महिला कैदी को अबोर्शन की इजाजत
इन्दौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इन्दौर खंडपीठ ने बुधवार को एक महिला कैदी द्वारा गर्भपात कराने की मंजूरी प्रदान कर दी। संभवत: प्रदेश के इतिहास में अपनी तरह का यह पहला मामला है। एकल पीठ के न्यायाधीश एस.सी.शर्मा ने इंदौर जिला जेल की महिला कैदी हल्लो बी की याचिका पर सुनवाई करने के बाद उसे दो विशेषज्ञ चिकित्सको की रिपोर्ट के आधार पर 12 सप्ताह से ज्यादा समय के गर्भ का गिराने की अनुमति प्रदान कर दी।
न्यायालय ने पिछली सुनवाई पर इस मामले मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंससी एक्ट 1971 की धारा 3 (2) बी के तहत 12 से 20 हफ्ते का गर्भ होने के चलते स्थानीय एम.वाई अस्पताल के दो विशेषज्ञ चिकित्सकों की रिपोर्ट मांगी थी। दो विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर यह अनुमति प्रदान की। न्यायालय ने इसके साथ ही जेल अधीक्षक को आदेशित किया की महिला के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जाएंं और इसकी चार माह के अंदर रिपोर्ट पेश करे।
न्यायालय के इस आदेश को विधि विशेषज्ञ अहम फैसला बता रहे है। वही कानूनविदों के अनुसार संभवत: प्रदेश का अपनी तरह का यह पहला मामला है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले इन्दौर के संयोगितगंज थाने क्षेत्रमें हल्लो बी नामक महिला ने अपने कथित पति उस्मान पटेल की हत्या कर दी थी। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल में मेडीकल परीक्षण के बाद पता चला की उसे दो माह का गर्भ है। जिसके बाद उसने जेल अधिकारियों को गर्भ गिराने के लिए आवेदन दिया था।
चूंकि मामला जेल मैन्युअल से अलग था इसलिए विधिक राय के लिए भेज दिया। जहां से यह मामला पहले निचली अदालत जाने पर महिला कैदी को गर्भपात कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया। जिस पर महिला कैदी ने वकील शन्नो गुप्ता खान माध्यम से उच्च न्यायालय यह याचिका दायर की। याचिका में महिला कैदी ने कहा कि उसे बेचा गया था और उसके पेट में पल रहा गर्भ किसका है उसे पता नहीं है। वह इस अवैध संतान को जन्म नहीं देना चाहती है इसलिए उसे स्वेच्छा से गर्भपात कराने की अनुमति न्यायालय प्रदान करें।
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