शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

संसद मे पाक विस्थापित हिन्दूओं का मुद्दा,


बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने उठाया 

संसद मे   पाक विस्थापित हिन्दूओं का मुद्दा, 



नई दिल्ली। 14 दिसम्बर 2012। शुक्रवार को लोक सभा में बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने पाक विस्थापित हिन्दूओं को भारतीय नागरिकता देने का मु्द्दा उठाया। सांसद मेघवाल ने लोक सभा में कहा कि पाकिस्तान से भारत में प्रवास करने वाले और देष के विभिन्न भागों मे बसे व्यक्तियों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं को ध्यान मे रखते हुए यह सभा सरकार से आग्रह करती है कि वह उन्हंे नागरिकता प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाए और उन्हें देष के अन्य नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाऐं मुहैया कराने के लिए एक समयपबद्ध कार्य-योजना तैयार करें।इस प्रस्ताव के तीन बिन्दु है:-
1. पाकिस्तान से विस्थापित होकर आने वाले हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान करना।
2. उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना जिसमें रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था भी सम्मिलित होे।
3. पुनर्वास की कोई एक समयबद्ध योजना तैयार हो।
पाकिस्तान में 90 के दषक में तालिबानी ताकत के कारण पेषावर मे सिख आये और फिर इण्डिया आये? पाकिस्तान से आये विस्थापित यह कहते है कि ‘‘पाकिस्तान मे हमे हमेषा ‘हिन्दू-हिन्दू’ कहकर गाली दी जाती थी और अब जब हम हमारे मुल्क मे आ गये है तो हमे नागरिकता या अन्य सुविधाऐं देेने के बजाय ‘पाकिस्तानी-पाकिस्तानी’ कहकर संबोधित किया जाता है।’’
दिनांक 30 नवम्बर 2012 को इस संकल्प पर बोलते हुये जब मैने कहा था कि जम्मू कष्मीर से लेकर गुजरात तक पाकिस्तान से आये विस्थापित हिन्दू जिन मे मुख्य रूप से मेघवाल, भील , बागड़ी, नल मकी , कोली जातियों के लोग है जो पूरे पाक विस्थापित मे से 90 प्रतिषत है, शेष 10 प्रतिषत मे अन्य जातियां है जिनमें राजपूत , सिंधी व अन्य है।
अभी हाल ही में जोधपुर में 171 हिन्दूओं को जो जत्था आया और जब उन्होंने यह कहना शुरू किया कि हम पाकिस्तान नहीं जायेगे क्योंकि पाकिस्तान में हमारी लड़कियां सुरक्षित नहीं है, हमारी संपत्ति को लुटा जाता है और हमसे बंधुआ मजदूरों की तरह खेतो में काम करवाया जाता है। मीडियां के लोगो ने भी जब उनसे इन्टरव्यूह लिया तो उन्होने साफ मना किया कि हम पाकिस्तान वापस किसी भी हालत मे नहीं जाना चाहते ।
जब मीडिया में खबरे आई तो भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान प्रदेष ईकाइ ने एक कमेटी बनाई । उस कमेटी मे मैं भी था, हमने पाकिस्तान से आये हिन्दूओं के कैम्प को देखा , उनसे बात की तो पाया कि वो पाकिस्तान किसी भी हालत मे नहीं जाना चाहते है।
राज्य सभा में दिनांक 30 अगस्त 2012 को एक तारांकित प्रष्न संख्या 263 जो पाकिस्तान से हिन्दूओं के पलायन से संबंधित था , का जवाब देते हुये तत्कालिन विदेष मंत्री एस.एम. कृष्णा ने कहा कि भारत तथा पाकिस्तान के बीच 1972 के षिमला समझौते में एक दुसरे के आंतरिक मामलो मे हस्तक्षेप न करने का प्रावधान है। मैं अध्यक्ष जी , आपके माध्यम से यह सरकार से प्रष्न पुछना चाहता हॅू कि श्रीलंका में तमिल-उत्पीड़न की चर्चा सदन मे हो सकती, बंग्लादेषी घुसपैठियों की चर्चा की जा सकती है, तो फिर पाकिस्तान से आये हिन्दूओं की चर्चा यह कहकर टालना कहां तक उचित है कि यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है।
