शनिवार, 12 जनवरी 2013

गहलोत ने किया युवा महोत्सव का उद्घाटन

गहलोत ने किया युवा महोत्सव का उद्घाटन

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयंती पर सवाईमानसिंह स्टेडियम में आयोजित महोत्सव का झंडा फहरा कर कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने स्टेडियम में चक्कर लगाया तथा हाथ हिलाकर युवाओं का अभिनंन भी किया।

इस अवसर पर राज्य के युवा मामले एवं खेल राज्यमंत्री मांगीलाल गरासिया भी उपस्थित थे। महोत्सव में प्रदेश के करीब 35 हजार युवा भाग ले रहे हैं। इसमें युवाओं को विभिन्न विभागों की ओर से खेल प्रदर्शनियों एवं टॉक शो के माध्यम से राज्य के सामाजिक आर्थिक परिदृश्य एवं राज्य तथा केन्द्र सरकार की ओर से संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा इस दौरान तीरंदाजी,कुश्ती,कबड्डी एवं खो.खो के प्रदर्शन मैच भी होंगे।

देर रात तक बंटे कार्ड :
सारा आयोजन इतने आनन-फानन में हो रहा है कि अधिकारी देर रात तक आयोजन के कार्ड बांट रहे थे। खेल प्रतियोगिताओं की टीमें भी तय नहीं की गई। बताया जा रहा है कि खेल प्रतियोगिताएं स्टेडियम में आयोजन करने के लिए ही रखी गई हैं।

शहर में भी होंगे कई कार्यक्रम
विवेकानन्द जयंती पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज की ओर से एसएमएस अस्पताल स्थित जेएमए सभागार में दोपहर 12 से 2 बजे तक कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम संयोजक डॉ.के.के.मंगल ने पत्रकारों को बताया कि कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद विषय पर प्रश्नोत्तरी व भाषण प्रतियोगिता होगी। मुख्य अतिथि बीस सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष डॉ.करण सिंह यादव व प्राचार्य डॉ.सुभाष नेपलिया होंगे। उधर, राजस्थान युवा छात्र संस्था व रोटरी क्लब जयपुर (नोर्थ) की ओर से राजस्थान विवि में प्रात: 11 बजे विवेकानंद जंयती मनाई जाएगी।

निकलेगी शोभायात्रा
स्वामी विवेकानंद सार्धशती समारोह समिति की ओर से दोपहर एक बजे चांदपोल गेट व सांगानेरी गेट से शोभायात्रा निकाली जाएगी। समिति के महानगर प्रचार प्रमुख रणजीत सिंह ने बताया कि दोनों शोभायात्रा रामनिवास बाग होते हुए मेडिकल कॉलेज पर सम्पन्न होंगी। उधर, युवक कांग्रेस की ओर से युवक कांग्रेस कार्यालय पर युवा संकल्प सभा होगी।

जयपुर में खींचा गया स्वामी विवेकानन्द का पहला चित्र
जयपुर । स्वामी विवेकानंद का पहला चित्र जयपुर के खेतड़ी हाउस में खींचा गया था। संन्यासकाल के दौरान वे रामनिवास बाग के पास बाबा गोविंददासजी की बगीची में रूके थे। उन्होंने पुरानी बस्ती निवासी व्याकरर्णाचार्य पंडित सूर्यनारायण शर्मा के साथ पाणिनि रचित अष्टाध्यायी पर विचार विमर्श किया था। सेनापति हरी सिंह लाडखानी भी स्वामीजी के विचारों से प्रभावित हो शिष्य बने। विवेकानन्द उनके चांदपोल स्थित खाटू हाउस में रहे थे। कॉसिंल सदस्य संसारचन्द्र सेन की हवेली में भी विवेकानन्द के पांव पड़े थे।

खेतड़ी के राजा अजीत सिंह तो स्वामी विवेकानन्द के प्रमुख शिष्य थे। उनके दरबार में बिना साफा प्रवेश की परम्परा नहीं होने से राजा अजीत सिंह ने विवेकानन्द को जैसा साफा पहनाया स्वामी ने अंत समय तक वैसा ही साफा बांधे रखा। स्वर्गीय पंडित झाबरमल शर्मा व डॉ. ओंकार सक्सेना ने लिखा है कि सन्यासी विवेकानन्द का नाम विविदिशानन्द था। खेतड़ी राजा के अनुरोध पर स्वामीजी ने अपना नाम विवेकानन्द रखा था। शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में जाने के लिए खेतड़ी राजा ने ओरियंट कम्पनी के पैनिनशूना नामक जहाज का प्रथम श्रेणी का टिकट और रेशमी साफा व वस्त्र विवेकानन्द को भेंट किए थे।

स्वामी विवेकानन्द नाम भी राजस्थान की देन है। जयपुर, खेतड़ी, अलवर, आबू आदि स्थानों पर विवेकानन्दजी ने सन्यासी के रूप में प्रवास किया था। साध्वी रचना, प्रचारक, स्वामी विवेकानन्द केन्द्र

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