उस्ताद सुल्तान खां को जोधपुर रत्न
जोधपुर। सभी आंखें सजल थीं और पूरा पंडाल उस्ताद सुल्तान खां के सम्मान मेंं अपनी-अपनी सीटों से उठ खड़ा हुआ, जब सप्तसुर संस्थान व व्यास इंस्टीट्यूट की साझा मेजबानी में कुड़ी स्थित व्यास कैम्पस में आयोजित पद्म भूष्ाण उस्ताद सुल्तान खां संगीत महोत्सव के दौरान मुख्य अतिथि महापौर रामेश्वर दाधीच ने उस्ताद सुल्तान खां की सांगीतिक सेवाओं के लिए उन्हें मरणोपरांत जोधपुर रत्न प्रदान किया। महापौर ने सारंगीवादक उस्ताद सुल्तान खां की पत्नी बानो सुल्तान खां को शॉल ओढ़ाई। इस दौरान उस्ताद के परिवार को मंच पर बुलाया गया और सभी ने उन्हें नमन किया।
निगम ने एक प्रस्ताव पारित कर उनका अभिनदंन करने की घोष्ाणा की थी, लेकिन उनके निधन के कारण यह कार्यक्रम नहीं हो सका। सप्तसुर संस्थान के अध्यक्ष ओम छंगाणी ने उन्हें संस्था की ओर से एक लाख की राशि प्रदान की। विशिष्ट अतिथि उप महापौर न्याज मोहम्मद ने नगर निगम की ओर से उस्ताद सुल्तान खां के घर के मार्ग का उन पर नामकरण करने की घोष्ाणा की। इससे पूर्व महापौर ने उन्हें एक महान फनकार बताते हुए गर्व किया कि इतने बड़े कलाकार का जोधपुर से संबंध रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंस्टीट्यूट के चेयरमैन मनीष्ा व्यास ने की। विशिष्ट अतिथि मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के महानिदेशक डॉ.महेंद्रसिंह नगर ने उनकी सेवाओं को याद किया।
इश्का-इश्का अल्लाहू...
इश्का-इश्का अल्लाहू-अल्लाहू...,सास गारी देवे ...ससुराल गेंदा फूल,.. साजण ये मत जाणियो तुम बिछड़े मोहे चैन जैसे बन की लाकड़ी सुलगत हो दिन रैन...सूफी व फिल्मी नगमे अलग-अलग अंदाज में पेश कर मशहूर पाश्र्व गायिका रेखा भारद्वाज ने झूमतेे हुए गाया तो श्रोता भी झूम उठे। प्रसिद्ध संगीत निर्देशक -गायक विशाल भारद्वाज को.. पानी-पानी रे...गीत प्रस्तुत कि या तो रसिक श्रोताओं की खूब दाद मिली। वहीं उस्ताद फजल कुरैशी ने साबिर खां व दिलशाद खां के गायन के संग शानदार तबलावादन पेश किया।
इस मौके साबिर ने अपनी कम्पोजिशन..किस पल को मैं जी रहा हूं..पेश कर धूम मचाई। फजल कुरैशी, दिलशाद खां व साबिर खां ने राग मारवा से कार्यक्रम की शुरूआत की। कार्यक्रम में ड्रम पर दर्शन दोशी, गिटार पर मयूख सरकार-विनी, जेम्बो पर भीमराव, बेस पर रूशाद मिस्त्री व की-बोर्ड पर अतुल निंगा ने संगत की। सात दिवसीय उस्ताद सुल्तान खां संगीत महोत्सव का समापन हो गया।
जोधपुर। सभी आंखें सजल थीं और पूरा पंडाल उस्ताद सुल्तान खां के सम्मान मेंं अपनी-अपनी सीटों से उठ खड़ा हुआ, जब सप्तसुर संस्थान व व्यास इंस्टीट्यूट की साझा मेजबानी में कुड़ी स्थित व्यास कैम्पस में आयोजित पद्म भूष्ाण उस्ताद सुल्तान खां संगीत महोत्सव के दौरान मुख्य अतिथि महापौर रामेश्वर दाधीच ने उस्ताद सुल्तान खां की सांगीतिक सेवाओं के लिए उन्हें मरणोपरांत जोधपुर रत्न प्रदान किया। महापौर ने सारंगीवादक उस्ताद सुल्तान खां की पत्नी बानो सुल्तान खां को शॉल ओढ़ाई। इस दौरान उस्ताद के परिवार को मंच पर बुलाया गया और सभी ने उन्हें नमन किया।
निगम ने एक प्रस्ताव पारित कर उनका अभिनदंन करने की घोष्ाणा की थी, लेकिन उनके निधन के कारण यह कार्यक्रम नहीं हो सका। सप्तसुर संस्थान के अध्यक्ष ओम छंगाणी ने उन्हें संस्था की ओर से एक लाख की राशि प्रदान की। विशिष्ट अतिथि उप महापौर न्याज मोहम्मद ने नगर निगम की ओर से उस्ताद सुल्तान खां के घर के मार्ग का उन पर नामकरण करने की घोष्ाणा की। इससे पूर्व महापौर ने उन्हें एक महान फनकार बताते हुए गर्व किया कि इतने बड़े कलाकार का जोधपुर से संबंध रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंस्टीट्यूट के चेयरमैन मनीष्ा व्यास ने की। विशिष्ट अतिथि मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के महानिदेशक डॉ.महेंद्रसिंह नगर ने उनकी सेवाओं को याद किया।
इश्का-इश्का अल्लाहू...
इश्का-इश्का अल्लाहू-अल्लाहू...,सास गारी देवे ...ससुराल गेंदा फूल,.. साजण ये मत जाणियो तुम बिछड़े मोहे चैन जैसे बन की लाकड़ी सुलगत हो दिन रैन...सूफी व फिल्मी नगमे अलग-अलग अंदाज में पेश कर मशहूर पाश्र्व गायिका रेखा भारद्वाज ने झूमतेे हुए गाया तो श्रोता भी झूम उठे। प्रसिद्ध संगीत निर्देशक -गायक विशाल भारद्वाज को.. पानी-पानी रे...गीत प्रस्तुत कि या तो रसिक श्रोताओं की खूब दाद मिली। वहीं उस्ताद फजल कुरैशी ने साबिर खां व दिलशाद खां के गायन के संग शानदार तबलावादन पेश किया।
इस मौके साबिर ने अपनी कम्पोजिशन..किस पल को मैं जी रहा हूं..पेश कर धूम मचाई। फजल कुरैशी, दिलशाद खां व साबिर खां ने राग मारवा से कार्यक्रम की शुरूआत की। कार्यक्रम में ड्रम पर दर्शन दोशी, गिटार पर मयूख सरकार-विनी, जेम्बो पर भीमराव, बेस पर रूशाद मिस्त्री व की-बोर्ड पर अतुल निंगा ने संगत की। सात दिवसीय उस्ताद सुल्तान खां संगीत महोत्सव का समापन हो गया।
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