तकदीर हमें खुद ही लिखनी होती है और काफ़ी हद तक यह यह हमारी सोच और रवैये से तय होती है । यह उद्गार भूतपूर्व छात्रा संघ अध्यक्षा भावना राठौड़ ने युवा विकास केंद्र में मुख्य वक्ता के बतौर के बतौर व्यक्त किये ।श्रीमती भावना राठौड़ ने व्यक्तित्व विकास विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा हमें रोज़ खुद का आकलन करना चाहिए कि आखिर आज के दिन का हासिल क्या है ? ज़िंदगी हर दिन अपने पाठ पढ़ाती है और हमें खुद की कमियों को सुधारने के संकेत देती रहती है ।भावना के मुताबिक़ कॉलेज के दिन हमें हमें एक बेहतर और ज़िम्मेदार नागरिक बनने की समझ और जज्बा देते हैं मगर दुर्भाग्य से ज़्यादातर लोग इस कीमती वक़्त को यूँ ही बर्बाद कर देते हैं ।जो वक़्त को बर्बाद करता है उसे वक़्त बर्बाद कर देता है । भावना ने कहा अगर हम योजनाबद्ध तरीके भविष्य की तैयारी करें तो हालात कैसे भी हों मगर हम उनके साथ सामंजस्य बिठा पाते हैं ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज प्राचार्य प्रो .बेज़ल फर्नांडेज़ ने कहा हमारी शख्सियत हमारे आचरण से ज़ाहिर होती है ।प्रो . फर्नांडेज़ के मुताबिक़ जो कॉलेज जीवन में कामयाब भविष्य की नींव तैयार होती है । जो यहाँ लगनशील होता है उसके लिए आगे की बढ़ाएं काफी हद तक कम हो जातीं हैं । छात्रा संघ अध्यक्षा सुश्री कीर्तिका चौहान ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।कार्यक्रम का संचालन मुकेश पचौरी ने किया ।कार्यक्रम में व्याख्याता उदय सिंह , छात्र संघ उपाध्यक्षा नैना खत्री तथा विभिन्न संकायों की तमाम छात्राएं मौजूद थीं ।
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