मंगलवार, 29 जनवरी 2013

पूरे परिवार को मिला योजनाओं का सहारा दिया


पूरे परिवार को मिला योजनाओं का सहारा
नियति ने ढाया कहर, राज ने दिया सुकून भरा सफर


- डॉ. दीपक आचार्य

जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,


जैसलमेर


गरीबों और जरूरतमन्दों के लिए सरकार की योजनाएं कितनी जीवनदायी होती हैं इसका ज्वलंत प्रमाण है सरहदी जैसलमेर जिले की बोहा ग्राम पंचायत के लाखा गाँव का रहने वाला गोरधनसिंह और उसका परिवार। यह गांवजैसलमेर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूरी पर है।


नियति ने इस परिवार पर निर्ममता से इतना कहर बरपाया कि विपन्नता और अभावों के अंधकार से घिरे इन लोगों का जीना दूभर हो चला था। इस बीच राज्य सरकार की योजनाओं ने इस परिवार को अंधेरों से उबारा और इतनासंबल दे दिया है कि आज यह परिवार आत्मनिर्भर होकर जीवन निर्वाह का सुकून पा रहा है।


अभावों की वजह से अभिशप्त रहे इस परिवार को हमेशा यह बात याद रहती है कि कठिन दिनों के दौर में सरकार का संरक्षण नहीं मिलता तो आज हालात कितने पीड़ादायी होते, इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती।


टूट पड़ा विपत्तियों का पहाड़ एक साथ


इस गाँव के 28 वर्षीय गोरधन सिंह पर ही है पूरे परिवार को चलाने का जिम्मा। मात्रा चौदह वर्ष की आयु में गोरधनसिंह की नेत्रा ज्योति चली गई। उन दिनों वह छठी कक्षा मंे पढ़ता था कि अचानक दिमाग के तंत्रिका तंत्रा मेंगड़बड़ी आ गई। इससे उसकी आँखें जवाब दे गई तभी से वह पूर्ण नेत्राहीन है। उन दिनों नेत्राहीनों की पढ़ाई के लिए शिक्षा की व्यवस्था होने की जानकारी के अभाव के कारण वह आगे अध्ययन नहीं कर पाया।


गोरधनसिंह की जिन्दगी पर विपत्तियों के कई पहाड़ एक साथ टूट पड़े। पिता सगतसिंह का साया भी सर से उठ गया। माताजी एवं तीन भाइयों के पालन-पोषण और घर चलाने का जिम्मा भी उसी पर आ पड़ा।


इन सारी विपदाओं की घड़ी में कुछ समय जैसे-तैसे गुजरा। गोरधनसिंह की माँ मेहनत-मजदूरी करके अपना घर चलाने लगी। गोरधनसिंह भी अपनी माँ के काम में मदद कर दिया करता।


योजनाओं से आया उजियारा


इसी बीच सरकारी योजनाओं की जानकारी उस तक पहुंची। इसके बाद उसने अपने परिचितों से सम्पर्क कर योजनाओं के बारे में जाना तथा आवेदन किया। आज सरकार की योजनाओं की बदौलत गोरधनसिंह को विकलांग पेंशनमिल रही है जबकि उसकी माँ को विधवा पेंशन की सुविधा मिल रही है।



गोरधनसिंह के परिवार को चलाने के लिए उसे आत्मनिर्भरता देना जरूरी था। इसी सोच के साथ गोरधनसिंह का चयन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की विश्वास योजना में किया गया। इस योजना में एक लाख रुपएका ऋण दिए जाने का प्रावधान है जिसमें से 30 प्रतिशत राशि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से अनुदान के रूप में दी जाती है। गोरधनसिंह को उसकी जरूरत के अनुसार विश्वास योजना में पचास हजार का ऋण स्वीकृत कियागया। जिसमें से उसे पन्द्रह हजार रुपए का अनुदान मिला।


इस ऋण से गोरधनसिंह ने गाँव में ही घर पर ही किराणा की छोटी सी दुकान खोल ली। अपनी दुकान के लिए वह सामान जैसलमेर से लाता है।


दुकान ने सुधारी माली हालत




इस दुकान से उसे औसतन दो हजार रुपए मासिक आय हो जाती है। अपनी दुकान अब गोरधनसिंह के लिए रोजगार का स्थायी और पक्का साधन हो गया है। इससे उसकी तथा परिवार की कई समस्याओं व अभावों का खात्मा होगया है तथा माली




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