दैनिक जागरण के 13 अगस्त 2012 के अंक में एक लेख प्रकाषित हुआ जिसको मे यहां कोट करना चाहता हूॅ ‘‘पाक के हिन्दू परिवार धार्मिक तीर्थ यात्राओं के बहाने अस्थायी वीजा पर भारत आ रहे है। रो-रोकर उत्पीडन की कहानियंा बयान करने के बावजूद भारत सरकार का कहना है कि वीजा-अवधि खत्म होने के बाद उन्हें पाकिस्तान लौटना हेागा। इस मसले पर भारत सरकार का रवैया हैरान करता है।’’ यह एक ऐसी घटना है 2012 के मध्य से ज्यादा आई है, उसका मुख्य कारण रिनकल का केस है। पाकिस्तान का मानवाधिकार आयोग भी यह मानता है कि 40-50 हिन्दू लड़कियां हर माह भगाई जाती है, जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है, संपत्ति लूटी जाती है। षिखारपूर, सिंध और रैनसम मे तीन डॉक्टरों की हत्या रिन्कल कुमारी, आषा कुमारी , मनीषा कुमारी व डॉ. लता के प्रकरण मे जबरदस्ती धर्म परिवर्तन और अपहरण तथा अपराध कुछ ऐसी कहानी कहते है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दू किसी भी दृष्टि से सुरक्षित नहीं है।
1947 में विभाजन के समय परिवार विभाजित हो गये , भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आदेष जारी किया कि कोई पाकिस्तान से भारत मे अपनी डिवाईडेड फैमेली के मैम्बर से मिलना चाहे कोई उसे स्पोन्सर करेगा तो ही भारत आ सकता है और उसके साथ एक शर्त जोड़ दी गई ैचवदेवतेीपच ेीवनसक इम मदकवतेमक इल ं हं्रमजजमक वििपबमत मेरा यह आपके माध्यम से प्रष्न है कि पाकिस्तान में हिन्दूओं की स्थिति इतनी खराब है कि तो ऐसी स्थिति मे कोई उसको स्पोन्सर करेगा और उस इस्पोन्सरषिप को इन्डोरस करने के लिए उसको कौन गजिटेड ऑफिसर मिलेगा?
भारत मे पाक विस्थापितों के लिए कोई पॉलिसी नहीं है। पाक विस्थापित कोई घुसपैठिये नहीं है। वैध पासपोर्ट एवं वीजा लेकर भारत आते है । धार्मिक संबंधो के कारण , सांस्कृतिक संबंधो के कारण एवं पारिवारिक संबंधो के कारण यह भारत आते है क्योंकि रामदेवरा मंदिर , हिंगलाज माता मंदिर एवं सिद्ध एवं पष्चिमी राजस्थान के क्षेत्र में सुुफी संतो का एक जैसा प्रभाव तथा यह क्षेत्र निर्गुण भक्ति वालो का क्षेत्र रहा है इसलिए इनके सांस्कृतिक संबंध मजबूत रहे । इसलिए यह भारत आते है। चूंकि पाकिस्तान में इनका जीवन सुरक्षित नहंी है, इसलिए यह भारत मे आकर शरणार्थियों जैसा जीवन जीने पर मजबूर होते है अन्यथा कोई भी व्यक्ति अपना घर परिवार, खेतीबाडी व अन्य संपत्ति छोडना नहीं चाहता। जब विषेष मजबूरी होती है तब ही व्यक्ति मजबूर होता है।
पाकिस्तान में च्ंापेजंद क्ंसपज ैवसपकंतपजल छमजूवता ;च्क्ैछ) इन्होंने पाकिस्तान सरकार से यह मांग कि है कि जब भारत मे मुसलमानों की दषा व दिषा को सुधारने के लिए सच्चर कमेटी का गठन किया जा सकता है , पाकिस्तान में हिन्दूओं की दषा व दिषा सुधारने के लिए कोई कमेटी गठित क्यों नहीं की जाती । इन्होने संवैधानिक सुधारो की भी बात की है।
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की विभिन्न धाराओं में भारत सरकार ने फीस मे बढ़ोतरी कर दी है। जिसके कारण एक व्यक्ति के लिए 3000 रूपये से लेकर 20 हजार तक फीस हो गई। यदि 7 व्यक्तियों का औसत परिवार मान लिया जाये तो 1) लाख से दो लाख रूपये तक एक परिवार को नागरिकता प्राप्त करने के लिए पैसे जमा करवाने होते है जो विस्थापित लोगों के लिए बहुत मुष्किल भरा काम है।
आंतरिक सुरक्षा के नाम पर भारत सरकार का गृह मंत्रालय समय - समय पर पाक विस्थापितो के लिए कठिन और मुष्किल भरे आदेष जारी करते रहते है। जैसे एक आदेष स्पोन्सरषिप का है तथा दुसरा आदेष फीस बढ़ाने का है और इन दोनों आदेषो की प्रतियां भारत सरकार के गृह मंत्रालय से विदेष मंत्रालय होते हुये पाकिस्तान स्थिति भारतीय दुतावास को प्रेषित कर दी गई जिससे इनका आना भी मुष्किल हो गया और आने के बाद उनकी नागरिकता मिलना और भी मुष्किल हो गया ।
मैं यहां पर आपके माध्यम से यह बताना चाहता हॅू कि पाक विस्थापित को आई.एस.आई. का जासूस समझा जाता है। जबकि हकीकत यह है कि अभी तक एक भी नागरिक जिनका मैं जिक्र कर रहा हूॅ आई.एस.आई. के जासूस के रूप मे नहीं पकड़ा गया है क्येाकि यह पाटीषन के समय के डिवाईडेड फैमेली है और जो मैंने ऊपर जिक्र किया उन कारणों से भारत आतें है।
भारत सरकार से मैं मुख्य मांग यह करता हॅू कि

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें